AI Tools in Medical: क्या एआई टूल बनेगा डॉक्टर, बीमारी पहचानने में करेगा मदद, जानें भविष्य

AI Tools in Medical: एआई (AI) या कृत्रिम बुद्धिमता चिकित्सा क्षेत्र में चुनौतीपूर्ण समस्याओं को हल करने में मदद कर रहा है. चिकित्सा जगत में ये अभी शुरुआती स्थित में है, लेकिन भविष्य में इसके बेहतरीन परिणाम मिलेंगे. हालांकि लोग डॉक्टरों से संतुष्ट न होने पर चैटजीपीटी जैसे एआई टूल का इस्तेमाल अभी से बीमारी को पहचानने में करने लगे हैं. इसके कई उदाहरण भी सामने आए हैं.

By Amit Yadav | April 25, 2025 1:41 PM
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AI Tools in Medical: अमेरिका की कोर्टनी का बेटा एलेक्स कई सारी दिक्कतों से जूझ रहा था. दांतों में दर्द, शारीरिक विकास में रुकावट, चलने में असंतुलन जैसी दिक्कतें बढ़ती जा रही थीं. कई डॉक्टरों को दिखाया. हर बार नई बीमारी और दवाएं बतायी जाती रही. एक-एक करके 17 डॉक्टरों से सलाह ली, लेकिन बीमारी को कोई पकड़ नहीं पाया. बच्चे की बीमारी से परेशान कोर्टनी से चैटजीपीटी ( ChatGPT) से मदद ली. सारी रिपोर्ट और लक्षण एआई (AI) को बताए. तो उसने कुछ ही सेकेंड में एलेक्स को दुर्लभ बीमारी टेथर्ड कॉर्ड सिंड्रोम (Tethered Cord Syndrome) से पीड़ित बताया. इस बीमारी में रीढ़ की हड्डी असामान्य रूप से जुड़ी होती है. जो शरीर के विकास में बाधा डालती है.

एआई से हाशिमोटो डिसीस की हुई पहचान

एक अन्य उदाहरण में एक महिला लॉरेन बैनन को भी चैटजीपीटी की मदद से शरीर में छुपे कैंसर का पता चला है. न्यूयार्क पोस्ट में छपी खबर के अनुसार 40 साल की लॉरेन बैनन का वजन अचानक तेजी से घटने लगा. इसके साथ ही पेट में असहनीय दर्द भी रहने लगा. वो इलाज के लिए डॉक्टर से मिली लेकिन वो बीमारी का पता नहीं लगा पाया. इस पर उन्होंने चैटजीपीटी से इस बारे में पूछा तो पता चला कि वो एक हाशिमोटो डिसीस (Hashimoto’s Disease) से पीड़ित हैं. जो एक क्रॉनिक थॉयरॉयडिटिस है. डॉक्टर ने जब चैटजीपीटी के परिणाम के अनुसार गले की थॉयरायड ग्लैंड्स की जांच करायी तो दो छोटी गांठे पायी गई. जिसमें कैंसर था.

बीमारियों की स्क्रीनिंग और इलाज होगा आसान

ये दो उदाहरण बताते हैं कि किस तरह एआई टूल्स (AI Tools) हमारी जिंदगी में जगह बनाते जा रहे हैं. डॉक्टरों से निराश लोग पहले जहां बीमारी की जानकारी के लिए गूगल सर्च करते थे, अब चैटजीपीटी उनकी समस्या और शंका की समाधान का बड़ा टूल बन गया है. मेडिकल रिसर्च जर्नल्स पर नजर डालें तो पता चलता है कि चिकित्सा के क्षेत्र में एआई टूल्स का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है और इस पर रिसर्च लगातार जारी है. ब्रिटेन के नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ एंड केयर रिसर्च (NIHR) के अनुसार एआई ने बीमारियों की स्क्रीनिंग और इलाज दोनों को आसान किया है. एआई की मदद से ब्रेस्ट स्क्रीनिंग आसान हो गई है. इससे रेडियोलॉजिस्ट का काम आधा हो गया है. एनआईएचआर की रिपोर्ट के अनुसार अभी AI के जरिए मेडिकल के 5 क्षेत्रों में बेहतरीन काम हो रहा है. आंख की बीमारियों का भी एआई की मदद से पता लगाया जा रहा है. वहीं एआई आधारित स्मार्ट स्टेथोस्कोप से घर पर ही दिल के दौरे (Heart Attack) का पता चल जाएगा. इसमें एआई का आंकलन 90 प्रतिशत तक सही निकला है.

