Yamuna: यमुना को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता का हो रहा है विकास

दिल्ली में यमुना नदी के पानी के गुणवत्ता की जांच पल्ला, निजामुद्दीन पुल और ओखला बैराज पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड हर महीने कर रहा है. यह निगरानी राष्ट्रीय पानी गुणवत्ता निगरानी योजना के तहत की जनवरी 2025 से की जा रही है. दिल्ली जल बोर्ड के अनुसार हर रोज दिल्ली में 3596 मिलियन लीटर सीवेज का उत्पादन होता है. जबकि दिल्ली में मौजूद 37 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता 3474 मिलियन लीटर प्रतिदिन की है. लेकिन सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट सिर्फ 2955 मिलियन लीटर सीवेज को ही ट्रीट कर पा रहे हैं.

By Vinay Tiwari | July 31, 2025 5:43 PM
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Yamuna: दिल्ली में यमुना नदी का प्रदूषण एक बड़ा मुद्दा रहा है. इस साल हुए विधानसभा चुनाव में यमुना को प्रदूषण मुक्त करने के वादे को लेकर भाजपा ने आक्रामक अभियान चलाया और सरकार बनने पर यमुना को प्रदूषण मुक्त करने का वादा किया. भाजपा को इसका चुनाव में सियासी लाभ भी मिला और लगभग तीन दशक बाद दिल्ली की सत्ता पर भाजपा काबिज हो सकी. सरकार बनने के बाद यमुना को प्रदूषण मुक्त करने के लिए कई स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं. दिल्ली में यमुना नदी के पानी के गुणवत्ता की जांच पल्ला, निजामुद्दीन पुल और ओखला बैराज पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड हर महीने कर रहा है. यह निगरानी राष्ट्रीय पानी गुणवत्ता निगरानी योजना के तहत की जनवरी 2025 से की जा रही है. दिल्ली जल बोर्ड के अनुसार हर रोज दिल्ली में 3596 मिलियन लीटर सीवेज का उत्पादन होता है.

जबकि दिल्ली में मौजूद 37 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता 3474 मिलियन लीटर प्रतिदिन की है. लेकिन सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट सिर्फ 2955 मिलियन लीटर सीवेज को ही ट्रीट कर पा रहे हैं, जिसमें से 2014 मिलियन लीटर सीवेज के ट्रीटमेंट का काम 23 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से हो रहा है और यह दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानक के अनुसार है.  जबकि 14 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट मानक के अनुसार काम नहीं कर रहे हैं. इसके कारण रोजाना 641 मिलियन लीटर सीवेज बिना ट्रीटमेंट के नदी और ड्रेनेज सिस्टम में जा रहा है. इसके कारण यमुना प्रदूषित हाे रही है. 


यमुना को साफ करने की हो रही है कोशिश

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड हर साल दिल्ली-एनसीआर में यमुना को प्रदूषित करने वाले उद्योगों की जांच करता है. यह जांच आईआईटी, एनआईटी, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और अन्य राज्यों की प्रदूषण से जुड़ी संस्था संयुक्त तौर पर करती है. वर्ष 2024 में किए गए जांच में पाया गया कि यमुना के तट पर अधिक प्रदूषण फैलाने वाली 189 औद्योगिक इकाई मौजूद है और इसके कारण नदी में हर साल 1.33 मिलियन लीटर प्रदूषित पानी का प्रवाह होता है. जांच में पाया गया कि प्रदूषित करने वाली 189 इकाई में से 158 काम कर रही है. नमामि गंगा योजना के तहत यमुना नदी पर 1951 करोड़ रुपये की लागत से 9 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण को मंजूरी दी गयी.

सभी प्रोजेक्ट का काम पूरा हो चुका है और इससे 1268 मिलियन लीटर पानी को हर रोज ट्रीट किया जा सकता है. नमामि गंगा योजना के तहत दिल्ली सरकार को यमुना की सफाई के लिए 140 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया, जिसमें 108 करोड़ रुपये खर्च हो चुका है. लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने यह जानकारी दी. 

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