अवार्ड पाने वाली पहली भारतीय बनीं सुहानी
दरअसल FISM के 2025 संस्करण ने ऑनलाइन क्रिएटर्स को समर्पित एक नई श्रेणी शुरू की है. इसमें उन कलाकारों को सम्मानित किया गया जिन्होंने डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से जादू की पहुंच का विस्तार किया है. इसमें भारत की सुहानी शाह ने परचम लहरा दिया. शाह को जैक रोड्स, जेसन लाडान्ये और मोहम्मद इमानी सहित दुनियाभर के बेहतरीन कलाकारों के साथ नामांकित किया गया था. उनकी जीत अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारतीय कला के लिए एक मील का पत्थर है. सुहानी शाह इस श्रेणी में नामांकित और विजेता होने वाली पहली भारतीय हैं. वह पारंपरिक रूप से पुरुषों के वर्चस्व वाले क्षेत्र में यह सम्मान पाने वाली उन गिने-चुने महिलाओं में से एक हैं.
कौन हैं सुहानी शाह?
सुहानी शाह भारत की सबसे प्रसिद्ध मेंटलिस्ट और जादूगरों में से एक हैं. उन्होंने 7 साल की उम्र से ही जादूगरी के क्षेत्र में अपनी करियर तलाशनी शुरू कर दी थी. इतनी छोटी उम्र में ही उन्होंने शो करना शुरू कर दिया था. अब तक वो 5000 से भी ज्यादा लाइव परफॉर्मेंस कर चुकी हैं. देश विदेश में लाखों लोग उनके हुनर के कायल हैं. सुहानी शाह भारतीय मेंटालिज्म की सबसे प्रभावशाली हस्तियों में से एक बन गई हैं.
लाखों में हैं सोशल मीडिया पर उनके फॉलोअर्स
सोशल मीडिया में सुहानी शाह के फॉलोअर्स की संख्या लाखों में हैं. YouTube पर उनके 45 लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर, जबकि इंस्टाग्राम पर 21 लाख फॉलोअर्स हैं. उन्होंने डिजिटल मीडिया के माध्यम से मेंटालिज्म को लोकप्रिय बनाने में अहम भूमिका निभाई है. उनके काम में मनोवैज्ञानिक भ्रम, व्यवहार विज्ञान और कथात्मक कहानी कहने का मिश्रण है, जो उनके प्रदर्शनों को बेहद आकर्षक और समकालीन बनाता है.
क्या है FISM?
सर्वश्रेष्ठ ऑनलाइन क्रिएटर पुरस्कार FISM इटली 2025 के बिल्कुल नए ऑनलाइन मैजिक अवार्ड्स का हिस्सा है, जो उन जादूगरों का सम्मान करता है जो डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म (जैसे YouTube, Instagram, TikTok) के लिए डिजाइन की गई सामग्री बनाकर और ऑनलाइन जादू के माध्यम से वैश्विक दर्शकों को आकर्षित करके नवाचार करते हैं. फेडरेशन इंटरनेशनेल डेस सोसाइटीज़ मैजिक्स (FISM)को ‘जादू के ओलंपिक’ के रूप में सम्मानित किया जाता है. जादूगरों का पहला अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन साल 1937 में पेरिस में हुआ था. लेकिन, एक औपचारिक संगठन के रूप में FISM की स्थापना 1948 में स्विट्जरलैंड के लॉजेन में आयोजित जादूगरों की पहली विश्व कांग्रेस के दौरान हुई थी.