कैंसर का पता लगाना भी आसान

एआई की मदद से कैंसर का पता भी जल्दी चल जा रहा है. एआई सीटी स्कैन से कोशिकाओं की ग्रोथ मैप किया जा सकता है. यदि कोशिकाओं में अनियमित वृद्धि हो रही है, तो कैंसर होने का तुरंत चल जाता है. एआई टूल की मदद से डॉक्टर यह भी पता कर सकते हैं कि कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए किस मरीज को कितनी दवा दी जाए. इसके अलावा हॉस्पिटल मैनेजमेंट (अस्पताल प्रबंधन) में भी एआई मदद दे रहा है. ब्रिटेन के ही शोधकर्ताओं ने एक एआई मॉडल तैयार किया है जो एंबुलेंस और इमरजेंसी सेवा को आसान बना रहा है.

दवा विकास में क्रांति ला सकता है एआई

नोबेल पुरस्कार विजेता और डीपमाइंड (DeepMind) के सीईओ डेमिस हसबिस (Demis Hassabis) ने एक इंटरव्यू में कहा है कि एआई दवा विकास में क्रांति ला सकता है. एक दवा विकसित करने में औसतन दस साल और अरबों डॉलर लगते हैं. एक दिन हम शायद एआई की मदद से सभी बीमारियों का इलाज कर सकेंगे. शायद ये अगले दशक के भीतर हो सकता है. गूगल हेल्थ के अनुसार पहले ये सोचना भी मुश्किल था के एआई टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से बीमारियों का पता लगाने वाला टूल बनाया जा सकता है. गूगल एआई आधारित इमेजिंग टेक्नोलॉजी की रिसर्च बढ़ाने पर लगातार काम कर रहा है.

भारत की स्वास्थ्य सेवाओं में एआई का इस्तेमाल

जिनेवा में विश्व स्वास्थ्य संगठन की 77वीं बैठक में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा ने भारत में गूगल हेल्थ से सहयोग पर चर्चा की थी. वहां उन्होंने गूगल के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. करेन डिसाल्वों से मुलाकात की थी. इस मुलाकात में आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM) के माध्यम से गूगल के डिजिटल स्वास्थ्य उपकरणों की पहुंच पर चर्चा की गई थी. इसके बाद ऑटोमेटेड रेटिनल डिजीज असेसमेंट (ARDA) जैसे डिजिटल स्वास्थ्य उपकरण बनाने और उन्हें आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के साथ एकीकृत करने पर जोर दिया गया था. ARDA टूल को 2022 में ABDM में सूचीबद्ध किया गया था. गूगल टीम ने भारत में डिजिटल स्वास्थ्य तंत्र बनाने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) के साथ भी काम किया था. अपोलो रेडियोलॉजी इंटरनेशनल के साथ मिलकर गूगल ऐसे एआई सिस्टम को बना रहा है, जो एक्स-रे देखकर ही टीबी, लंग कैंसर और ब्रेस्ट कैंसर का शुरुआती स्टेज में ही पता लगा सके. गूगल ने स्वयं इसकी जानकारी साझा की है. दो भारतीय शोधकर्ताओं राहुल रॉय देवरकोंडा और रवि कुमार पेरुमल्लापल्ली ने ऐसा हेल्थकेयर प्लेटफार्म विकसित किया है, जो कि 24 घंटे डॉक्टर की तरह कार्य करता है. ये 24 घंटे स्वास्थ्य की निगरानी और इलाज में बदलाव कर सकता है.

माइक्रोसॉफ्ट ने लॉन्च किया ड्रैगन कोपायलट

माइक्रासॉफ्ट ने एक एआई टूल ड्रैगन कोपायलट (Microsoft Dragon Copilot) लांच किया है. ये डॉक्टर और हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स की मदद के लिए तैयार किया है. यह टूल बातचीत रिकार्ड करना, क्लीनिकल नोट्स लिखना, रेफरल लेटर लिखना, पोस्ट विजिट समरी बनाने का कार्य करता है. ये वायॅस टू टेक्स्ट ट्रांसक्रिप्शन में सक्षम है. इसे मोबाइल एप, ब्राउजर के जरिए एक्सेस किया जा सकेगा. रिपोर्ट्स के अनुसार यह टूल मई 2025 में यूएसए और कनाडा में उप्लब्ध होगा. इसके बाद फ्रांस, जर्मनी और यूके में भी इसे लॉन्च करने की तैयारी है.

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