टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, IMD ने संकेत दिए हैं कि दिल्ली-एनसीआर और उत्तर पश्चिमी क्षेत्र में इस बार ठंड तीव्र हो सकती है. IMD के प्रमुख मृत्युंजय मोहापात्रा ने कहा, “71 प्रतिशत संभावना है कि अक्टूबर-नवंबर के दौरान ला नीना की स्थिति बनेगी. जिन वर्षों में ला नीना सक्रिय होता है, तब उत्तर और उत्तर पश्चिम भारत के तापमान सामान्य से नीचे चले जाते हैं.”
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उन्होंने यह भी कहा कि सर्दियों में शीतलहर का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन इसकी गंभीरता का आकलन बाद में किया जा सकेगा क्योंकि वर्तमान में ला नीना की स्थिति कमजोर है. इसके बारे में जनवरी या फरवरी में अधिक स्पष्टता मिलेगी. WMO का कहना है, “अक्टूबर 2024 से फरवरी 2025 के बीच 60 प्रतिशत संभावना है कि ला नीना की ताकत बढ़ेगी, और इस दौरान अल नीनो की पुनः सक्रियता की संभावना नहीं है.” ला नीना का मतलब प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह के तापमान में गिरावट है, जो वैश्विक वायुमंडलीय पैटर्न जैसे हवा, दबाव और वर्षा को प्रभावित करता है.
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अगले 72 घंटे भारी बारिश का अलर्ट (Heavy rain alert for next 72 hours)
देश के कुछ राज्यों में मानसून एक बार फिर सक्रिय होता नजर आ रहा है, क्योंकि बंगाल की खाड़ी में लो प्रेशर वाली साइक्लोनिक सर्कुलेशन अब भी बनी हुई है. इसके प्रभाव से समुद्र तटीय क्षेत्रों में चक्रवाती तूफान की संभावना बन सकती है. अक्टूबर के पहले सप्ताह में कई राज्यों में 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलने की उम्मीद है, साथ ही भारी बारिश भी हो सकती है. हालांकि, राजधानी दिल्ली में मानसून पूरी तरह समाप्त हो चुका है, जिससे मौसम विभाग ने यहां तापमान बढ़ने का अनुमान लगाया है. आइए देखते हैं मौसम विभाग के ताजा अपडेट के अनुसार, आज और आने वाले दिनों में देश के मौसम की स्थिति कैसी रहने वाली है.
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मौसम विभाग के अनुसार अक्टूबर के शुरुआती सप्ताह के दौरान पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, झारखंड, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी इलाकों, असम, मेघालय, तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक में भारी बारिश की संभावना है. बिहार में 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से हवाएं चल सकती हैं, जबकि असम और मेघालय में 2 और 3 अक्टूबर को भारी बारिश की उम्मीद है.
नागालैंड, मिजोरम,अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर,और त्रिपुरा में भी 2 से 4 अक्टूबर तक बारिश का अलर्ट जारी किया गया है. नेपाल में भारी बारिश के कारण बिहार के 12 जिले बाढ़ से प्रभावित हो चुके हैं, क्योंकि गंडक और कोसी नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं.
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