धानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में केरल के विझिनजाम में इंटरनेशनल डीपवाटर मल्टीपर्पज सी-पोर्ट का उद्घाटन किया, जो बढ़ती नौवहन क्षमता के साथ-साथ ट्रांशिपमेंट के क्षेत्र में भारत की बढ़ती आत्मनिर्भरता का भी गौरवशाली उदाहरण है. लगभग 20 मीटर की प्राकृतिक गहराई वाले इस पोर्ट में बड़े मालवाही जहाज रुक सकेंगे. देश के छोटे बंदरगाहों में यह सुविधा नहीं है. जबकि अगले तीन साल में इस बंदरगाह की क्षमता तीन गुना हो जायेगी. आज हमारे ज्यादातर मालवाही जहाज कोलंबो और सिंगापुर में रुकते हैं. अभी तक भारत के ट्रांशिपमेंट ऑपरेशन का 75 फीसदी विदेशी बंदरगाहों पर होता रहा है, जिससे देश को भारी खर्च करना पड़ता था. लेकिन इस परियोजना के पूरी हो जाने के बाद वैश्विक ट्रांशिपमेंट हब्स पर भारत की निर्भरता कम हो जायेगी. इससे न केवल भारी धनराशि की बचत होगी, बल्कि केरल के लिए संभावनाओं के नये अवसर भी खुलेंगे. प्राकृतिक गहराई के अलावा विश्व के व्यस्ततम समुद्री व्यापारिक रूटों से नजदीकी के कारण भी विझिनजाम पोर्ट का महत्व है. प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा सागरमाला परियोजना के तहत राज्य सरकारों के सहयोग से बंदरगाहों की ढांचागत सुविधाओं का विस्तार किया गया है और भारत के समुद्रतटीय राज्य व बंदरगाह शहर विकसित भारत के मुख्य केंद्र बनेंगे.
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