Table of Contents
- क्या है पाकिस्तान का ईश निंदा कानून?
- पाकिस्तान में कब लागू हुआ ईश निंदा कानून
- हिंदुओं और ईसाइयों के खिलाफ किया जाता है ईश निंदा कानून का दुरुपयोग
- पाकिस्तान में नास्तिक होना भी अपराध
- किन देशों में ईशनिंदा के लिए है मृत्युदंड
Blasphemy Law In Pakistan : पाकिस्तान का ईश निंदा कानून एक बार फिर चर्चा में है, वजह यह है कि हाल ही में वहां की अदालत ने चार अल्पसंख्यकों को ईश निंदा कानून का दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई है. इन चारों पर आरोप है कि इन्होंने सोशल मीडिया पर मोहम्मद साहब के बारे में अपमानजनक टिप्पणी की. अब इन चारों की जिंदगी पर संकट है, आगे उनकी मौत की सजा कायम रहती है या शीर्ष अदालतें कुछ दया करती है, यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन एक बात तो तय है कि इन चारों को बड़ी सजा मिलेगी.
क्या है पाकिस्तान का ईश निंदा कानून?
पाकिस्तान एक इस्लामिक राज्य है, जहां इस्लाम को राष्ट्र धर्म माना गया है. ईश निंदा कानून में यह प्रावधान है कि कोई भी अगर पैगंबर मोहम्मद के बारे में कोई अपमानजनक टिप्पणी करता है, चाहे वह टिप्पणी मौखिक हो या लिखित, या किसी तस्वीर या फिर संकेत अथवा अन्य किसी तरीके से यह अपराध करता है तो उसे मौत की सजा सुनाई जा सकती है. इसके अलावा आजीवन कारावास और जुर्माने की सजा भी सुनाई जाती है.
पाकिस्तान में कब लागू हुआ ईश निंदा कानून
पाकिस्तान में जो ईश निंदा कानून वर्तमान समय में लागू है उसकी शुरुआत ब्रिटिश काल में ही हो गई थी, जब किसी भी धर्म के खिलाफ टिप्पणी करने पर सजा करने का प्रावधान था. 1956 में जब पाकिस्तान में संविधान लागू हुआ, तो ईश निंदा कानून को और भी कठोर बना दिया गया. हालांकि 1970 तक पाकिस्तान में ईश निंदा कानून उतना चर्चा में नहीं रहा, लेकिन 1980– 1986 के बीच जब वहां जनरल जिया-उल हक की सरकार रही तो ईश निंदा कानून का खूब इस्तेमाल हुआ और इस कानून में कई अन्य धाराएं भी जोड़ी गईं. अहमदिया मुसलमान को पाकिस्तान में मुसलमान नहीं माना जाता है और इसके लिए 1974 में संविधान में संशोधन भी किया गया था. इसी दौर में इस कानून का एक तरह से इस्लामीकरण कर दिया गया और अब यह कानून महज पैगंबर मोहम्मद के अपमान से संबंधित ही रह गया है. अलजजीरा डाॅट काॅम के अनुसार 1986 से पहले महज 14 केस ही ईश निंदा के दर्ज हुए थे, लेकिन उसके बाद सिनारियो पूरा बदल गया. 1987 से 2017 के बीच 1500 से अधिक लोगों पर ईशनिंदा का आरोप लगा और 75 लोगों की हत्या भीड़ ने ईशनिंदा के आरोप में कर दी. 2023 में ईश निंदा कानून को और भी सख्त कर दिया गया है.
हिंदुओं और ईसाइयों के खिलाफ किया जाता है ईश निंदा कानून का दुरुपयोग
पाकिस्तान में काम करने वाली मानव अधिकार संस्थाएं और सेक्यूलर लोगों का दावा है कि ईश निंदा कानून का दुरुपयोग अल्पसंख्यकों के खिलाफ किया जाता है. खासकर हिंदुओं और ईसाइयों के खिलाफ इस कानून का इस्तेमाल कर उन्हें जेल में डाला जाता है. हालांकि कई सेक्यूलर मुसलमान भी इस कानून का शिकार बने हैं और जेल में रहे, जिनमें अयाज निजामी का नाम हालिया चर्चा में रहा, जिन्हें 2017 में ईश निंदा कानून के तहत गिरफ्तार किया गया और 2021 में मौत की सजा सुनाई गई है. 2022 में एक श्रीलंकाई नागरिक प्रियंता कुमारा की भीड़ ने इसलिए हत्या कर दी थी, क्योंकि उन्होंने इस्लामी प्रार्थना लिखे हुए पोस्टर को फाड़ दिया था.
पाकिस्तान में नास्तिक होना भी अपराध
पाकिस्तान विश्व के उन चुनिंदा देशों में शुमार है, जहां नास्तिकता यानी ईश्वर की सत्ता में विश्वास नहीं करने को भी अपराध माना जाता है और इसके लिए मृत्युदंड का भी प्रावधान है. विश्व में कुल 7 देश ऐसे हैं जो नास्तिकता और ईशनिंदा के लिए मृत्युदंड देते हैं और 32 देशों में यह दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है. भारत में भी ईश निंदा कानून है, लेकिन यहां इसे धार्मिक भावनाओं को आहत करने से जोड़कर देखा जाता है और यह किसी खास धर्म पर लागू नहीं है. भारत एक सेक्यूलर देश है, जहां सभी धर्मों का आदर है और उसका अपमान करने वाले को सजा मिलती है. भारत के अलावा अन्य कई देशों में भी धर्म का अपमान करने पर सजा का प्रावधान है.
किन देशों में ईशनिंदा के लिए है मृत्युदंड
- नाइजीरिया
- पाकिस्तान
- ईरान
- अफगानिस्तान
- सोमालिया
- मॉरिटानिया
- सऊदी अरब
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