धर्म संसद ने राहुल गांधी के उस वायरल वीडियो पर संज्ञान लिया, जिसमें वे मनुस्मृति को लेकर कथित रूप से आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए नजर आ रहे हैं. सभा में कहा गया कि इस बयान से उन करोड़ों हिंदू श्रद्धालुओं की भावनाओं को ठेस पहुंची है, जो मनुस्मृति को एक पवित्र ग्रंथ मानते हैं. प्रस्ताव रखते हुए विकास पाटनी ने कहा कि यह टिप्पणी अस्वीकार्य है और इसे हिंदू धर्म के मूल सिद्धांतों के विरुद्ध माना जाना चाहिए. इस पर सभी संतों और उपस्थित सदस्यों की सहमति से प्रस्ताव पारित कर दिया गया.
इसके अलावा, धर्म संसद में अमेरिका द्वारा कुछ भारतीय नागरिकों को देश से बाहर निकाले जाने के मामले को भी उठाया गया. धर्म संसद ने कहा कि यह अमेरिकी प्रशासन का अधिकार है कि वह अवैध रूप से प्रवेश करने वाले लोगों को बाहर करे, लेकिन हिरासत में लिए गए भारतीय हिंदुओं को जबरन प्रतिबंधित भोजन परोसना घोर निंदनीय कृत्य है. ऐसा प्रतीत होता है कि यह कार्य हिंदू धर्म और उनकी धार्मिक आस्था का अपमान करने के उद्देश्य से जानबूझकर किया गया है.
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शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने धर्म संसद के विचारों को अभिव्यक्त करते हुए कहा कि अमेरिकी प्रशासन का यह रवैया हिंदू विरोधी प्रतीत होता है, जिसे किसी भी रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता. उन्होंने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाली अमेरिकी सरकार की कड़ी निंदा करते हुए उनसे इस कृत्य के लिए माफी मांगने की मांग की. साथ ही, भारत सरकार से भी यह अनुरोध किया गया कि वह अमेरिकी प्रशासन की इस कार्रवाई के विरुद्ध आधिकारिक रूप से निंदा प्रस्ताव पारित करे. इस धर्म संसद में उपस्थित सभी संतों और धर्माचार्यों ने इन दोनों प्रस्तावों का समर्थन करते हुए हिंदू धर्म की रक्षा और उसकी गरिमा बनाए रखने की प्रतिबद्धता जताई.
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