विधायक दल की बैठक में निवर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ही मोहन यादव के नाम का प्रस्ताव दिया था. जिसपर सबकी सहमति बनी. यादव सीएम की रेस में कभी नहीं रहे, लेकिन अचानक उनका नाम सामने आने से सभी चौंक गए. उज्जैन दक्षिण से तीसरी बार जीत दर्ज करने वाले यादव को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का करीबी माना जाता है. वह एक प्रमुख ओबीसी नेता हैं. बीजेपी अपने इस फैसले से ओबीसी समुदाय को साधने की कोशिश की है. इसके पीछे अगले साल होने वाला लोकसभा चुनाव है. ओबीसी मप्र की आबादी का 48 प्रतिशत से अधिक हैं. 2003 में उमा भारती के मुख्यमंत्री बनने के बाद से बीजेपी ने चौथी बार ओबीसी नेताओं पर अपना भरोसा जताया है. भारती के बाद, मध्य प्रदेश ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दो और ओबीसी मुख्यमंत्री- बाबूलाल गौर और चौहान को देखा.
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