जम्मू : जम्मू-कश्मीर में यूपीए का वजूद संकट में है. कांग्रेस का नेशनल कॉन्फ्रेन्स से गठबंधन टूट के कगार पर है. अनुच्छेद 370 और 35ए पर कश्मीर के क्षेत्रीय दलों की एकजुटता ने कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ायी हैं. दरअसल, कांग्रेस इस मुद्दे पर अब भी असमंजस में है.
कांग्रेस की प्रांतीय नेतृत्व अनुच्छेद 370 और 35ए के खिलाफ कश्मीरी दलों के साथ खड़ा होना चाहता है, लेकिन पार्टी को केंद्रीय नेतृत्व को इससे पूरे देश में नुकसान का खतरा दिखता है. इस असमंजस के कांग्रेस का नेशनल कांफ्रेंस से गठबंधन टूट सकता है.
गठबंधन में टूट के असमंजस के कारण कांग्रेस ने कश्मीरी दलों की बैठक से खुद को अलग रखा. अब आलाकमान पर प्रांतीय नेताओं का दवाब बढ़ रहा है. पिछले चुनावों में कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस ने मिल कर चुनाव लड़े. लेकिन, अब स्थित बदल रही है. इसमें कांग्रेस के अलग-थलग पड़ने का खतरा बढ़ा है.
कश्मीरी दलों की बैठक के बाद पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती, पीपुल्स कांफ्रेंस अध्यक्ष सज्जाद लोन, पीपुल्स मूवमेंट के नेता जावेद मीर और सीबीआईएम नेता मोहम्मद यूसुफ तारिगामी ने गठबंधन बनाने का फैसला किया.
नेशनल कांफ्रेंस अध्यक्ष डॉक्टर फारूक अब्दुल्ला के आवास पर बुलायी गयी बैठक में गुपकार डिक्लेरेशन का नाम बदलकर पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन कर दिया गया. इस बैठक में कांग्रेस को भी आमंत्रित किया गया था, परंतु उनका कोई प्रतिनिधि इस बैठक में शामिल नहीं हुआ.
फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि हमारे जो हक छीने गये हैं, उन्हें वापस लेने की सांविधानिक लड़ाई जारी रहेगी. सभी हितधारकों से बातचीत कर कश्मीर मसले का सियासी हल निकालने की भी बात की जायेगी. उधर, कांग्रेस के जम्मू-कश्मीर अध्यक्ष सफाई दे रहे हैं कि वे मेडिकल इमरजेंसी के चलते बैठक में शामिल नहीं हुए.
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