वनक्षेत्रों पर अतिक्रमण

Forest Areas : जिन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने अभी तक वनक्षेत्रों पर अतिक्रमण का विवरण पेश नहीं किया है, वे हैं-बिहार, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, नगालैंड, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख. दरअसल एनजीटी ने पिछले वर्ष एक मीडिया रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लिया था, जिसमें सरकारी आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया गया था कि देश में 7,50,648 वर्ग किलोमीटर वनक्षेत्र पर अतिक्रमण है, जो दिल्ली के आकार का पांच गुना है.

By संपादकीय | April 4, 2025 6:35 AM
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Forest Areas : केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की तरफ से राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) को पिछले महीने सौंपी गयी वह रिपोर्ट वाकई बेहद चौंकाने वाली है, जिसमें बताया गया है कि मार्च, 2024 तक देश के 25 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 13,056 वर्ग किलोमीटर वनक्षेत्र अतिक्रमण के अधीन था. यह अतिक्रमित वनक्षेत्र दिल्ली, सिक्किम और गोवा के कुल भौगोलिक क्षेत्र से भी अधिक है.

हालांकि इस दौरान 409 वर्ग किलोमीटर वनक्षेत्र अतिक्रमण से मुक्त भी किया जा चुका है. वनक्षेत्र दरअसल वह भूमि होती है, जिसे सरकार द्वारा आधिकारिक तौर पर वन के रूप में नामित किया गया है, भले ही उस पर पेड़ न हों. रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च, 2024 तक मध्य प्रदेश में सर्वाधिक 5,460.9 वर्ग किलोमीटर वनक्षेत्र पर अतिक्रमण था. इसके अलावा असम में 3,620.9, कर्नाटक में 863.08, महाराष्ट्र में 575.54, अरुणाचल में 534.9, ओडिशा में 405.07, उत्तर प्रदेश में 264.97, मिजोरम में 247.72, झारखंड में 200.40 और छत्तीसगढ़ में 168.91 वर्ग किलोमीटर वनक्षेत्र पर अतिक्रमण है.

जिन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने अभी तक वनक्षेत्रों पर अतिक्रमण का विवरण पेश नहीं किया है, वे हैं-बिहार, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, नगालैंड, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख. दरअसल एनजीटी ने पिछले वर्ष एक मीडिया रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लिया था, जिसमें सरकारी आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया गया था कि देश में 7,50,648 वर्ग किलोमीटर वनक्षेत्र पर अतिक्रमण है, जो दिल्ली के आकार का पांच गुना है. कोयला और खनिजों के खनन के लिए जंगलों की प्राय: कटाई होती रहती है. खेती और दूसरी गतिविधियों के लिए वन क्षेत्रों में अतिक्रमण भी कोई छिपी हुई बात नहीं है.

उत्तराखंड में पहाड़ों से लेकर मैदानी इलाकों तक के जंगल अतिक्रमण की जद में हैं, तो हरियाणा में अरावली के वनक्षेत्र में अतिक्रमण लगातार होता आया है. वनक्षेत्रों में अतिक्रमण इसलिए भी बढ़ा है, क्योंकि पर्यावरण मंजूरी से संबंधित कानूनों को बहुत कमजोर कर दिया गया है. जाहिर है, वनक्षेत्र पर बढ़ते अतिक्रमण के बीच सरकार के सामने इसे रोकने की चुनौती बड़ी है. इतने विशाल वनक्षेत्र पर अतिक्रमण को सिर्फ खनन माफिया या जंगल के ठेकेदारों की करतूत नहीं माना जा सकता. ऐसे में, वन संरक्षण कानूनों को प्रभावी तरीके से लागू करना और अवैध अतिक्रमण पर सख्त कार्रवाई करना अब बहुत जरूरी हो गया है.

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