गंभीर है चुनौती

दुनिया के अधिकतर देशों की तुलना में हमारे देश में बढ़त की दर अधिक है. बीते सप्ताह में सोमवार की सुबह और शनिवार की सुबह के बीच संक्रमित मामलों की संख्या 40 फीसदी बढ़ी है.

By संपादकीय | May 11, 2020 3:48 AM
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तमाम कोशिशों के बावजूद कोरोना वायरस के संक्रमण के नये मामलों और मौतों की संख्या में बढ़ोतरी जारी है. एक चिंताजनक पहलू यह भी है कि दुनिया के अधिकतर देशों की तुलना में हमारे देश में बढ़त की दर अधिक है. सोमवार की सुबह और शनिवार की सुबह के बीच संक्रमित मामलों की संख्या 40 फीसदी बढ़ी है. हालांकि पिछले महीने से अनेक मानकों पर बेहतरी के संकेत हैं तथा अभी भी संक्रमण और मौतों की तादाद के हिसाब से भारत का हाल ठीक है, लेकिन इससे संतोष कर लेना तथा अपनी कोशिशों में ढील देना खतरनाक हो सकता है. असल में प्रयासों को तेज करने की जरूरत है क्योंकि कुछ ही दिन में हमारी गिनती 75 हजार तक जा पहुंचेगी. इस संबंध में दिल्ली के प्रतिष्ठित अस्पताल एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया की इस चिंता को भी गंभीरता लेना होगा कि भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण के मामलों की सबसे अधिक संख्या जून और जुलाई के महीने में हो सकती है.

ऐसे में अस्पतालों के साथ जांच, स्क्रीनिंग और उपचार की ठोस व्यवस्था के साथ प्रशासन और समाज को चौकस रहने की आवश्यकता है. अगले सप्ताह लॉकडाउन में कई जगहों पर और अधिक छूट दी जा सकती है. हर किसी को अब तक की छूट के साथ आगे मिलनेवाली छूट का इस्तेमाल बहुत जिम्मेदारी और जवाबदेही से करना है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी दुनियाभर के शोधकर्ताओं और चिकित्सा विशेषज्ञों की समझ के अनुसार यह बता दिया है कि हमें कोरोना वायरस के साथ जीने की आदत सीखनी होगी. यह घबराने की बात नहीं है क्योंकि हमारे शरीर और परिवेश में अनगिनत वायरस और बैक्टीरिया होते हैं. हमें सावधानी बरतने के साथ उपचार के संसाधन जुटाने हैं. कोरोना के कहर से बचने के उपायों का नकारात्मक असर तमाम मानवीय गतिविधियों पर पड़ा है.

ऐसे में आचार-व्यवहार में अनेक स्तरों पर बदलाव की दरकार है. सरकारें अपनी ओर से भरपूर कोशिश कर रही हैं तथा आलोचनाओं और सुझावों का भी संज्ञान लिया जा रहा है ताकि संक्रमण पर काबू पाने में कामयाबी मिल सके. इस काम में लगे तमाम लोगों ने अभी तक शानदार तरीके से अपने कर्तव्य को निभाया है. नागरिकों ने भी सरकारों और सेवा में जुटे कर्मियों का भरसक साथ दिया है. कुछ राज्य और क्षेत्र, जैसे- केरल, संक्रमण से निपटने में सफल रहे हैं, वहीं कई जगहों पर हालात बहुत खराब हैं. नीति आयोग के प्रमुख अधिकारी अमिताभ कांत ने रेखांकित किया है कि संक्रमण के 64 फीसदी मामले केवल 15 जिलों में हैं, जिनमें दिल्ली, पुणे, मुंबई, अहमदाबाद और चेन्नई जैसे संसाधनपूर्ण क्षेत्र भी हैं. मतलब यह कि देश का बड़ा हिस्सा अभी अछूता है और अब तक के अनुभवों से प्रभावित इलाकों में हालात सुधारे जा सकते हैं. इन आयामों पर ध्यान देने की जरूरत है.

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