सुप्रीम कोर्ट ने कहा, रिश्तों में आई दरार खत्म नहीं होने पर टूट सकती है शादी

पीठ ने कहा कि हमने व्यवस्था दी है कि इस अदालत के लिए किसी शादीशुदा रिश्ते में आई दरार के भर नहीं पाने के आधार पर उसे खत्म करना संभव है. न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत उसके अधिकारों के प्रयोग से संबंधित कई याचिकाओं पर यह फैसला सुनाया.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 1, 2023 1:28 PM
an image

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को व्यवस्था दी कि वह जीवनसाथियों के बीच आई दरार भर नहीं पाने के आधार पर किसी शादी को खत्म कर सकता है. न्यायमूर्ति एसके कौल की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि सर्वोच्च अदालत को संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत पूरा न्याय करने का अधिकार है. संविधान का अनुच्छेद 142 शीर्ष अदालत के समक्ष लंबित किसी मामले में ‘संपूर्ण न्याय’ करने के लिए उसके आदेशों के क्रियान्वयन से संबंधित है. पीठ में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति ए एस ओका, न्यायमूर्ति विक्रमनाथ और न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी भी शामिल हैं.

पीठ ने कहा कि हमने व्यवस्था दी है कि इस अदालत के लिए किसी शादीशुदा रिश्ते में आई दरार के भर नहीं पाने के आधार पर उसे खत्म करना संभव है. न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत उसके अधिकारों के प्रयोग से संबंधित कई याचिकाओं पर यह फैसला सुनाया. सर्वोच्च अदालत ने पिछले साल 29 सितंबर को मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा था.

सामाजिक परिवर्तनों में लगता है वक्त

पीठ ने दलीलों पर सुनवाई करते हुए कहा कि सामाजिक परिवर्तनों में थोड़ा समय लगता है और कई बार कानून बनाना आसान होता है, लेकिन समाज को इसके साथ बदलाव के लिए मनाना मुश्किल होता है. पीठ इस बात पर भी विचार कर रही थी कि क्या अनुच्छेद 142 के तहत इसकी व्यापक शक्तियां ऐसे परिदृश्य में किसी भी तरह से अवरुद्ध होती हैं, जहां किसी अदालत की राय में शादीशुदा संबंध इस तरह से टूट गया है कि जुड़ने की संभावना नहीं है, लेकिन कोई एक पक्ष तलाक में अवरोध पैदा कर रहा है.

दिल्ली हाईकोर्ट के दो जजों ने ली शपथ

उधर, एक खबर यह भी है कि दिल्ली हाईकोर्ट के दो अतिरिक्त न्यायाधीशों को सोमवार को पद की शपथ दिलाई गई, जिसके बाद अब अदालत में न्यायाधीशों की संख्या 47 हो गई. मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा ने अन्य न्यायाधीशों और वकीलों की उपस्थिति में अदालत परिसर में आयोजित शपथग्रहण समारोह में न्यायमूर्ति गिरीश कठपालिया और न्यायमूर्ति मनोज जैन को शपथ दिलाई. केंद्र ने 27 अप्रैल को दो न्यायाधीशों की नियुक्ति को मंजूरी दी थी.

Also Read: समलैंगिक विवाह केस पर आया कंगना रनौत का रिएक्शन, बोलीं- ‘…पसंद को बिस्तर तक रखें, हर जगह…’

अप्रैल में सीजेआई ने की थी सिफारिश

इससे पहले, अप्रैल में भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने केंद्र को दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए न्यायिक अधिकारियों, न्यायमूर्ति कठपालिया और न्यायमूर्ति जैन के नामों की सिफारिश की थी. न्यायाधीशों की नियुक्ति के आदेश में कहा गया कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 224 के खंड (1) द्वारा प्रदत्त शक्ति का प्रयोग करते हुए, राष्ट्रपति सर्वश्री (1) गिरीश कठपालिया और (ii) मनोज जैन को दिल्ली उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप, दो साल के लिए नियुक्त करती हैं. यह नियुक्ति उस तारीख से प्रभावी होगी, जबसे वे अपने संबंधित कार्यालयों का प्रभार ग्रहण करेंगे. हाईकोर्ट में फिलहाल 10 महिला न्यायाधीशों सहित 47 न्यायाधीश हैं, जबकि न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या 60 है.

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version