लगभग हर वर्ष स्विट्जरलैंड जाती हूं. वहां अनेक ऐसी बातों पर नजर पड़ती है जो अपने देश से अलग हैं. इस बार मेरा खास ध्यान बुजुर्गों की तरफ गया. एक सवेरे मैं घूमने जा रही थी. सामने बर्फ से लदी चोटियां थीं. पेड़ भी जैसे बर्फ के ही वस्त्र पहने थे. सड़कें गीली थीं और वातावरण में नमी थी. तभी पास से एक महिला तेजी से दौड़ती निकल गयी. चेहरे हाथ-पैरों पर ढेर सारी झुर्रियां. उसके साथ उसका कुत्ता भी था. यहां लोग स्वस्थ रहने के लिए खूब दौड़ते हैं. साथ चलती मेरी बहू ने कहा- देखा, कैसे दौड़ रही हैं. आपको क्या लगता है कि कितनी उम्र होगी. मैं अनुमान नहीं कर सकी. उसने कहा कम से कम अस्सी की होगी. अस्सी की उम्र में इतनी तेज दौड़. उसने कहा- यह तो कुछ भी नहीं. यहां तो नब्बे-नब्बे वर्ष के लोग भी ऐसे ही दौड़ते हैं. स्वास्थ्य उनकी प्राथमिकता में है. एक दिन मैं माॅल गयी. वहां एक बेहद बुजुर्ग सज्जन अपनी पसंद का सामान ट्रॉली में ढो रहे थे. हमारे यहां तो पचास की उम्र आते-आते व्यक्ति को बताया जाने लगता है कि अब तो उसकी जिंदगी गयी. जबकि पचास की उम्र में यहां लोग समझते हैं कि अब तो जिंदगी शुरू हुई.
वहां बीमार पड़ी तो एक दिन डॉक्टर के यहां जाना पड़ा. डॉक्टर के पास जाने के क्रम में एक बहुत बूढ़ी महिला को देखा जिसके एक पांव में जूता और दूसरे में नीले रंग का पालिथीन बंधा हुआ था. वह भी एक सामान ढोने वाली ट्रॉली के सहारे चल रही थी. हम आगे बढ़ते डॉक्टर के क्लीनिक में चले गये. थोड़ी देर बाद वही महिला आ पहुंची. मगर वह खड़ी रही, बैठी नहीं. बैठने में उसे दिक्कत थी. यहां कई बुजुर्ग स्त्री-पुरुष डॉक्टर के पास आये थे, मगर बात-बात पर हंसते थे. डॉक्टर के पास से भी मुस्कुराते हुए बाहर निकलते थे. आखिर उन्हें अपनी बीमारी की कोई चिंता क्यों नहीं थी. शायद वे समझते होंगे कि वे डॉक्टर के पास आ गये हैं, तो उनकी बीमारी की देखभाल की चिंता भी डॉक्टर ही कर लेगा. उनके साथ कोई भी परिवारजन नहीं था. ऐसी ही एक महिला से अस्पताल में रहने के दौरान मुलाकात हुई थी. वह निपट अकेली थी. कोई उससे मिलने नहीं आता था. पर यहां अस्पताल की व्यवस्था इतनी अच्छी है कि घर के किसी व्यक्ति की देखभाल की जरूरत नहीं पड़ती. इस महिला के पास नर्स, डॉक्टर कोई भी आये, खूब खिल-खिलाकर हंसती थी. उसने अपनी बिल्ली का एक फोटो लगाया हुआ था और वह अस्पताल से इसलिए जल्दी से जल्दी जाना चाहती थी कि पता नहीं उसकी बिल्ली किस हाल में होगी. इस महिला को ढेर सारी बीमारियां थीं. उम्र भी अस्सी-पचासी से कम नहीं होगी, पर उसकी हंसी हमेशा हवा में तैरती रहती थी.
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