-एसके मिश्रा-
(आइजीआइ एयरपोर्ट के पूर्व निदेशक
और पूर्व एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, ऑपरेशंस)
Ahmedabad plane crash : अहमदाबाद में एयर इंडिया की उड़ान एआइ 171 गुरुवार दोपहर को टेकऑफ करने के करीब 30 सेकंड के अंदर मेघाणीनगर में एक मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल के ऊपर गिर कर जिस तरह बिखर गयी, वह स्तब्ध कर देने वाली घटना थी. हादसे के बाद उस विमान के उड़ते हुए नीचे गिरने की जो तसवीर वायरल हुई है, वह डराती है और कई आशंकाओं को जन्म देती है. अहमदाबाद में हुए इस विमान हादसे में 270 से भी अधिक लोगों के मारे जाने की आशंका है, जिनमें गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रुपाणी भी थे. इस क्षेत्र के अनुभवी लोग जानते हैं कि विमान ज्यादातर टेकऑफ करते समय या फिर लैंडिंग के वक्त दुर्घटनाग्रस्त होते हैं, लेकिन टेकऑफ करते समय विमान का दुर्घटनाग्रस्त होना कहीं ज्यादा खतरनाक होता है, क्योंकि तब उसमें ईंधन पूरा भरा होता है. इस विमान दुर्घटना में यही हुआ. हादसे के वक्त विमान में करीब 1.25 लाख लीटर तेल रहा होगा. ऐसे में, विमान के नीचे गिरते ही वह आग का गोला बन गया. दरअसल उड़ान भरने के तुरंत बाद पायलट को गड़बड़ी का पता चल गया था. लिहाजा उन्होंने तत्काल एयर ट्रैफिक कंट्रोल को मेडे का आपातकालीन संदेश भेजा था, लेकिन उसके बाद एटीसी को विमान से कोई जवाब नहीं मिला.
अहमदाबाद में हुई यह दुर्घटना 2020 के बाद भारत में सबसे बड़ी विमान दुर्घटना है. इससे पहले सात अगस्त, 2020 को एयर इंडिया एक्सप्रेस का विमान केरल के कोझीकोड में उतरते हुए दो टुकड़ों में बंट गया था. उस हादसे में 21 लोग मारे गये थे. हालांकि देश में सबसे भीषण विमान हादसा 12 नवंबर, 1996 को हुआ था, जब हरियाणा के चरखी-दादरी में दो विमानों की टक्कर में 349 लोग मारे गये थे. गुजरात में यह दूसरा विमान हादसा है. इससे पहले 19 अक्तूबर, 1988 को इंडियन एयरलाइंस का मुंबई से आ रहा विमान अहमदाबाद एयरपोर्ट पर लैंडिंग से पहले दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें 130 लोग मारे गये थे.
कुल आठ केंद्रीय एजेंसियों द्वारा इस विमान क्रैश की जांच शुरू कर दी गयी है. हादसे की वजह तो ब्लैक बॉक्स की रिपोर्ट आने पर ही पता चलेगी. फिलहाल इस भीषण हादसे के बारे में विशेषज्ञों द्वारा कई अनुमान लगाये जा रहे हैं. विमान जिस तरह से नीचे गया, उसे देखते हुए कुछ विशेषज्ञों ने इंजन में खराबी की आशंका जतायी. उनके मुताबिक, ऐसा लग रहा था कि वह विमान उड़ने के लिए पर्याप्त पावर नहीं बना पा रहा था. पावर की कमी इंजन की खराबी के कारण हो सकती है. हालांकि विमान के टेकऑफ करते ही दोनों इंजन का फेल होना दुर्लभतम मामला है. इसकी आशंका बहुत कम है कि दोनों इंजन एक साथ खराब हो जाएं, क्योंकि इसका इंजन बहुत बड़ा होता है.
ऐसे में, यह संभव ही नहीं है कि उड़ान भरने के तुरंत बाद दोनों इंजन अपनी पावर खो दें. विमान के लैंडिंग गियर के नीचे होने पर भी सवाल उठाये गये, क्योंकि उड़ान भरते ही विमान के लैंडिंग गियर को ऊपर होना चाहिए था. कुछ विशेषज्ञों ने पक्षी के टकराने की भी बात कही है, लेकिन वैसी स्थिति में इंजन से धुआं उठता दिखाई देता, जबकि ऐसा कुछ नहीं था. निश्चित रूप से जांच से पहले कुछ कहा नहीं जा सकता, क्योंकि हम सबने उस विमान की स्थिति नजदीक से देखी नहीं. इस हादसे को साजिश की तरह भी देखा जाना चाहिए, खासकर पाकिस्तान से संघर्ष की पृष्ठभूमि में और इसलिए भी कि यह हादसा प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के राज्य में हुआ है.
