निर्माण और निर्यात

रेलू और वैश्विक कारणों से अर्थव्यवस्था की गति पिछले वर्ष से ही कम हो रही थी कि कोरोना संक्रमण से पैदा हुई स्थितियों ने उसे पूरी तरह से संकटग्रस्त कर दिया है. पर, वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन की आक्रामकता का दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों पर नकारात्मक असर पड़ना स्वाभाविक है. इन चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना करने के लिए ठोस रणनीति बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंफ्रास्ट्रक्चर और वाणिज्य मंत्रालय के मंत्रियों के अधिकारियों के साथ बैठक की है.

By संपादकीय | June 23, 2020 5:00 AM
feature

रेलू और वैश्विक कारणों से अर्थव्यवस्था की गति पिछले वर्ष से ही कम हो रही थी कि कोरोना संक्रमण से पैदा हुई स्थितियों ने उसे पूरी तरह से संकटग्रस्त कर दिया है. पर, वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन की आक्रामकता का दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों पर नकारात्मक असर पड़ना स्वाभाविक है. इन चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना करने के लिए ठोस रणनीति बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंफ्रास्ट्रक्चर और वाणिज्य मंत्रालय के मंत्रियों के अधिकारियों के साथ बैठक की है.

इसमें भारत को दुनिया के एक प्रमुख निर्माता व उत्पादक देश के रूप में स्थापित करने के उपायों पर चर्चा हुई है. अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए कारोबारी सुगमता, निर्यात केंद्रित उत्पादन तथा निवेश को आकर्षित करने के लिए राज्यों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा पर जोर दिया जा रहा है. कोरोना संक्रमण एवं विभिन्न व्यापारिक व्यवहारों को लेकर समूचे विश्व में चीन के प्रति नाराजगी है, जिसके कारण बड़ी संख्या में कंपनियां दूसरे देशों में अपनी निर्माण गतिविधियों को स्थानांतरित कर रही हैं.

यदि भारत समुचित माहौल और संसाधन मुहैया करा सका, तो वह निर्माण का बड़ा केंद्र बन सकता है. इसी कड़ी में चीनी वस्तुओं के बारे में आकलन कर उनके आयात को नियंत्रित करने पर भी विचार हो रहा है. मंत्रालयों के साथ प्रधानमंत्री की ऐसी बैठकों का सिलसिला कई सप्ताह से चल रहा है. पहले वित्त मंत्रालय के अलावा नागरिक उड्डयन, श्रम, ऊर्जा, वाणिज्य तथा सूक्ष्म, छोटे एवं मध्यम उद्यमों के मंत्रालयों के साथ बैठकें हो चुकी हैं.

उन बैठकों के परिणामस्वरूप लघु और मध्यम उद्यमों के लिए वित्त मुहैया कराने के साथ नियमन में बदलाव किये गये हैं. हमारी आर्थिकी में उत्पादन और रोजगार में इन उद्यमों का बड़ा योगदान है. अर्थव्यवस्था में संकुचन और लॉकडाउन का सबसे अधिक असर भी इसी क्षेत्र को हुआ है.

पिछले दिनों केंद्र सरकार ने कृषि के व्यवसायीकरण और किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए चार अध्यादेशों को लागू किया है. बीस लाख करोड़ के राहत पैकेज, नियम-कानूनों में बदलाव तथा बैंकों से कर्ज लेने की आसान शर्तों जैसी व्यवस्थाओं से न केवल गिरती अर्थव्यवस्था को संभालने में मदद मिलेगी, बल्कि निकट भविष्य में एक महत्वपूर्ण आर्थिक शक्ति के रूप में स्थापित होने के लिए आवश्यक आधार भी मिलेगा.

ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के अवसर पैदा होने से मांग बढ़ेगी, जो उत्पादन को उत्साहित करेगी. जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आह्वान किया है कि इस आपदा को हमें अवसर में बदलने की कोशिश करनी चाहिए. उन्होंने आत्मनिर्भरता तथा स्थानीय उत्पादन व उपभोग पर भी जोर दिया है. सरकार की सारी कवायद इसी दूरदर्शिता से प्रेरित है. हमारा घरेलू बाजार बहुत बड़ा है और अगर हम आयात पर कम-से-कम निर्भर होते हैं, तो व्यापार संतुलन भी बेहतर होगा और आर्थिक गतिविधियों में भी तेजी आयेगी. इससे निवेश प्राप्त करने तथा अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़त बनाने में भी मदद मिलेगी.

संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version