Tahawwur Rana: भाजपा और कांग्रेस में राणा के प्रत्यर्पण का श्रेय लेने की होड़

कांग्रेस का कहना है कि यूपीए सरकार के रणनीतिक कूटनीति के कारण राणा का प्रत्यर्पण संभव हो पाया है. वहीं भाजपा का कहना है कि यूपीए सरकार का रुख आतंकवाद के प्रति हमेशा से नरम रहा.

By Anjani Kumar Singh | April 10, 2025 6:54 PM
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Tahawwur Rana: मुंबई हमले का साजिशकर्ता तहव्वुर राणा प्रत्यर्पण के तहत भारत पहुंच चुका है. राणा के प्रत्यर्पण को लेकर भाजपा और कांग्रेस में श्रेय लेने की होड़ लग गयी है. कांग्रेस का कहना है कि यूपीए सरकार के रणनीतिक कूटनीति के कारण राणा का प्रत्यर्पण संभव हो पाया है, वहीं भाजपा का कहना है कि यूपीए सरकार का आतंकवाद के प्रति हमेशा से नरम रवैया रहा. कांग्रेस वोट बैंक के डर से आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने से बचती रही. 


पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण पर बयान देते हुए कहा है कि खुशी है कि 26/11 मुंबई आतंकवादी हमलों के मुख्य आरोपियों में से एक तहव्वुर हुसैन राणा को भारत प्रत्यर्पित कर दिया गया. लेकिन देश के लोगों को इस प्रत्यर्पण की पूरी कहानी बताना जरूरी है. मोदी सरकार इसका श्रेय ले रही है. जबकि सच्चाई यह है कि राणा का प्रत्यर्पण यूपीए सरकार के कठिन, परिश्रम और रणनीतिक कूटनीति का परिणाम है. चिदंबरम ने कहा कि राणा के प्रत्यर्पण के दिशा में पहली बड़ी कार्रवाई 11 नवंबर 2009 को हुई.

एनआईए ने दिल्ली में डेविड कोलमैन हेडली (अमेरिकी नागरिक), तहव्वुर राणा (कनाडाई नागरिक) और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया. अमेरिकी एजेंसी एफबीआई ने वर्ष 2009 में राणा को शिकागो से गिरफ्तार किया, जब वह कोपेनहेगन में आतंकी हमले की साजिश में लश्कर-ए-तैयबा की मदद कर रहा था. 


कानूनी और कूटनीतिक प्रयास रहे जारी

चिदंबरम ने कहा कि जून 2011 में अमेरिकी अदालत ने राणा को 26/11 हमले के आरोप से बरी कर दिया, लेकिन अन्य मामलों में उसे दोषी ठहराते हुए 14 साल की सजा सुनाई. चिदंबरम ने कहा कि कानूनी अड़चनों के बावजूद यूपीए सरकार ने कूटनीति और कानूनी लड़ाई जारी रखी. वर्ष 2011 में एनआईए की एक तीन सदस्यीय टीम अमेरिका जाकर हेडली से पूछताछ की और अमेरिका ने कई सबूत भारत को दिए. यह सबूत दिसंबर 2011 में दायर एनआईए की चार्जशीट का हिस्सा बने. एनआईए की विशेष अदालत ने गैर- जमानती वारंट जारी किया और फरार आरोपियों के खिलाफ इंटरपोल ने रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी किए. 

वर्ष 2012 में विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद और विदेश सचिव रंजन मथाई ने अमेरिकी विदेश सचिव हिलेरी क्लिंटन और अंडर सेक्रेटरी वेंडी शेरमन से राणा और हेडली के प्रत्यर्पण की मांग की.अमेरिका में भारत की तत्कालीन राजदूत निरुपमा राव ने इस मुद्दे को लगातार अमेरिकी प्रशासन के समक्ष उठाया. वर्ष 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद यूपीए सरकार के दौरान शुरू की गयी प्रक्रिया को ही आगे बढ़ाया गया. पी चिदंबरम ने मोदी सरकार पर श्रेय लेने की आरोप लगाते हुए कहा कि फरवरी 2025 में प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप एक प्रेस कांफ्रेंस में इसका श्रेय लेने की कोशिश की. 


आतंकवाद को लेकर कांग्रेस का था ढुलमुल रवैया

वहीं भाजपा का कहना है कि यूपीए सरकार के दौरान आतंकवाद को लेकर हमेशा लचर रवैया अपनाया. क्योंकि कांग्रेस को डर था कि आतंकवाद के खिलाफ कड़े कदम उठाने से वोट बैंक छिटक सकता है. भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने गुरुवार को कहा कि आतंकी हमलों के लिए अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान को कटघरे में खड़ा करने की बजाय यूपीए सरकार के दौरान आतंकी हमले का दोष भारतीय एजेंसियों और लोगों पर डालने की कोशिश की गयी. मुंबई हमले के बाद आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की बजाय यूपीए सरकार आतंकियों को क्लीन चिट देने का काम कर रही थी.

वहीं कांग्रेस नेता इस हमले का आरोप संघ पर लगाने के लिए फर्जी कहानी गढ़ने में व्यस्त थे.भाजपा प्रवक्ता ने कहा, कांग्रेस नेता ने कहा कि महाराष्ट्र एटीएस के प्रमुख रहे हेमंत करकरे की हत्या आतंकियों ने नहीं बल्कि पुलिस ने की थी. कांग्रेस आतंकी राणा के प्रत्यर्पण पर खुशी जाहिर करने की बजाय वोट बैंक को खुश करने का काम कर रही है. मुंबई हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने से सेना को रोकने का काम यूपीए सरकार ने किया. 

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