राजस्थान में इस साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इससे पहले प्रदेश में लाल डायरी की चर्चा जारी है. इस बीच इस लाल डायरी के बाद चर्चा में आए प्रदेश के बर्खास्त मंत्री और उदयपुरवाटी से विधायक राजेंद्र सिंह गुढ़ा को लेकर एक बड़ी खबर सामने आ रही है. दरअसल, शनिवार को एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना का दामन गुढ़ा ने थाम लिया है.
गुढ़ा गांव में आयोजित एक कार्यक्रम में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने उनका पार्टी में स्वागत किया. इस अवसर पर शिंदे ने कहा कि मैं राजेंद्र सिंह गुढ़ा का शिवसेना परिवार में स्वागत करता हूं. राजस्थान की वीरता व शौर्य तथा महाराष्ट्र की वीरता व शौर्य का अब मिलन हुआ है और दोनों साथ-साथ आगे बढ़ेंगे. उन्होंने कहा कि गुढ़ा ने जनता के लिए आवाज उठाई, मंत्री पद त्याग दिया, लेकिन सच्चाई का साथ नहीं छोड़ा.
हम विकास की राजनीति करेंगे: शिंदे
उल्लखनीय है कि राजस्थान में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं. इसमें शिवसेना के किस्मत आजमाने के सवाल को शिंदे ने यह कहते हुए टाल दिया कि हम क्षेत्र के विकास के लिए चुनाव लड़ते हैं, हम विकास की राजनीति करेंगे. शिंदे ने कहा कि हमें जनता के लिए जनता की प्रगति और राज्य के विकास के लिए काम करना है. महाराष्ट्र की तरह यहां भी विकास की जरूरत है. इससे पहले, शिंदे ने गुढ़ा को पार्टी का दुपट्टा पहनाया.
‘लाल डायरी’ लहराने का प्रयास
गौर हो कि गुढ़ा ने मंत्री रहते हुए 17 जुलाई को विधानसभा में कानून-व्यवस्था को लेकर अपनी ही सरकार को घेरा था, जिसके बाद उन्हें मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया गया था. उन्होंने सदन में कथित ‘लाल डायरी’ लहराने का प्रयास किया था. गुढ़ा उन छह विधायकों में से एक हैं, जिन्होंने 2018 का विधानसभा चुनाव बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के टिकट पर जीता था, लेकिन बाद में वे कांग्रेस में शामिल हो गए थे.
क्या है लाल डायरी का ‘राज’
राजस्थान की गहलोत सरकार की कानून व्यवस्था को लेकर सार्वजनिक रूप से आलोचना करने के बाद तत्काल प्रभाव से गुढ़ा को मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया गया था. इसी कड़ी में पूर्व मंत्री गुढ़ा ने दावा किया कि यह लाल डायरी उन्हें राजस्थान पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़ के घर पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आयकर विभाग की छापेमारी के दौरान मिली थी. गुढ़ा ने आरोप लगाया था कि सीएम अशोक गहलोत ने रेड के दौरान डायरी सुरक्षित करने के लिए उन्हें राठौड़ के घर जाने के लिए कहा था. गुढ़ा ने दावा किया था कि कथित तौर पर राठौड़ की ओर से लिखी गई डायरी में विधायकों को दिए गए पैसे का विवरण है और अशोक गहलोत के साथ-साथ उनके बेटे वैभव गहलोत का भी उल्लेख है.
भाजपा में जानें की लगाई जा रही थी अटकलें
पूरे घटनाक्रम के बाद झुंझुनू में राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने मीडिया से बात की थी और कहा था कि मेरा चुनाव बीजेपी के खिलाफ होता है. यहां कांग्रेस तो 4 बार से है ही नहीं. मैं चुनाव बीजेपी के खिलाफ लडूंगा… अब वो(कांग्रेस) हम पर ये आरोप लगा रहे हैं कि हम बीजेपी से मिले हुए हैं. राजस्थान महिला अत्याचार में पहले स्थान पर है. मैंने सिर्फ इतना कहा कि मणिपुर की बात करना ठीक है मगर अपने गिरेबान में झांककर देखों कि हमारे यहां क्या हो रहा है. मुझे व्यक्तिगत वोट मिलते हैं, मैं किसी पार्टी से जीतकर नहीं आता. कांग्रेस में 50% लोग अनुकंपा नियुक्ति के हैं.
भाषा इनपुट के साथ
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