जयशंकर के निशाने पर यूरोप

आर्कटिक सर्कल इंडिया फोरम, 2025 में बोलते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने यूरोप पर कटाक्ष करते हुए कहा कि भारत को दोस्त चाहिए, ज्ञान देने वाले नहीं. ऐसे उपदेशक नहीं, जो विदेश में उपदेश देते हैं, लेकिन उसे अपने देश में लागू नहीं करते.

By संपादकीय | May 6, 2025 7:52 AM
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पहलगाम हमले के बाद यूरोपीय संघ की टिप्पणी की पृष्ठभूमि में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक सम्मेलन में यूरोप के रवैये की तीखी आलोचना की है, तो इसे समझा जा सकता है. दरअसल आतंकी हमले के बाद यूरोपीय संघ ने भारत और पाकिस्तान से संयम बरतने की अपील की. जबकि रूस-यूक्रेन युद्ध के समय यूरोपीय संघ का रुख अलग ही था. यूरोपीय संघ के इस दोहरेपन की आलोचना हुई है. आर्कटिक सर्कल इंडिया फोरम, 2025 में बोलते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने यूरोप पर कटाक्ष करते हुए कहा कि भारत को दोस्त चाहिए, ज्ञान देने वाले नहीं. ऐसे उपदेशक नहीं, जो विदेश में उपदेश देते हैं, लेकिन उसे अपने देश में लागू नहीं करते. विदेश मंत्री आर्कटिक क्षेत्र में विकास के वैश्विक परिणामों और बदलती विश्व व्यवस्था से क्षेत्र पर पड़ने वाले प्रभावों पर विस्तार से चर्चा कर रहे थे. उन्होंने रेखांकित किया कि अंटार्कटिक के साथ हमारे रिश्ते चार दशक पुराने हैं, जबकि कुछ साल पहले भारत ने अपनी आर्कटिक नीति जारी की है. उन्होंने आर्कटिक के रणनीतिक और पर्यावरणीय महत्व पर बात करते हुए कहा कि उस क्षेत्र के घटनाक्रमों का भारत जैसे देशों पर भारी प्रभाव पड़ेगा, जहां सबसे ज्यादा युवा आबादी है.

अलबत्ता आर्कटिक के मंच से यूरोप पर की गयी उनकी टिप्पणी इसकी मौजूदा प्रासंगिकता के लिए ज्यादा महत्वपूर्ण हो गयी. विदेश मंत्री ने कहा कि यूरोप को बदलती वैश्विक वास्तविकताओं को स्वीकार करने में परेशानी हो रही है. पर भारत के साथ अर्थपूर्ण संबंध बनाने के लिए उसे यह रवैया छोड़ना होगा. भारत के साथ गहरे संबंधों के लिए यूरोप को कुछ संवेदनशीलता और पारस्परिक हितों का प्रदर्शन करना होगा. बदलते भारत के बारे में उनका कहना था कि हम ऐसी स्थिति में पहुंच चुके हैं कि दुनिया के किसी भी हिस्से में कुछ महत्वपूर्ण घटित होता है, तो हमारे लिए उसका मतलब होता है. रूस के साथ भारत के मजबूत संबंध का जिक्र करते हुए उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध में रूस को अलग कर उस समस्या का हल ढूंढने की यूरोप की कोशिश की भी आलोचना की. इससे पहले भी विदेश मंत्री यूरोप की आलोचना करते हुए कह चुके हैं कि यूरोप को इस मानसिकता से बाहर निकलना होगा कि उसकी समस्या पूरी दुनिया की समस्या है, लेकिन दुनिया की समस्याएं यूरोप की समस्या नहीं है, जबकि विगत फरवरी में अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने म्यूनिख सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस में यूरोप के रवैये की तीखी आलोचना की थी.

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