Road Accident: देश में हर साल सड़क हादसे में लाखों लोगों को जान गंवानी पड़ती है. सड़क हादसों को रोकने के लिए सरकार की ओर से हर स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन हादसों को रोकने में पूरी तरह सफलता नहीं मिल पा रही है. ट्रैफिक नियमों की सख्ती के अलावा सड़क हादसों को लेकर जागरुकता अभियान भी व्यापक पैमाने पर चलाया जा रहा है. सरकार की कोशिश सड़क हादसों पर पूरी तरह लगाम लगाने की है. केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री ने गुरुवार को कहा कि देश में सड़क दुर्घटनाओं और इससे होने वाली जनहानि के लिए सिविल इंजीनियरों और सलाहकारों द्वारा तैयार की जाने वाली विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) और सड़कों के डिजाइन में खामियां जिम्मेदार है.
ग्लोबल रोड इंफ्राटेक समिट एंड एक्सपो (जीआरआईएस) को संबोधित करते हुए गडकरी ने कहा कि हादसों को कम करने के लिए सड़क सुरक्षा उपायों में व्यापक सुधार किए जाने की जरूरत है. अधिकांश सड़क दुर्घटनाएं लोगों की छोटी-छोटी गलतियों, दोषपूर्ण डीपीआर के कारण होती हैं और इसके लिए किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाता है. भारत में सबसे खराब गुणवत्ता वाली डीपीआर तैयार होती है. योजना की खामी और डिजाइन के कारण सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में वृद्धि के लिए इंजीनियरों को जिम्मेदार ठहराने की जरूरत है. सड़क दुर्घटनाओं में वृद्धि के लिए इंजीनियर, दोषपूर्ण योजना और डीपीआर जिम्मेदार है.
दूसरे देशों से है सीखने की जरूरत
गडकरी ने कहा कि सड़क निर्माण उद्योग को नयी तकनीक और टिकाऊ निर्माण सामग्री का इस्तेमाल कर सड़क सुरक्षा बढ़ाने के लिए रणनीति पर काम करना चाहिए. भारत में सड़क पर निर्देश-पट्टिका और चिह्न प्रणाली जैसी छोटी-छोटी चीजें की स्थिति अच्छी नहीं है. स्पेन, ऑस्ट्रिया और स्विट्जरलैंड जैसे देशों में सड़क निर्माण और साइनेज की सुविधा काफी बेहतर है. इसके कारण उन देशों में सड़क हादसों की संख्या काफी कम है. भारत को इन देशों से सीखने की जरूरत है.
गडकरी ने कहा कि देश में वर्ष 2023 में सड़क दुर्घटनाओं में 1.8 लाख लोगों की जान गयी. सड़क सुरक्षा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है और वर्ष 2030 तक सड़क हादसों की संख्या को आधा करने का लक्ष्य है. देश में 10 हजार किलोमीटर पर सड़क हादसे में 250 मौत होती है, जबकि अमेरिका में 57 हजार किलोमीटर पर 250 लोग की मौत होती है. सड़क हादसे के कारण जीडीपी को 2 फीसदी का नुकसान हो रहा है.