वित्त सचिव टीवी सोमनाथन ने रेखांकित किया है कि उद्योग जगत को कौशलयुक्त लोगों की आवश्यकता है, पर समुचित संख्या में ऐसे लोग उपलब्ध नहीं हैं. उन्होंने यह भी कहा है कि कंपनियां आम तौर पर अनुभव रखने वाले लोगों को काम पर रखना चाहती हैं. इन्हीं स्थितियों को ध्यान में रखते हुए रोजगार प्रोत्साहन और प्रशिक्षण का प्रावधान बजट में किया गया है. कौशल विकास को गति देने के उद्देश्य से जुलाई 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महत्वाकांक्षी ‘स्किल इंडिया मिशन’ का प्रारंभ किया था. इस कार्यक्रम ने नौ वर्षों में अनेक महत्वपूर्ण उपलब्धियों को हासिल किया है. इस अवधि में देश में औद्योगिक प्रशिक्षण केंद्रों (आइटीआइ) की संख्या में लगभग 24 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है.
साल 2014 में इन केंद्रों की संख्या 11,847 थी, जो 2022 में बढ़कर 14,747 हो गयी. इन केंद्रों में 2018 से चार लाख से अधिक सीटें भी बढ़ायी गयी हैं. पिछले साल विश्व बैंक ने स्किल इंडिया मिशन के लिए 250 मिलियन डॉलर के आवंटन को भी मंजूरी दी थी. वर्ष 2023-24 के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस कार्यक्रम के चौथे चरण के प्रारंभ की घोषणा की थी. अब 2024-25 के बजट में रोजगार सृजन और कौशल विकास के प्रयासों को उद्योग जगत से जोड़ने का प्रावधान कर महत्वपूर्ण पहल की गयी है. जैसा कि वित्त सचिव ने कहा है, कौशल विकास और शिक्षा व्यवस्था में बेहतरी की जरूरत है. इन प्रयासों के निश्चित सकारात्मक परिणाम होंगे, लेकिन इसमें कुछ समय अवश्य लगेगा. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन का आकलन है कि भारत को 2030 तक लगभग 2.90 करोड़ कुशल कामगारों की कमी का सामना करना पड़ सकता है. अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाये रखने के लिए हमें कौशल विकास पर लगातार ध्यान देना होगा. कौशल विकास और समुचित प्रशिक्षण के लिए देश की 500 बड़ी कंपनियों में हर साल 20 लाख बीबीयुवाओं को इंटर्नशिप उपलब्ध कराने का प्रस्ताव बजट में है.