निर्माणाधीन सिलक्यारा-बरकोट सुरंग में फंसे 41 मजदूरों के बाहर आने का इंतजार पूरे देश को है. इस बीच राहत बचाव कार्य में तेजी आई है. सुरंग के अंदर मैनुअल ड्रिलिंग चल रही है और पाइप को धकेलने के लिए बरमा मशीन का उपयोग किया जा रहा है. न्यूज एजेंसी एएनआई ने राहत बचाव का ताजा वीडियो मंगलवार सुबह जारी किया और जानकारी दी कि लगभग 2 मीटर की मैन्युअल ड्रिलिंग पूरी हो चुकी है.
#WATCH | Uttarkashi (Uttarakhand) tunnel rescue | Visuals from the Silkyara tunnel where the operation to rescue 41 workers is ongoing.
— ANI (@ANI) November 28, 2023
Manual drilling is going on inside the rescue tunnel and auger machine is being used for pushing the pipe. As per the last update, about 2… pic.twitter.com/26hw32fChI
इससे पहले सोमवार को खबर आई थी कि वैकल्पिक रास्ता तैयार करने के लिए रविवार को सुरंग के ऊपर से शुरू की गयी ड्रिलिंग 36 मीटर तक पहुंच गयी. इसके तहत 1.2 मीटर व्यास के पाइपों को सुरंग के शीर्ष से नीचे की ओर डाला जायेगा. बताया जा रहा है कि मजदूरों तक पहुंचने के लिए कुल 86 मीटर तक ड्रिलिंग की जानी है, जिसमें से 50 मीटर तक ड्रिलिंग करना अभी बाकी है.
इस बीच सबके मन में सवाल आ रहा है कि आखिर कौन हैं रैट माइनर्स? तो आपको बता दें कि पतले से पैसेज में चूहों की तरह अंदर जाकर ड्रिल करने वाले मजदूरों को रैट माइनर्स कहते हैं. इस तरह से ड्रिल करने के किए स्पेशल ट्रेनिंग, स्किल और काफी अभ्यास की जरूरत होती है.
रैट माइनर्स की बात करें तो ये दो-दो के समूह में 800 मीटर व्यास वाले पाइपों में प्रवेश करेंगे. इसके लिए फ्रेम पहले से ही तैयार थे. माइनर्स आधा मीटर से लेकर एक मीटर की दूरी लेते हुए खुदाई करते हुए धीरे-धीरे आगे बढ़ने का काम करेंगे.
‘रैट होल’ ड्रिलिंग तकनीक के विशेषज्ञ ने जो जानकारी दी है उसके अनुसार इस दौरान एक व्यक्ति ड्रिलिंग करेगा, दूसरा मलबे को इकटठा करेगा और तीसरा मलबे को बाहर निकालने के लिए उसे ट्रॉली पर रखेगा. आपको बता दें कि इस तकनीक के बाद मजदूरों के जल्दी बाहर आने की उम्मीद बढ़ गई है.
इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रमुख सचिव डॉ. पी के मिश्र सोमवार को सिलक्यारा पहुंचे. यहां उन्होंने 12 नवंबर से फंसे श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए चलाए जा रहे बचाव कार्यों का जायजा लिया. उन्होंने सुरंग के अंदर चल रहे बचाव कार्य की बारीकियों को समझा, साथ ही अधिकारियों के साथ बचाव कार्य में जुटे इंजीनियर और श्रमिकों से बात करके उनका हौसला बढ़ाने का काम किया.
जहां एक ओर पूरा देश मजदूरों के बाहर आने के लिए दुआ मांग रहा है. वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को मजदूरों की सुरक्षित निकासी के लिए ‘कोटि दीपोत्सवम’ में प्रार्थना की.
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