Indian Military Base in Indian Ocean: अफ्रीकी देश जिबूती (Djibouti) में अपना पहला सैन्य ठिकाना बनाने वाले चीन (China) की नकेल कसने के लिए भारत हिंद महासागर (Indian Ocean) में स्थित एक छोटे से द्वीप पर अपना मिलिट्री बेस (Indian Military Base) बना रहा है. इस पर सरकार 630 करोड़ रुपये खर्च कर रही है. हिंद महासागर में दादागीरी दिखाने की कोशिश करने वाले चीन को रोकने के लिए भारत ने इस क्षेत्र में अपने 8 युद्धपोत उतार दिये, तो ड्रैगन को यह नागवार गुजरा.
दरअसल, हिंद महासागर (Hind Mahasagar) के रास्ते ही भारत का सबसे ज्यादा व्यापार होता है. लेकिन, विस्तारवादी सोच रखने वाला चीन इस पूरे क्षेत्र पर अपना कब्जा जमाना चाहता है. अमेरिका को चुनौती देने की कोशिश कर रहे चीन को जवाब देने के लिए ही भारत ने हिंद महासागर में मॉरीशस के एक छोटे से द्वीप अगालेगा (Agalega Island) में अपना सीक्रेट सैन्य ठिकाना बनाना शुरू कर दिया है.
अनंत विस्तार वाले हिंद महासागर का एक बेहद छोटा और सुनसान टापू है अगालेगा. इंटरनेशनल न्यूज चैनल अल जजीरा ने एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत समंदर में अपनी ताकत और वर्चस्व बढ़ाना चाहता है. इसलिए सूने टापू पर खुफिया नौसैनिक अड्डा (Naval Base) बना रहा है. अल जजीरा का यह दावा समुद्र में भारत की दमदार मौजूदगी की ओर इशारा करता है.
अल जजीरा ने कहा है कि मॉरीसस के उत्तर में करीब 1100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित अगालेगा द्वीप में भारत अपना सैन्य बेस तैयार कर रहा है. निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है. 12 कलोमीटर लंबे और 1.5 किलोमीटर चौड़े इस द्वीप पर इंटरनेशनल लेवल की 3 किमी लंबी हवाई पट्टी बन रही है. जेटी का भी निर्माण हो रहा है. इसका मकसद युद्धपोतों को खड़ा करना और एयरपोर्ट पर विमानों को आसानी से उतारा जा सके.
बताया जा रहा है कि यहां बन रहे रन-वे का इस्तेमाल पी-8आई एयरक्राफ्ट (P-8I Aircraft) को उतारने के लिए किया जायेगा. पी-8आई एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल समुद्र की पैट्रोलिंग (Sea Patrolling) के लिए किया जाता है. इसका उपयोग सर्विलांस, एंटी सरफेस और एंटी सबमरीन गतिविधियों में भी किया जा सकता है. जेटी पर बड़े-बड़े जहाजों और युद्धपोतों को डॉक करने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल किया जा रहा है.
अगालेगा द्वीप पर महज 350 लोग रहते होंगे, ऐसा अनुमान है. इसी द्वीप के आसपास अमेरिका, फ्रांस और चीन के सैन्य अड्डे भी मौजूद हैं. अमेरिका का सैन्य अड्डा डिएगो गार्सिया है, तो फ्रांस का रियूनियों और चीन का सैन्य अड्डा जिबूती है. चीन की चाल को नाकाम करने के उद्देश्य से ही भारत ने अगालेगा में अपना नौसैनिक अड्डा (Indian Naval Base at Agalega) बनाना शुरू किया है.
यहां बताना प्रासंगिक होगा कि भारत हिंद महासागर को अपना आंगन (बैकयार्ड) करार देता है. दुनिया भर के देश इसे अपना सैन्य अड्डा बनाने में जुटे हैं. जब चीन ने यहां अपना ठिकाना बना लिया है, तो भारत को अपनी मौजूदगी दर्ज करानी ही थी. सो, सामरिक और व्यापारिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण हिंद महासागर में भार भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए पूरे दम-खम के साथ तैयार है. बता दें कि विश्व के दो तिहाई ईंधन की सप्लाई इसी समुद्री क्षेत्र से होती है.
अल जजीरा का मानना है कि अगालेगा में भारत का सैन्य प्रतिष्ठान एक तरह से हिंद महासागर में सामरिक शक्ति का संतुलन बनाये रखने का काम करेगा. इंटरनेशनल चैनल ने नयी दिल्ली स्थित रिसर्च थिंक टैंक ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के फेलो अभिषेक मिश्रा के हवाले से कहा है कि यह भारत के लिए इंटेलिजेंस फैसिलिटी है. इसके जरिये भारत दक्षिण पश्चिम हिंद महासागर और मोजांबिक चैनल में अपनी हवाई और नौसैनिक उपस्थिति दर्ज करायेगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2015 में मॉरीशस यात्रा के दौरान कई समझौते किये. इसमें अगालेगा द्वीप को विकसित करना शामिल था.मॉरीशस के पीएम प्रवीण जगन्नाथ के कम्युनिकेशन सलाहकार केन एरिन ने कहा है कि अगालेगा में भारत और मॉरीशस के बीच सैन्य अड्डा बनाने के लिए कोई समझौता नहीं हुआ है.
सामरिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण हिंद महासागर के इस द्वीप के आसपास महाशक्तियों के सैन्य अड्डे हैं. भारत के दक्षिणी छोर से दक्षिणी-पश्चिमी हिंद महासागर के बीच पड़ने वाले इस द्वीप के दक्षिण में रीयूनियों द्वीप है. यहां फ्रांस का सैन्य ठिकाना है. अगालेगा के पूर्व में अमेरिकी सैन्य अड्डा डिएगो गार्सिया है. इसके ठीक ऊपर मालदीव है, जहां चीन ने बड़े पैमाने पर निवेश किया है. दूसरी तरफ, जिबूती में भी उसने अपनी पकड़ मजबूत बना ली है. इसलिए भारत का इस क्षेत्र में मजबूत होना बेहद जरूरी है.
Posted By: Mithilesh Jha
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