जस्टिस संजीव खन्ना ने बंद किया मॉर्निंग वॉक, जानिए क्या हैं चीफ जस्टिस से जुड़े प्रोटोकाॅल

Chief Justice Sanjiv Khanna : देश के नवनियुक्त मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना के बारे में मीडिया में जैसे ही यह खबर आई कि प्रोटोकाॅल की वजह से उन्होंने अपना प्रिय शौक मॉर्निंग वॉक बंद कर दिया, आम आदमी की रुचि उन नियमों को जानने में हो गई है, जिसके तहत जस्टिस संजीव खन्ना ने यह निर्णय लिया. चीफ जस्टिस के तमाम प्रोटोकाॅल उनकी सुरक्षा और न्यायपालिका की स्वतंत्रता से जुड़े हैं.

By Rajneesh Anand | November 12, 2024 3:57 PM
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Chief Justice Sanjiv Khanna : देश के चीफ जस्टिस बनते ही जस्टिस संजीव खन्ना की जीवन शैली में बड़ा बदलाव आ गया है, उदाहरण के तौर पर अब वे मॉर्निंग वॉक पर नहीं जा रहे हैं. मुख्य न्यायाधीश के तौर पर उन्हें मॉर्निंग वॉक के वक्त अपने साथ सिक्योरिटी गार्ड्‌स को लेकर जाना होगा. जस्टिस संजीव खन्ना बेहद ही सामान्य जीवनशैली जीते हैं इसलिए उन्होंने गार्ड्‌स के साथ सुबह की सैर करने की बजाय अपने रूटीन में ही बदलाव कर लिया है.

भारत के मुख्य न्यायाधीश को लेकर क्या है प्रोटोकाॅल

भारत के मुख्य न्यायाधीश को लेकर कोई भी लिखित प्रोटोकाॅल सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध नहीं है. यह एक तरह का गोपनीय दस्तावेज माना जाता है. हां, यह जरूर है कि मुख्य न्यायाधीश को लेकर जो भी नियम-कायदे बनाए गए हैं उनका उद्देश्य उन्हें सुरक्षित रखना और न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बनाए रखना है. 

क्या हैं चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की शक्तियां

भारत का मुख्य न्यायाधीश एक प्रतिष्ठित पद होने के साथ ही उनपर कई तरह की जिम्मेदारियां भी होती हैं. सुप्रीम कोर्ट को संविधान का संरक्षक माना जाता है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की जिम्मेदारियां बहुत महत्वपूर्ण है. चीफ जस्टिस को मास्टर ऑफ द रोस्टर कहा जाता है. यह उनके अधिकारों को बताता है. मुख्य न्यायाधीश के पास यह अधिकार है कि वह अपने हिसाब से मामलों की सुनवाई के लिए पीठ तय करे. वह सुप्रीम कोर्ट के कार्य के घंटे और छुट्टियां भी तय करते हैं.

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मुख्य न्यायाधीश बनने के लिए क्या है योग्यता

भारत के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है. चीफ जस्टिस बनने के लिए कुछ योग्यताएं निर्धारित हैं, जिनके आधार पर ही कोई व्यक्ति सुप्रीम कोर्ट का चीफ जस्टिस बन सकता है. 

  • – भारत का नागरिक होना अनिवार्य है.
  • -हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में 5 साल का कार्यानुभव होना चाहिए
  • -अधिवक्ता के रूप में 10 साल का कार्यानुभव हो
  • -राष्ट्रपति की नजर में वह विधिवेत्ता यानी कानून का जानकार हो.

छह माह बाद रिटायर हो जाएंगे जस्टिस संजीव खन्ना

सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट के अनुसार चीफ जस्टिस संजीव खन्ना 2019 में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बने थे इससे पहले वे दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश थे. 17 जून 2023 से 25 दिसंबर 2023 तक उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति के अध्यक्ष का पद संभाला है. 11 नवंबर 2024 को जस्टिस संजीव खन्ना ने देश के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली है. उनका जन्म 14 मई 1960 को हुआ है. इनकी स्कूल और काॅलेज की शिक्षा दिल्ली से हुई है. जस्टिस खन्ना ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से ही लाॅ की पढ़ाई की है और 1983 में दिल्ली बार काउंसिल के सदस्य बने. इनके पिता जस्टिस देवराज खन्ना दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश थे. चीफ जस्टिस संजीव खन्ना 13 मई 2025 को रिटायर हो जाएंगे.

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