रिजर्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक, विगत मई महीने में यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस यानी यूपीआइ के जरिये लेन-देन में 4.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो डिजिटल लेन-देन में हो रही बढ़ोतरी के बारे में बताती है. आंकड़े के मुताबिक, बीते महीने यूपीआइ से लेन-देन संख्या के हिसाब से 18.68 अरब और मूल्य के हिसाब से 25.14 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो अप्रैल, 2016 में डिजिटल भुगतान व्यवस्था लागू होने के बाद से अब तक का सर्वाधिक है. जबकि अप्रैल में यह आंकड़ा 23.95 लाख करोड़ रुपये का था. अगर मई, 2024 से तुलना करें, तो मई, 2025 में यूपीआइ से लेन-देन में संख्या के हिसाब से 33 प्रतिशत की, जबकि मूल्य के लिहाज से 23 फीसदी की वृद्धि हुई. सच्चाई यह है कि 2016 में शुरू होने के बाद से ही यूपीआइ के इस्तेमाल में लगातार तेजी आयी है. नोटबंदी के बाद डिजिटल पेमेंट को तो बढ़ावा मिला ही, स्मार्टफोन के इस्तेमाल में वृद्धि तथा गूगल पे, फोन पे, पेटीएम जैसे निजी एप्स की शुरुआत ने यूपीआइ को और लोकप्रिय बनाया. हालांकि अब इसकी रफ्तार थोड़ी धीमी हो रही है. फोन पे और गूगल पे जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म्स ने यूपीआइ की बाजार हिस्सेदारी पर कुछ कब्जा किया है.
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