जगदीप धनखड़ अपनी स्पष्टवादी छवि और सक्रिय जीवनशैली के लिए जाने जाते हैं. 73 साल की उम्र में भी उनकी कार्यशैली काफी प्रभावशाली है, विशेष रूप से राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान उनकी दक्षता देखी जाती है.
धनखड़ का राजनीतिक सफर काफी लंबा रहा है. उन्हें पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनाए जाने के बाद उन्होंने खासा सुर्खियां बटोरी थीं. राज्यपाल रहते हुए उनका तत्कालीन सत्तारूढ़ दल टीएमसी के साथ टकराव अक्सर चर्चा का विषय बनता था. उनके इसी सख्त रुख और सक्रिय राजनीति के चलते उन्हें 2022 में उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया और वे इस पद पर निर्वाचित हुए.
जगदीप धनखड़ का जन्म राजस्थान के झुंझुनू जिले में हुआ था. उनकी शिक्षा चित्तौरगढ़ सैनिक स्कूल में हुई और इसके बाद उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की. अपनी कानूनी दक्षता के चलते 1987 में उन्हें हाई कोर्ट बार एसोसिएशन का अध्यक्ष चुना गया था.
धनखड़ ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1989 में जनता दल के टिकट पर झुंझुनू से चुनाव लड़कर की थी और सांसद बने थे. जनता दल में विभाजन के बाद वे देवेगौड़ा के गुट में शामिल हो गए थे. बाद में कांग्रेस में शामिल होकर उन्होंने अजमेर से चुनाव लड़ा लेकिन हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का दामन थामा और किशनगढ़ विधानसभा सीट से विधायक बने. धनखड़ ने अपने राजनीतिक जीवन में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है और उनकी बेबाक छवि के कारण वे हमेशा चर्चा में बने रहते हैं. फिलहाल उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना पूरे देश में की जा रही है.