Post Office Saving Schemes : अच्छी खबर है कि महंगाई घटी है. विगत मई में थोक मूल्य सूचकांक में भारी कमी आयी. यह गिरकर 0.39 हो गया है, जो छह वर्षों में सबसे कम है. आइसीआरए के मुताबिक, 22 में से 20 खाद्य वस्तुओं की कीमतों में गिरावट आयी है और उसे उम्मीद है कि आने वाले समय में भी इसमें गिरावट आयेगी. रिजर्व बैंक ने भी रेपो रेट, जिसे बोलचाल की भाषा में ब्याज दर कहते हैं, घटा दिया है. फरवरी से जून तक केंद्रीय बैंक ने तीन बार रेपो रेट घटाया है. इसका मतलब है कि बैंक भी ब्याज दरें घटायेंगे. बैंकों ने फिक्स्ड डिपॉजिट पर तो ब्याज घटाना शुरू कर ही दिया है, सेविंग्स बैंक जमा में भी कटौती कर दी है. देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने सेविंग्स जमा पर ब्याज दरों में कटौती कर इसे 2.5 फीसदी कर दिया, जबकि एचडीएफसी और आइसीआइसीआइ ने भी इसे घटाकर 2.75 फीसदी कर दिया है. बैंक ने सभी अवधि के लिए एफडी दरों में 20 बेसिस प्वाइंट्स यानी 0.20 फीसदी की कटौती की है. सरकार चाहती है कि देश में कम ब्याज दरों का प्रचलन हो. इससे उद्योगों तथा कृषि को बढ़ावा मिलेगा. कम ब्याज दरें लोगों और व्यवसायों को अधिक खर्च करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं, जिससे अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है.
यह खबर होम लोन, कार लोन लेने वालों के लिए तो अच्छी है, लेकिन समस्या उन करोड़ों लोगों के लिए है, जो बुढ़ापे या अन्य स्थिति में बैंकों में जमा राशि के ब्याज से अपने खर्चें पूरे करते हैं. वे शेयर बाजार की उठापटक से दूर रहना चाहते हैं और फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश करते रहते हैं. यह लोगों को आर्थिक सहारा देता है, क्योंकि वह उनके पैसे को बढ़ाता है. मूलत: यह आमदनी का एक बड़ा स्रोत रहा है. किसी जमाने में बैंक एफडी पर 12 फीसदी तक ब्याज देते थे, पर अब यह सात फीसदी से भी नीचे गिर चुका है. महंगाई तथा जीवन स्तर के बढ़ने से यह राशि इतनी कम हो गयी है कि काम नहीं चलता है. सीनियर सिटीजन और वैसे अन्य लोग शेयर बाजारों से दूर रहना चाहते हैं, क्योंकि वहां की उठापटक उन्हें आशंकित करती है. वहां कोई निश्चित कमाई नहीं है, न ही कोई गांरटी. डिबेंचरों और बाॅन्डों में भी कोई मजेदार स्थिति नहीं है. तो फिर क्या किया जाये?
ऐसे में, डाकघर की बचत योजनाओं की ओर मुड़ना बुद्धिमानी है, जहां कम आय के करोड़ों लोगों ने निवेश कर रखा है. इन योजनाओं में आज भी बढ़िया रिटर्न हैं. इसकी सबसे सफल स्कीम पीपीएफ में करोड़ों लोगों ने निवेश किया है. इसमें अच्छी ब्याज दर तो है ही, डेढ़ लाख रुपये तक निवेश करने पर टैक्स में छूट मिलती है और पैसे निकालने पर भी एक सीमा तक टैक्स माफ है. डाकघर की कई अन्य योजनाएं भी काफी अच्छा रिटर्न देती हैं. इसका एक और बेहतरीन स्कीम है पोस्ट ऑफिस नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट स्कीम यानी एनएससी। इस योजना में 7.7 प्रतिशत की ब्याज दर से रिटर्न मिलता है. अगर आप इस योजना में पांच लाख रुपये निवेश करते हैं, तो मैच्योरिटी पर कुल 7,24,517 रुपये मिलेंगे.
ऐसे ही आरडी, यानी आवर्ती जमा में निश्चित अवधि के लिए हर महीने एक निश्चित राशि जमा कर ब्याज अर्जित करते हैं. इसमें 6.7 की ब्याज दर से रिटर्न मिलता है. इसमें ब्याज दर कंपाउंड यानी चक्रवृद्धि है, जो बहुत कम योजनाओं में होती है. पोस्ट ऑफिस की एक और लाजवाब स्कीम है सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम. इस स्कीम में 8.2 प्रतिशत की ब्याज से कमाई होगी. पांच साल के लिए पांच लाख रुपये निवेश करने पर मैच्योरिटी पर कुल 7,05,000 रुपये मिलेंगे, यानी 2.05 लाख रुपये का मुनाफा होगा.
बैंकों की तरह पोस्ट ऑफिस की भी फिक्स्ड डिपॉजिट स्कीम है. इसमें भी अच्छा रिटर्न है और लोगों के बीच यह काफी लोकप्रिय है. पोस्ट ऑफिस की पांच साल की अवधि वाली एफडी में 7.5 फीसदी की ब्याज दर से रिटर्न मिलता है. इसके अलावा भी पोस्ट ऑफिस में कई और स्कीम हैं जिन पर ध्यान दिया जा सकता है. इनमें से एक है सुकन्या समृद्धि स्कीम. यह लड़कियों के लिए खास तौर से बनायी गयी है और उनके भविष्य को ध्यान में रखती है. दरअसल लड़कियों की शिक्षा और उनके विवाह को ध्यान में रखकर यह स्कीम तैयार की गयी है. यह निश्चित आय वाले निवेशों में सबसे ऊपर है और दस साल से कम उम्र वाली लड़कियों के लिए यह योजना है. इसमें न्यूनतम 250 रुपये और अधिकतम 1.5 लाख रुपये प्रतिवर्ष जमा किये जा सकते हैं. इस योजना में ब्याज दर 8.2 फीसदी प्रतिवर्ष है. यह भी चक्रवृद्धि ब्याज दर है.
इसी तरह किसान विकास पत्र योजना पैसे को दोगुना करने वाली पोस्ट ऑफिस की योजना है. यह अच्छे रिटर्न की गारंटी भी देती है. इस योजना के तहत पैसा 115 महीने यानी नौ साल, सात महीने की अवधि में दोगुना हो जाता है. ऐसे में, बैंकों की चमक-दमक से दूर पोस्ट ऑफिस की शरण में जाने और उनकी योजनाओं का लाभ उठाने में ही बुद्धिमानी है.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)