ब्रिटेन के राउंडटेबल सम्मेलन में चर्चा के दौरान सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई ने शीर्ष ब्रिटिश न्यायाधीशों के साथ न्यायपालिका की विश्वसनीयता, पारदर्शिता और जवाबदेही पर जोर देते हुए जो कुछ कहा है, वह महत्वपूर्ण भी है और अपने यहां के संदर्भ में प्रासंगिक भी. रिटायरमेंट के तुरंत बाद न्यायाधीशों द्वारा सरकारी पद स्वीकार करने और चुनाव लड़ने पर चिंता जताते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि विधायिका और कार्यपालिका की वैधता मतपत्र से प्राप्त होती है, जबकि न्यायपालिका अपनी स्वतंत्रता, निष्पक्षता और अखंडता के संवैधानिक मूल्यों को बनाये रखकर वैधता अर्जित करती है. ऐसे में, सेवानिवृत्ति के तुरंत बाद सरकारी पद स्वीकार करने या चुनाव लड़ने से जनता का न्यायपालिका में भरोसा डगमगाता है, क्योंकि जाने-अनजाने यह धारणा बनती है कि ऐसे न्यायाधीशों के न्यायिक फैसले उनकी भविष्य की राजनीतिक या सरकारी उम्मीदों से प्रभावित थे. दरअसल हाल के वर्षों में अपने यहां कई ऐसे उदाहरण देखे गये, जब उच्चतर न्यायपालिका से जुड़े न्यायाधीशों ने रिटायरमेंट के तुरंत बाद राज्यसभा में जाने, सरकारी पद लेने या फिर चुनाव लड़ने का फैसला किया.
संबंधित खबर
और खबरें