हालांकि थरूर की यह पोस्ट पार्टी के भीतर विवाद की वजह बन गई है. केरल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के. मुरलीधरन ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा, “पहले उन्हें यह तय करना चाहिए कि वे किस पार्टी में हैं.”
‘मुख्यमंत्री पार्टी तय करती है, सर्वे नहीं’ – मुरलीधरन
मुरलीधरन ने साफ कहा कि भले ही कोई नेता सर्वे में आगे चल रहा हो, लेकिन मुख्यमंत्री पद का फैसला पार्टी तय करती है. उन्होंने कहा, “अगर यूडीएफ 2026 में सत्ता में आती है तो मुख्यमंत्री यूडीएफ गठबंधन से ही होगा, लेकिन यह तय करने का अधिकार पार्टी नेतृत्व को है.”
उन्होंने आगे कहा, “हमारा लक्ष्य चुनाव जीतना है, न कि इस तरह के बेवजह विवादों में उलझना. कांग्रेस में कई वरिष्ठ नेता हैं जिन पर विचार किया जा सकता है। कोई सर्वे पार्टी की नीति और निर्णय का विकल्प नहीं हो सकता.”
आपातकाल पर भी थरूर के विचारों से नाखुश पार्टी
शशि थरूर द्वारा हाल ही में लिखे गए एक लेख ने भी कांग्रेस के भीतर नाराज़गी पैदा कर दी है. थरूर ने लेख में आपातकाल की आलोचना करते हुए इसे भारत के लोकतंत्र का काला अध्याय बताया और नसबंदी अभियान को “मनमाना और क्रूर” करार दिया. इस पर कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने सोशल मीडिया पर कटाक्ष करते हुए लिखा, “जब कोई सहयोगी भाजपा की बातों को शब्दशः दोहराने लगे, तो आप सोचने लगते हैं कि चिड़िया, तोता बन रही है। राजनीति में नकल अच्छी नहीं लगती.”