मकान मालिक बोलेगा, तो किराएदार को जाना ही होगा! सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा कि मकान मालिक को यह तय करने का पूरा अधिकार है कि उसकी जरूरत के लिए कौन सी संपत्ति खाली करवाई जाए. किराएदार इस पर आपत्ति नहीं जता सकता. कोर्ट ने साफ किया कि मकान मालिक की वास्तविक जरूरत को प्राथमिकता दी जाएगी, न कि किराएदार की सुविधा को.

By Aman Kumar Pandey | February 27, 2025 12:22 AM
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Supreme Court: देशभर में कई लोग अपनी संपत्तियों को किराए पर देकर आय अर्जित करते हैं, लेकिन कभी-कभी किराएदार परिसर को खाली करने से इनकार कर देते हैं. इस स्थिति में कानूनी विवाद उत्पन्न हो जाता है. इसी संदर्भ में, सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जो मकान मालिक और किराएदार दोनों के लिए जानना आवश्यक है.

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मकान मालिक को यह तय करने का पूरा अधिकार है कि उसकी आवश्यकता को पूरा करने के लिए किराए पर दी गई संपत्ति का कौन सा हिस्सा खाली कराया जाए. किराएदार इस आधार पर परिसर खाली करने से इनकार नहीं कर सकता कि मकान मालिक के पास अन्य संपत्तियां भी उपलब्ध हैं, जिनका वह उपयोग कर सकता है.

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि मकान मालिक की वास्तविक जरूरत के आधार पर किराएदार को बेदखल करने का कानून पहले से ही स्थापित है. यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि मकान खाली करवाने की इच्छा केवल स्वेच्छा से न हो, बल्कि उसकी आवश्यकता वास्तविक हो. कोर्ट ने यह भी कहा कि मकान मालिक अपनी जरूरतों को सबसे अच्छी तरह समझता है और उसे यह अधिकार है कि वह अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कौन सी संपत्ति को खाली करवाना चाहता है.

किराएदार को इस निर्णय में कोई भूमिका नहीं दी जा सकती कि मकान मालिक को कौन सी संपत्ति को किराए से मुक्त करवाना चाहिए. यदि मकान मालिक ने यह तय कर लिया है कि उसे अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किसी विशेष संपत्ति की जरूरत है, तो किराएदार इस निर्णय पर सवाल नहीं उठा सकता.

जानें क्या है पूरा मामला?

यह मामला तब सामने आया जब एक मकान मालिक ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की कि वह अपने दो बेरोजगार बेटों के लिए अल्ट्रासाउंड मशीन लगवाना चाहता है. इसके लिए उसे किराएदार से वह जगह खाली करवानी है. निचली अदालत और हाई कोर्ट दोनों ने मकान मालिक की याचिका को खारिज कर दिया था, जिसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा.

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस पंकज मिथल और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की. सुनवाई के दौरान किराएदार ने तर्क दिया कि मकान मालिक के पास अन्य संपत्तियां भी हैं, इसलिए वह किसी अन्य संपत्ति को खाली करवाकर अपनी जरूरत पूरी कर सकता है.

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सुप्रीम कोर्ट ने किराएदार की दलील को खारिज किया

सुप्रीम कोर्ट ने किराएदार की इस दलील को खारिज कर दिया और कहा कि यदि मकान मालिक की आवश्यकता वास्तविक है और वह किसी विशेष संपत्ति को खाली करवाना चाहता है, तो किराएदार उस पर अपनी सुविधानुसार कोई दूसरा स्थान खाली करवाने का दबाव नहीं डाल सकता.

कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि मकान मालिक ने अपनी संपत्ति का कोई विशेष भाग खाली करवाने का फैसला किया है, तो उसे किसी अन्य किराएदार को हटाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता. इस मामले में भी मकान मालिक ने सही निर्णय लिया क्योंकि जिस जगह की बात हो रही थी, वह एक मेडिकल क्लिनिक और पैथोलॉजिकल सेंटर के बगल में स्थित थी, जो अल्ट्रासाउंड मशीन लगाने के लिए सबसे उपयुक्त स्थान था.

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से स्पष्ट हो गया है कि मकान मालिक के पास यह अधिकार है कि वह अपनी संपत्ति को अपनी जरूरत के हिसाब से उपयोग कर सके. किराएदार यह तय नहीं कर सकता कि मकान मालिक को कौन सी संपत्ति को खाली करवाना चाहिए. हालांकि, मकान मालिक की जरूरत वास्तविक होनी चाहिए और केवल इच्छा के आधार पर किराएदार को हटाना कानूनी रूप से उचित नहीं होगा. यह फैसला उन मकान मालिकों के लिए राहत की खबर है, जो अपनी संपत्ति को किराए पर देते हैं और जरूरत पड़ने पर उसे रिक्त करवाने की कठिनाइयों का सामना करते हैं.

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