केंद्रीय जांच एजेंसी का आरोप है कि आईसीआईसीआई बैंक ने वेणुगोपाल धूत द्वारा प्रवर्तित वीडियोकॉन समूह की कंपनियों को बैंकिंग विनियमन अधिनियम, आरबीआई के दिशानिर्देशों और बैंक की ऋण नीति का उल्लंघन करते हुए 3,250 करोड़ रुपये की लोन फैसिलिटी मंजूर की थीं. सीबीआई की ओर से दर्ज प्राथमिकी के अनुसार, इस मंजूरी के एवज में वेणुगोपाल धूत ने सुप्रीम एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड (एसईपीएल) के माध्यम से नूपावर रिन्यूएबल्स में 64 करोड़ रुपये का निवेश किया और 2010 से 2012 के बीच हेरफेर करके पिनेकल एनर्जी ट्रस्ट को एसईपीएल स्थानांतरित की. पिनेकल एनर्जी ट्रस्ट तथा एनआरएल का प्रबंधन दीपक कोचर के ही पास था.
2012 में लिये थे 3250 करोड़ रुपये का लोन
आरोप है कि वीडियोकॉन के संस्थापक वेणुगोपाल धूत ने वर्ष 2012 में आईसीआईसीआई बैंक से वीडियोकॉन ग्रुप को करीब 3250 करोड़ रुपये का लोन मिलने के बाद नूपावर में करोड़ों रुपये का निवेश किया. आईसीआईसीआई बैंक लोन फ्रॉड का खुलासा होने के बाद सीबीआई ने वर्ष 2019 में प्राथमिकी दर्ज की थी. इसके बाद उसने यह आरोप लगाया था कि आरोपियों ने आईसीआईसीआई बैंक को धोखा देने के लिए आपराधिक साजिश के तहत कुछ कंपनियों को लोन मंजूर किए थे.
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अरविंद गुप्ता ने पीएम को लिखी थी चिट्ठी
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, आईसीआईसीआई बैंक और वीडियोकॉन के शेयर होल्डर अरविंद गुप्ता ने भारत के प्रधानमंत्री, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और बाजार विनियामक सेबी को चिट्ठी लिखकर वीडियोकॉन के संस्थापक वेणुगोपाल धूत और आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व प्रमुख चंदा कोचर पर एक-दूसरे को लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया था. इस आरोप के बाद चंदा कोचर को आईसीआईसीआई बैंक के प्रमुख पद से इस्तीफा भी देना पड़ा था.