निर्देशों पर अमल हो

चिंता की बात है कि बहुत से ऐसे लोग भी हमारे बीच हैं, जो न केवल गैरजिम्मेदाराना व्यवहार कर रहे हैं, बल्कि सबकी जिंदगी को भी खतरे में डाल रहे हैं.

By संपादकीय | March 24, 2020 6:27 AM
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कोरोना वायरस का फैलाव रोकने के लिए देश के 82 जिले और 75 शहर लॉकडाउन किये जा चुके हैं. रविवार के ‘जनता कर्फ्यू’ के दौरान और उसके बाद लॉकडाउन में आम तौर पर लोग घरों में रह रहे हैं. केंद्र और राज्य सरकारें हरसंभव कदम उठा रही हैं तथा संदिग्ध मामलों और अनियमित नमूनों की जांच का दायरा बढ़ाया जा रहा है. पूरी कोशिश हो रही है कि जरूरी कामकाज ठीक से चलते रहें और रोजमर्रा की चीजों की आपूर्ति सामान्य रहे. चिकित्सकों, स्वास्थ्यकर्मियों, सामान पहुंचानेवाले, प्रशासनिक कर्मचारियों, पुलिसकर्मियों आदि जैसे मुस्तैद लोगों के प्रति कल देश ने एक साथ आभार जताया है. लगातार निर्देश और सुझाव दिये जा रहे हैं कि लोग घरों में रहें और सामाजिक संपर्कों से परहेज करें.

पर, यह बहुत दुख और चिंता की बात है कि बहुत से ऐसे लोग भी हमारे बीच हैं, जो न केवल गैरजिम्मेदाराना व्यवहार कर रहे हैं, बल्कि अपनी, अपने परिवार की और समूचे समाज की जिंदगी को भी खतरे में डाल रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में स्पष्ट कहा था कि अपने घरों से, दरवाजे पर या बालकनी से घंटी, थाली या ताली बजाकर देश की सेवा और सुरक्षा में दिन-रात जुटे कर्मियों को धन्यवाद दें. परंतु, देश में कई जगहों पर लोगों ने बड़ी संख्या में जमा होकर और जुलूस निकालकर इस आह्वान को अर्थहीन करने का निंदनीय कार्य किया है.

यह एक भारी भूल है और इसका खामियाजा पूरे देश को भुगतना पड़ सकता है. यदि हमें अपनी जिम्मेदारी का अहसास ऐसे भयावह संकट के समय नहीं होगा, तो कब होगा? यह इतना गंभीर मामला है कि प्रधानमंत्री को अपील करनी पड़ी है और प्रशासन से कड़ाई से निपटने का आग्रह करना पड़ा है. पंजाब और महाराष्ट्र में कर्फ्यू लगाने का फैसला किया गया है. आगामी दिनों में महामारी का रूप क्या होगा और इससे होनेवाले जान-माल के नुकसान का हिसाब क्या होगा, यह सब अनिश्चित है. इसलिए हमें एक समझदार और जवाबदेह नागरिक के तौर पर सरकार के निर्देशों और सलाहों का पूरी तरह पालन करना होगा.

यदि घर में या पड़ोस में या सोशल मीडिया पर कोई पारिवारिक सदस्य, परिचित या मित्र लापरवाही बरत रहा है या समुचित अनुशासन का निर्वाह नहीं कर रहा है, तो यह भी हमारी जिम्मेदारी है कि उस व्यक्ति को समझाएं और डांटें. ध्यान रहे, अगर स्थिति बिगड़ती है, तो लॉकडाउन की अवधि को बढ़ाने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा. विश्व स्वास्थ्य संगठन के शीर्ष आपात विशेषज्ञ माइक रेयान ने कहा है कि बीमारी को रोकने और संक्रमण को ठीक करने के लिए समुचित स्वास्थ्य व चिकित्सकीय उपायों की जरूरत है, अन्यथा लॉकडाउन के बाद वायरस की वापसी के अंदेशे को खारिज नहीं किया जा सकता है. सरकारें इसके लिए प्रयासरत हैं. हमें पूरी तरह से अनुशासित रहकर इन प्रयासों में योगदान देना है.

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