US Strikes Iran: एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने ईरान के 3 परमाणु संयंत्रों पर अमेरिकी हमले और इजरायल और ईरान के बीच चल रहे संघर्ष पर कहा, “क्या पाकिस्तान के जनरल (सेना प्रमुख असीम मुनीर) ने इसके लिए अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ लंच किया था? आज वे सभी बेनकाब हो गए हैं. हमें पाकिस्तानियों से पूछना चाहिए कि क्या वे चाहते हैं कि इसके लिए ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार मिले.”
#WATCH | Hyderabad | "…The US policy is only to cover up the crimes of the Israeli government. What is happening in Gaza is a genocide, and no one is talking about it. Why is there no one asking how many nuclear waterheads Israel has?… The bombing of these three or four… pic.twitter.com/DvQU0iEqUP
— ANI (@ANI) June 22, 2025
अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन है : ओवैसी
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, “यह अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन है… ऐसा करने से मुझे यकीन है कि ईरान आने वाले पांच सालों में एक परमाणु शक्ति संपन्न देश बन जाएगा. हमले से पहले ईरान ने अपने भंडार को स्थानांतरित कर दिया होगा. यह कोई निवारक नहीं होगा. कई अरब देशों को लगेगा कि उन्हें परमाणु क्षमता की आवश्यकता है.”
अमेरिकी नीति केवल इजरायल सरकार के अपराधों को छिपाने की है : ओवैसी
ओवैसी ने कहा, “अमेरिकी नीति केवल इजरायल सरकार के अपराधों को छिपाने की है. गाजा में जो हो रहा है, वह नरसंहार है और कोई भी इसके बारे में बात नहीं कर रहा है. कोई यह क्यों नहीं पूछ रहा है कि इजरायल के पास कितने परमाणु भंडार हैं?… ईरान में इन तीन या चार जगहों पर अमेरिका द्वारा बमबारी करने से वे नहीं रुकेंगे. मेरे शब्दों पर ध्यान दें, यहां तक कि ईरान भी अगले 5 से 10 सालों में ऐसा करेगा, यहां तक कि अन्य देश भी ऐसा करेंगे क्योंकि अब उन्हें एहसास हो गया है कि परमाणु बम और परमाणु हथियार होना ही इजरायल के आधिपत्य के खिलाफ एकमात्र निवारक है.”
खाड़ी और मध्य पूर्व में युद्ध छिड़ी, तो 16 मिलियन भारतीयों पर पड़ेगा प्रभाव
ओवैसी ने कहा, “हमें यह भी याद रखना चाहिए कि खाड़ी और मध्य पूर्व में 16 मिलियन से ज़्यादा भारतीय रहते हैं और अगर उस क्षेत्र में युद्ध छिड़ जाता है, जिसकी दुर्भाग्य से बहुत संभावना है, तो इसका वहां रहने वाले भारतीयों पर बहुत बुरा असर पड़ेगा. भारतीय कंपनियों ने इन सभी अरब देशों या खाड़ी देशों में जो निवेश किया है, और विदेशी निवेश का एक बड़ा हिस्सा इसी क्षेत्र से आता है. और अंत में, ईरान के पास परमाणु हथियार होने या यह और वह होने के बारे में बहुत ज्यादा चर्चा की गई है, इराक में भी यही हुआ था, सामूहिक विनाश के हथियार. कुछ भी नहीं निकला.”
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