पहलगाम हमले के बाद यूरोपीय संघ की टिप्पणी की पृष्ठभूमि में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक सम्मेलन में यूरोप के रवैये की तीखी आलोचना की है, तो इसे समझा जा सकता है. दरअसल आतंकी हमले के बाद यूरोपीय संघ ने भारत और पाकिस्तान से संयम बरतने की अपील की. जबकि रूस-यूक्रेन युद्ध के समय यूरोपीय संघ का रुख अलग ही था. यूरोपीय संघ के इस दोहरेपन की आलोचना हुई है. आर्कटिक सर्कल इंडिया फोरम, 2025 में बोलते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने यूरोप पर कटाक्ष करते हुए कहा कि भारत को दोस्त चाहिए, ज्ञान देने वाले नहीं. ऐसे उपदेशक नहीं, जो विदेश में उपदेश देते हैं, लेकिन उसे अपने देश में लागू नहीं करते. विदेश मंत्री आर्कटिक क्षेत्र में विकास के वैश्विक परिणामों और बदलती विश्व व्यवस्था से क्षेत्र पर पड़ने वाले प्रभावों पर विस्तार से चर्चा कर रहे थे. उन्होंने रेखांकित किया कि अंटार्कटिक के साथ हमारे रिश्ते चार दशक पुराने हैं, जबकि कुछ साल पहले भारत ने अपनी आर्कटिक नीति जारी की है. उन्होंने आर्कटिक के रणनीतिक और पर्यावरणीय महत्व पर बात करते हुए कहा कि उस क्षेत्र के घटनाक्रमों का भारत जैसे देशों पर भारी प्रभाव पड़ेगा, जहां सबसे ज्यादा युवा आबादी है.
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