वक्फ बोर्ड के जमीन पर यूपी का राजभवन! जानें कहां-कहां कितनी है संपत्ति

Waqf Amendment Bill: वक्फ बोर्ड के पास भारत में काफी अधिक संपत्ति है. वक्फ बोर्ड देश के कई संस्थानों के जमीन पर अपना दावा करता है. जिसमें यूपी का राजभवन सहित कई जगह शामिल है. देशभर में सबसे अधिक जमीन उत्तर प्रदेश में हैं.

By Ayush Raj Dwivedi | April 2, 2025 8:10 AM
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Waqf Amendment Bill: देश की संसद में वक्फ अधिनियम में संशोधन की संभावनाओं के बीच वक्फ बोर्ड और उसकी संपत्तियों पर चर्चा एक बार फिर तेज हो गई है. यह चर्चा यूं ही नहीं हो रही बल्कि इसकी वजह देश में वक्फ बोर्ड के पास मौजूद विशाल संपत्ति है. आज सदन में वक्फ बिल को पेश किया जाएगा.

भारतीय सेना और रेलवे के बाद सबसे ज्यादा संपत्ति वक्फ बोर्ड के पास

भारत में सरकारी संस्थाओं के बाद सबसे ज्यादा भूमि और संपत्तियां वक्फ बोर्ड के पास हैं. आंकड़ों के मुताबिक 8 लाख एकड़ से अधिक संपत्ति के साथ वक्फ बोर्ड देश का तीसरा सबसे बड़ा जमींदार संस्थान है. यदि राज्यों की बात करें तो उत्तर प्रदेश इस सूची में सबसे ऊपर है. उत्तर प्रदेश वक्फ बोर्ड के पास लाखों की संख्या में संपत्तियां हैं. इसमें लखनऊ का राजभवन मथुरा की शाही ईदगाह, वाराणसी का ज्ञानवापी मस्जिद परिसर और लखनऊ की ऐशबाग ईदगाह जैसी महत्वपूर्ण जगहों को वक्फ संपत्ति बताया जाता है.

उत्तर प्रदेश में शिया वक्फ बोर्ड के पास जहां 15,386 संपत्तियां हैं. वहीं सुन्नी वक्फ बोर्ड के पास 2,10,239 से अधिक संपत्तियां दर्ज हैं. राज्य के संभल, रामपुर, मुरादाबाद और अमरोहा जैसे जिलों में बड़ी संख्या में वक्फ की संपत्तियां बताई जाती हैं.

क्या होती है वक्फ संपत्ति?

वक्फ संपत्ति उन अचल संपत्तियों को कहा जाता है, जो इस्लामिक कानून के अनुसार धार्मिक या परोपकारी कार्यों के लिए समर्पित (दान) की जाती हैं. यदि किसी मुस्लिम व्यक्ति की कोई औलाद नहीं होती, तो उसकी मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति वक्फ बोर्ड के अधीन हो जाती है. कुछ लोग स्वेच्छा से अपनी संपत्ति वक्फ को दान कर देते हैं ताकि उसका उपयोग धार्मिक और सामाजिक कार्यों में हो.

राजनीतिक दलों को चेतावनी

सईद नूरी ने विपक्षी दलों के नेताओं, विशेषकर चंद्रबाबू नायडू, नीतीश कुमार, जयंत चौधरी और चिराग पासवान को आगाह करते हुए कहा कि अगर वे 2 अप्रैल को संसद में इस बिल का खुलकर विरोध नहीं करते, तो अल्पसंख्यक समुदाय का उन पर से विश्वास उठ जाएगा. उन्होंने आरोप लगाया कि ‘अगर ये नेता बिल का विरोध नहीं करते, तो इसका मतलब यह होगा कि उन्होंने अपनी पार्टियों को मोदी सरकार के हाथों बेच दिया है.’

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