बढ़ता पारिवारिक कर्ज

हालांकि वृद्धि दर उत्साहजनक है, लेकिन आमदनी में बढ़ोतरी अपेक्षा के अनुसार नहीं है. महंगाई की वजह से भी परिवारों पर दबाव बढ़ा है.

By संपादकीय | April 10, 2024 8:44 AM
an image

हमारे देश में हाल के वर्षों में पारिवारिक कर्ज में बढ़ोतरी अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत नहीं है. वित्तीय सेवाएं मुहैया कराने वाली कंपनी मोतीलाल ओसवाल की ताजा रिपोर्ट में बताया गया है कि दिसंबर 2023 में घरेलू कर्ज अपने सर्वाधिक स्तर पर पहुंच गया. सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) में पारिवारिक ऋण का अनुपात 40 प्रतिशत हो गया है. साथ ही, जीडीपी में पारिवारिक बचत का अनुपात लगभग पांच प्रतिशत रह गया है, जो ऐतिहासिक रूप से सबसे कम है.

उल्लेखनीय है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले वर्ष सितंबर में बताया था कि परिवारों की बचत का अनुपात वित्त वर्ष 2022-23 में 5.1 प्रतिशत हो गया, जो 47 वर्षों में सबसे कम है. यह सही है कि बचत कम कर और कर्ज लेकर बहुत से लोग परिसंपत्तियां या उपभोक्ता वस्तुएं खरीदते हैं. ऐसे लोग भविष्य में अपनी आमदनी को लेकर आश्वस्त रहते हैं या उन्हें अपने निवेश से लाभ होने की आशा रहती है. लेकिन विभिन्न आंकड़ों के साथ बचत में कमी और कर्ज बढ़ने के मसले को देखें, तो चिंताजनक तस्वीर उभरती है.

वित्त वर्ष 2022-23 में घरेलू कर्ज जीडीपी के 38 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गया था. इससे अधिक आंकड़ा केवल 2020-21 में रहा था, जो कि महामारी की भयावह मार का साल था. हालिया रिपोर्ट में यह रेखांकित किया गया है कि घरेलू कर्ज में वृद्धि में सबसे प्रमुख हिस्सा पर्सनल लोन का है. उल्लेखनीय है कि ऐसे लोन में ब्याज की दर भी बहुत अधिक होती है. माना जाता है कि पर्सनल लोन बहुत मजबूरी में ही लोग लेते हैं. क्रेडिट कार्ड से खर्च और डिफॉल्ट में भी वृद्धि हो रही है. रिजर्व बैंक पहले ही असुरक्षित कर्जों के बारे में बैंकों को सचेत रहने की सलाह दे चुका है.

हालांकि वृद्धि दर उत्साहजनक है, लेकिन आमदनी में बढ़ोतरी अपेक्षा के अनुसार नहीं है. महंगाई की वजह से भी परिवारों पर दबाव बढ़ा है. मुद्रास्फीति के मोर्चे पर कुछ राहत मिली है, पर रिजर्व बैंक ने बार-बार कहा है कि यह अभी भी चिंता का कारण बना हुआ है. इसी कारण से हालिया मौद्रिक समीक्षा में ब्याज दरों में कटौती नहीं की गयी है. चूंकि आमदनी में बढ़त धीमी है, तो उसका असर उपभोग पर पड़ना स्वाभाविक है. वित्त वर्ष 2023-24 में पारिवारिक निवेश और निजी उपभोग दोनों में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गयी है.

यदि बचत बढ़ाने, असुरक्षित कर्ज घटाने तथा उपभोग बढ़ाने पर समुचित ध्यान नहीं दिया गया, आर्थिक स्थिरता पर नकारात्मक असर पड़ सकता है. आर्थिक विकास का लाभ आबादी के अधिकाधिक हिस्से तक पहुंचे. इस दिशा में ठोस प्रयासों की आवश्यकता है. बचत और कर्ज में संतुलन बनाने पर ध्यान दिया जाना चाहिए.

संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version