मुंबई : कोविड-19 के संक्रमित मरीजों में घातक फंगल संक्रमण का चिकित्सकों ने दावा किया है. उन्होंने बताया है कि समय पर इलाज नहीं किया जाता है, तो कोविड-19 से स्वस्थ्य होनेवाले मरीजों में ये इंफेक्शन मरीजों को हो रहा है. इस संक्रमण का नाम है म्यूकोर्माइकोसिस. इस संक्रमण के कारण कई मरीजों में अंधापन, अंग की शिथिलता, शरीर के ऊतकों की हानि और यहां तक की मौत का कारण बनता है. विशेषज्ञों के मुताबिक, म्यूकोर्माइकोसिस के संक्रमण की संभावना को कम करने के लिए डायबिटीज को नियंत्रण में रखना जरूरी है.
हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक, महाराष्ट्र के धुले निवासी शैला सोनार को एक अगस्त को कोविड-19 का पता चला था. करीब 15 दिनों तक वायरस से लड़ने के बाद वह सफलतापूर्वक संक्रमण से उबर गयीं. लेकिन, इसके बाद उन्हें मुंह में दर्द की शिकायत हुई और सूजन हो गया. सर्दी समझ कर उन्होंने स्थानीय चिकित्सक से उपचार कराया. दिसंबर में उनकी हालत बिगड़ने लगी, तो परिवार के सदस्यों ने मुंबई ले आये. एंबुलेन्स में ही म्यूकोर्माइकोसिस की सर्जरी की गयी और उन्हें एक दिसंबर को परेल स्थित ग्लोबल अस्पताल में भर्ती कराया गया.
अस्पताल के वरिष्ठ सलाहकार सह ईएनटी सर्जन डॉ मिलिंद नवलखे के मुताबिक, शैला के मुंह के अंदर फंगल संक्रमण फैल गया था. उसने शैला के तालू को भी संक्रमित कर दिया था. संक्रमण फैलने से रोकने के लिए आंशिक रूप से तालू को हटाना पड़ा. ऐसा नहीं करने पर यह मस्तिष्क तक पहुंच सकता था, जो काफी घातक हो सकता था.
सर्जरी के बाद शैला का चेहरा खराब हो गया है. अब कुछ सालों के बाद उसे प्लास्टिक सर्जरी की जरूरत होगी. शैला की 20 वर्षीया बेटी साक्षी महाले के मुताबिक, कभी सोचा नहीं था कि फंगल संक्रमण से मेरी मां को इस तरह का नुकसान हो सकता है. हालांकि, वह पूरी तरह से स्वस्थ्य हो गयी हैं. इसके बावजूद उन्हें बात करने में समस्या होती है. उनका उच्चारण स्पष्ट नहीं होता है.
वरिष्ठ चिकित्सीय सलाहकार डॉ अमोल पाटिल के मुताबिक, सोनार का मामला अकेला नहीं है. नानावती अस्पताल के ईएनटी में फंगल को साफ करने के लिए 30 वर्षीय एक मरीज की आंख को निकालना पड़ा, जो साइनस को संक्रमित कर रहा था. उसके सिर के पीछे हवा की छोटी थैली हो गयी थी, जो नाक, चीकबोन्स और आंखों के बीच में संक्रमित कर दिया था. बाद में चिकित्सकों ने आंख प्रत्यारोपित किया.
डॉ नवलखे के मुताबिक, डायबिटीज के मरीजों में संक्रमण फैलने की संभावना अधिक होती है. म्यूकोर्माइकोसिस एक फंगल रोग है, जो आमतौर पर समझौता प्रतिरक्षा स्थिति वाले मरीजों में होता है. पिछले तीन महीनों के अंदर कोविड-19 के 50 फीसदी प्रतिरक्षा वाले मरीज मिले हैं, जिनमें डायबिटीज या स्टेरॉयड के रूप में फंगल संक्रमण का पता चला. सर्दी या नाक ब्लॉक की तुलना में यह संक्रमण अलग लक्षण का नहीं दिखता है.
तीन महीनों में म्यूकोर्माइकोसिस के मरीजों का इलाज करनेवाले चिकित्सक डॉ पाटिल ने कहा कि शुरुआत में नाक और तालू के अंदरूनी हिस्से पर कालापन या रंगहीन होना देखा जाता है. इसलिए शुरुआत में किसी का ध्यान इस ओर नहीं जाता. मुंबई में पहला म्यूकोर्माइकोसिस क्लिनिक ग्लोबल हॉस्पिटल में हाल ही में शुरू किया गया है. अधिकतर मरीज साइनस संक्रमण के लिए यहां आये थे. लेकिन, शुरुआती लक्षण में आंखों के संचलन को देखा. एडवान्स्ड मामलों में दृष्टि हानि और मस्तिष्क तक संक्रमण का फैलाव दिखा, जो मरीज के जीवन के लिए खतरा पैदा करनेवाले प्रभाव हैं.
चिकित्सक के मुताबिक, संक्रमण कोशिकाओं को मारता है. इसके उपचार के लिए मृत कोशिकाओं को हटाने और आसपास की कोशिकाओं को संक्रमित होने पर अंकुश लगाने की जरूरत होती है. वहीं, एलएच हीरानंदानी अस्पताल के वरिष्ठ ईएनटी सर्जन डॉ रविकिरा वर्नेकर के मुताबिक, साइनस सबसे आम बीमारी का लक्षण है, जिसमें नाक बंद होना, नाक बहना और साइनस पेन है. परेल स्थित ग्लोबल अस्पताल के चिकित्सक डॉ वसंत नागवेकर ने कहा कि संक्रमण की संभावना को कम करने के लिए डायबिटीज को नियंत्रण में रखना जरूरी है.
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