हालांकि इसकी पुष्टि करने के लिए फिलहाल कोई तथ्य नहीं हैं, लेकिन इस दिशा में भी जांच होगी ही कि कहीं इंजन में ईंधन की आपूर्ति रोकने की कोई सुनियोजित साजिश तो नहीं रची गयी थी. हो सकता है कि फ्यूल टैंक में 1.25 लाख लीटर ईंधन भरकर फ्यूल टैंक का मेन स्विच बंद कर दिया गया हो. फ्यूल टैंक के मेन स्विच से इंजन तक की सप्लाई पाइप में जितना ईंधन समा सकता है, वह केवल तीस-चालीस सेकंड तक इंजन को चालू रख सकता है. फ्यूल सप्लाई लाइन ग्राउंड स्टाफ का दायित्व है. फ्लाइट क्रू (पायलट्स) को विमान जांच के बाद बुलाया जाता है. वे फ्यूल लाइन की जांच करने या उन्हें खोलने-बंद करने के अधिकारी नहीं होते. लिहाजा साजिश की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता. खासकर तुर्किये की तरफ से. यह बोइंग के ड्रीमलाइनर प्लेन की पहली खेप का विमान था. बोइंग के 787 ड्रीमलाइनर विमानों ने देश में चौदह साल पहले पहली उड़ान भरी थी और इस विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने की यह पहली ही घटना है. साढ़े ग्यारह साल पुराना यह विमान बहुत पुराना नहीं था.
ऐसे में यह चिंतित करने वाली बात तो है ही कि जिस विमान को इतना सुरक्षित बताया गया, उसके साथ ऐसा भला कैसे हो गया. एक समय ड्रीमलाइनर को भविष्य का विमान बताया जाता था. हल्का वजन, लंबी रेंज और उन्नत तकनीक के कारण इसे उड्डयन की दुनिया में गेम चेंजर बताया गया. हालांकि यह भी सच है कि बीते कुछ वर्षों में ड्रीमलाइनर विमान लगातार तकनीकी खामियों, सॉफ्टवेयर बग्स और बैटरी फेल जैसी गंभीर समस्याओं का शिकार बने हैं. बोइंग दुनिया की सबसे बड़ी विमान निर्माता कंपनियों में से एक है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से उस पर सुरक्षा मानकों और निर्माण गुणवत्ता को लेकर सवाल उठ रहे हैं. हादसे से थोड़ी देर पहले उसी विमान से दिल्ली से अहमदाबाद आये एक यात्री की शिकायत थी कि विमान में कई फीचर काम नहीं कर रहे थे. ऐसे में, सवाल यह भी उठ रहा है कि उड़ान भरने से पहले विमान की ठीक से तकनीकी जांच हुई भी थी या नहीं.
भूलना नहीं चाहिए कि एयर इंडिया के प्रति भी यात्रियों की काफी शिकायतें रही हैं. अक्तूबर, 2021 में टाटा समूह ने एयर इंडिया को खरीद लिया. उसके बाद से कंपनी ने हालांकि कई बड़े बदलाव किये, लेकिन धरातल पर चीजें बहुत ज्यादा नहीं बदली हैं. इस हादसे से एयर इंडिया को वैश्विक ब्रांड बनाने की कोशिश को धक्का लग सकता है. पूर्व केंद्रीय विमानन मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने कहा है कि भारतीय विमानन क्षेत्र पूरी तरह सुरक्षित है, लेकिन इसमें भी कोई शक नहीं कि इस विमान हादसे ने हमारे विमानन क्षेत्र के सामने गंभीर चुनौती पेश की है. खासकर देश में जिस तेजी से विमानन क्षेत्र का विस्तार हो रहा है और दूसरी श्रेणी के शहरों में विमान सेवा की मांग बढ़ने लगी है, उसे देखते हुए यह हादसा यात्रियों पर मनोवैज्ञानिक असर डाल सकता है. भारत का विमानन क्षेत्र वैश्विक स्तर पर तीसरे नंबर पर पहुंच चुका है और देश की जीडीपी में इसकी हिस्सेदारी 1.5 फीसदी है. लिहाजा भारतीय विमानन क्षेत्र के हित में यही है कि यथाशीघ्र हादसे के कारणों का पता लगाया जाए और विमानन क्षेत्र के प्रति लोगों का भरोसा बनाये रखा जाए.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)