Tirupati Temple: मंदिर सेवा में लापरवाही, TTD ने ईसाई आस्था वाले 4 कर्मचारियों को किया सस्पेंड

Tirupati Temple: तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) ने श्री वेंकटेश्वर मंदिर में कार्यरत 4 कर्मचारियों को निलंबित किया है. इन पर ईसाई धर्म का पालन करने और संस्थागत नियमों का उल्लंघन करने का आरोप है. कार्रवाई विजिलेंस रिपोर्ट के आधार पर की गई.

By Shashank Baranwal | July 20, 2025 11:50 AM
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Tirupati Temple: तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) ने आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित प्रसिद्ध श्री वेंकटेश्वर मंदिर में कार्यरत 4 कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है. इन कर्मचारियों पर गैर हिन्दू और दूसरे धर्म के आस्था की प्रैक्टिस करने का आरोप है. TTD की विजिलेंस विभाग की तरफ से पेश की गई रिपोर्ट के बाद यह कार्रवाई की गई है.

ये चार अधिकारी हुए निलंबित

तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम ने आधिकारिक बयान में संस्थागत नियमों का उल्लंघन का हवाला दिया है. इन पर एक हिंदू धार्मिक संस्थान में अपने कर्तव्यों का पालन न करने के लिए इन कर्मचारियों पर कार्रवाई की गई.

  • बी. एलिजार – डिप्टी एग्जीक्यूटिव इंजीनियर
  • एस. रोजी – स्टाफ नर्स, BIRD अस्पताल
  • एम. प्रेवती – ग्रेड-1 फार्मासिस्ट, BIRD अस्पताल
  • डॉ. जी. असुंथा – एसवी आयुर्वेद फार्मेसी

ईसाई धर्म का पालन करने का आरोप

देवस्थानम ने अपने बयान में कहा कि ये चारों कर्मचारी कथित तौर पर ईसाई धर्म का पालन कर रहे थे, जो कि TTD के आचार संहिता का उल्लंघन कर रहे थे. इसके अलावा, उन पर आरोप है कि ये अपने कर्तव्यों को ठीक तरह से पालन नहीं कर रहे थे. दरअसल, TTD अन्य धर्मों की प्रैक्टिस कर रहे कर्मचारियों को मंदिर से हटा रही है.

5 कर्मचारी निलंबित

इससे पहले 8 जुलाई को सहायक कर्मचारी अधिकारी ए राजशेखर बाबू को पद से निलंबित कर दिया था, क्योंकि वे हर रविवार तिरुपति जिले के पुत्तूर में स्थानीय चर्च में जाकर प्रार्थना में शामिल होते थे. ऐसे में अभी तक कुल 5 कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया है.

प्रसाद के साथ हुई छेड़छाड़ के बाद लिया गया निर्णय 

सूत्रों के मुताबिक, TTD बोर्ड ने किसी भी गैर- हिन्दू को मंदिर में काम करने की इजाजत नहीं देने का फैसला लिया है. यह कदम पिछले साल तिरुपति मंदिर के प्रसाद में हुई छेड़छाड़ के बाद उठाया गया है. दरअसल, 18 नवंबर को TTD के नए अध्यक्ष बी आर नायडू के नेतृत्व में बोर्ड की पहली बैठक हुई थी, जिसमें गैर हिन्दुओं के ट्रांसफर और मंदिर परिसर में राजनीतिक भाषणों पर रोक लगाने का फैसला हुआ था.

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