निरख सखी, ये खंजन आये

डॉ बुद्धिनाथ मिश्र वरिष्ठ साहित्यकार भक्तिकाल के प्राय: सभी अग्रदूतों ने ईश्वर तक जाने के लिए पारंपरिक प्रस्तर-प्रतिमा पूजन से इतर मार्ग अपनाया. शंकरदेव ने गांवों में नामघर बना कर कीर्तन-भजन को प्रश्रय दिया. नानकदेव ने संतों की वाणी को ही ग्रंथ बना कर गुरुद्वारों में ‘गुरुग्रंथ साहब’ की प्रतिष्ठा की. नये साल की पहली […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 17, 2015 5:49 AM
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