Gold Rate : इस महीने 24 कैरेट वाले 10 ग्राम सोने की कीमत 86,360 रुपये के उच्चतम स्तर पर पहुंच गयी. आंकड़ा बताता है कि नये साल में 54 दिनों में सोने की कीमत में 11,000 रुपये की जबरदस्त वृद्धि हुई, जो 11 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी है और एक लाख रुपये के स्तर को छूने के लिए इसमें केवल 16 प्रतिशत की वृद्धि होनी शेष है. मौजूदा ट्रेंड को देखने से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि इस साल के अंत तक सोना आसानी से इस स्तर पर पहुंच जायेगा.
सोने में आयी इस तेजी के कई कारण हैं, जिनमें सबसे प्रमुख कारण अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अपनायी जा रही आर्थिक नीतियां हैं. इससे वैश्विक स्तर पर कारोबारी जंग होने की आशंका बढ़ी है. अमेरिकी नीतियों और वैश्विक अनिश्चय के कारण डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार कमजोर हो रहा है. देश-दुनिया में महंगाई की आशंका भी बरकरार है. अमेरिका और इंग्लैंड द्वारा नीतिगत ब्याज दरों में कटौती करने और विश्व के कुछ भागों में भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने से भी गोल्ड इटीएफ में निवेश बढ़ने से सोने की मांग बढ़ रही है.
शेयर बाजार में आयी गिरावट से भी निवेशकों का रुझान सोने की तरफ बढ़ रहा है. भारत में शादी का सीजन भी शुरू हो चुका है, जो कुछ महीने को छोड़कर साल भर चलेगा. इसलिए भी सोने की मांग और कीमत लगातार बढ़ रही है. फसल कटने के बाद ग्रामीण इलाकों में भी सोने की मांग और खरीदारी बढ़ती है. आजाद भारत में सोने की कीमत की बात करें, तो 1947 में 10 ग्राम सोने की कीमत 88.62 रुपये थी, जो 1964 में और भी कम होकर 63.25 रुपये रह गयी थी. आजादी के समय दिल्ली से मुंबई के हवाई मार्ग के किफायती वर्ग का किराया 140 रुपये था, जो तब के 10 ग्राम सोने की कीमत से लगभग दोगुना था. आज हवाई जहाज का किराया 10 ग्राम सोने की कीमत से कई गुना कम है.
देश में सोने की मांग ज्यादा है, क्योंकि यहां सोने के प्रति महिलाओं में दीवानगी है. अपने यहां किसी भी शुभ मुहूर्त में सोने की खरीदारी की जाती है. चूंकि अपने यहां के लोग सोना खरीदने को निवेश नहीं मानते हैं, इस कारण भारत में सोने की मांग सालों भर बनी रहती है. पश्चिमी देशों में लोग शादी में बहुत सारे गहने नहीं पहनते हैं. न ही वहां गिफ्ट में सोने के जेवर या सोना देने का चलन है. अमेरिका और यूरोप में शादी में सिर्फ सोने की रिंग दी जाती है, जो नौ या 12 कैरेट की होती है, जबकि भारत में शादी में 22 या 24 कैरेट का सोना जेवर के रूप में लड़की और लड़के को दिये जाते हैं. आजकल शादी में सोने की बिस्किट भी सौगात में दी जाती है. अपने यहां फिल्मों की नायिकाएं, बड़े कारोबारी, कॉरपोरेट घराने या फिर राजे-रजवाड़ों के वारिसों की बहु-बेटियां शादी या त्योहार या किसी भी पार्टी अथवा कार्यक्रम में महंगे सोने के जेवरात पहनना पसंद करती हैं. इसी वजह से आज शादी-विवाह में करोड़ों रुपये सोने के जेवर खरीदने में खर्च किये जा रहे हैं.
शादी के मौसम में, दिवाली में या फिर अक्षय तृतीया में सोने या सोने के गहनों की जमकर खरीदारी की जाती है, क्योंकि आजकल सौगात में सोना या सोने के जेवर देने का चलन बहुत ज्यादा बढ़ गया है. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) की 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल देश में सोने की मांग में सबसे ज्यादा तेजी आयी. डब्ल्यूजीसी ने 2025 के लिए जारी आउटलुक में कहा है कि केंद्रीय बैंक सोने में ज्यादा निवेश कर रहे हैं और गोल्ड इटीएफ में भी बड़ी मात्रा में निवेश किया जा रहा है, जिस कारण सोने की मांग में लगातार तेजी बनी हुई है. अपने यहां नये साल में भी रिजर्व बैंक को सोना पसंद आ रहा है. जनवरी में रिजर्व बैंक ने 2.8 टन सोना खरीदा, जबकि पिछले साल इसने कुल 72.6 टन सोने की खरीदारी की थी. फॉरेक्स रिजर्व में भी सोने की हिस्सेदारी बढ़कर 11 प्रतिशत से ज्यादा हो चुकी है. डब्ल्यूजीसी की 2024 की रिपोर्ट में यह कहा गया है कि भारत के मंदिरों में 2,000 से 4,000 टन सोना रखा हुआ हो सकता है.
दुनिया में सबसे ज्यादा सोना चीन खरीदता है. उसने 2023 में 224.88 मीट्रिक टन सोना खरीदा था. उसी साल तुर्की ने 130.64 मीट्रिक टन, पोलैंड ने 130.03 मीट्रिक टन, सिंगापुर ने 76.28 मीट्रिक टन, लीबिया ने 30.01 मीट्रिक टन, चेक रिपब्लिक ने 18.71 मीट्रिक टन और इराक ने 8.12 मीट्रिक टन सोना खरीदा था.
भारत सोने की मांग की घरेलू आपूर्ति खुद से करने में असमर्थ है, इसलिए इसे इसके लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहना पड़ता है. वर्ष 2024 के 11 महीनों में भारत ने कुल 47 अरब डॉलर का सोना आयात किया था, जो अब तक का उच्चतम स्तर है, जबकि वर्ष 2023 में भारत ने कुल 42.6 अरब डॉलर का सोना आयात किया था. इसमें स्विट्जरलैंड से 40 प्रतिशत, संयुक्त अरब अमीरात (यूएइ) से 16 प्रतिशत, दक्षिण अफ्रीका से 10 प्रतिशत, जबकि शेष सोना ऑस्ट्रेलिया, गिनी, पेरू आदि देशों से आयात किया था.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)