हिमाचल प्रदेश के मंडी स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) की ओर से शुरू किये गये ‘ड्रोन दीदी’ कार्यक्रम के तहत राज्य की कई महिलाएं कृषि कार्य के मकसद से ड्रोन संचालित करने का प्रशिक्षण ले रही हैं. यह अपने तरह की एक कौशल विकास पहल है.
ड्रोन कृषि का लाभ देने के लिए किया जा रहा प्रशिक्षित
अधिकारियों के अनुसार, कृषि ड्रोन अनुप्रयोगों से समय और कीटनाशक की बचत होगी और यह बहुत लागत प्रभावी है. अधिकारियों के अनुसार इससे मानव स्वास्थ्य पर कीटनाशकों का प्रभाव भी कम होगा. उन्होंने कहा कि उन्नत कृषि पद्धतियों के लिए ड्रोन प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने के लिए प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है. आईआईटी-मंडी के आई-हब के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) सोमजीत अमृत ने कहा, उद्देश्य इसकी पहुंच का विस्तार करना, तकनीकी क्षमताओं को बढ़ाना और कृषि और उद्यमिता की गतिशील और परिचालन संबंधी मांगों को पूरा करने के लिए लगातार विकसित होना है. अमृत के अनुसार, यह कार्यक्रम तीन महीने का व्यापक आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम है. संस्थान की योजना इस कार्यक्रम को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने की भी है.
महिला किसानों ने बताया, ड्रोन दीदी कार्यक्रम से क्या हो रहा लाभ
कार्यक्रम की लाभार्थी शशि बाला ने कहा, मेरी पृष्ठभूमि बीएससी (कृषि) की है और मैं कृषि में एक अलग और रोमांचक करियर की तलाश में थी. मैंने इस कार्यक्रम में अब तक कुछ कौशल सीखे हैं, जैसे कि ड्रोन अनुप्रयोग, रखरखाव, डीजीसीए दिशानिर्देश, कृषि-ड्रोन अनुप्रयोग, व्यावसायिक कौशल आदि. एक अन्य लाभार्थी कोमल ठाकुर ने कहा, एक किसान परिवार के एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर के रूप में मैं अपने टमाटर और सेब की फसलों के लिए कीटनाशक छिड़काव के बारे में सीखना चाहती थी, जो हम अपने गांव में उगाते हैं. ड्रोन दीदी कार्यक्रम से बड़ी मदद मिली. इससे मैं बिना किसी वित्तीय बोझ के इस तकनीक को सीख सकी.
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ड्रोन दीदी कार्यक्रम के तहत 20 छात्रों को दी जा रही ट्रेनिंग
आईआईटी-मंडी की टीम ने पिछले महीने नयी दिल्ली में एक कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के समक्ष इस पहल को प्रस्तुत किया था. भारतीय कृषि कौशल परिषद के समर्थन से क्रियान्वित ‘ड्रोन दीदी’ कार्यक्रम का पहला बैच वर्तमान में आईआईटी-मंडी के परिसर में कुल 20 छात्राओं के साथ चल रहा है.
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