राजदंड ‘सेंगोल’ को लेकर विवाद के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने रविवार को इस मुद्दे पर सरकार और विपक्ष दोनों की दलीलों को अपनी- अपनी जगह सही बताया और अतीत के इस प्रतीक को अपनाकर वर्तमान मूल्यों को मजबूत करने का आह्वान किया.
दोनों पक्षों की दलीलें अपनी-अपनी जगह सही- थरूर
थरूर ने ट्वीट किया, ‘सेंगोल’ विवाद पर मेरा अपना विचार है कि दोनों पक्षों की दलीलें अपनी-अपनी जगह सही हैं. सरकार का तर्क सही है कि राजदंड पवित्र संप्रभुता तथा धर्म के शासन को मूर्त रूप देकर परंपरा की निरंतरता को दर्शाता है. विपक्ष का तर्क सही है कि संविधान को लोगों के नाम पर अपनाया गया था और यह संप्रभुता भारत के लोगों में, संसद में उनके प्रतिनिधित्व के रूप में मौजूद है और यह दैवीय अधिकार के तहत सौंपा गया किसी राजा का विशेषाधिकार नहीं है.
विवादास्पद और ध्यान भटकाने वाली कहानी
उन्होंने कहा, अगर सत्ता के हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में माउंटबेटन द्वारा जवाहरलाल नेहरू को दिए गए राजदंड के बारे में विवादास्पद और ध्यान भटकाने वाली कहानी, जिसका कोई प्रमाण नहीं है. इसे हटा दिया जाए तो दोनों पक्षों के रुख के बीच सामंजस्य बैठाया जा सकता है. (राजदंड संबंधी) यह एक ऐसी कहानी है जिसका कोई सबूत नहीं है.
‘‘आइए हम अतीत के इस प्रतीक को अपनाकर अपने वर्तमान मूल्यों को मजबूत करें’’
पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं तिरुवनंतपुरम से सांसद ने कहा, ‘‘आइए हम अतीत के इस प्रतीक को अपनाकर अपने वर्तमान मूल्यों को मजबूत करें.’’ आपको बाताएं कि, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को नए संसद भवन का उद्घाटन किया और ऐतिहासिक राजदंड ‘सेंगोल’ को लोकसभा अध्यक्ष के आसन के समीप स्थापित किया.
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