फौजा सिंह ने साबित किया असंभव कुछ भी नहीं, 89 की उम्र में दौड़े पहली बार मैराथन

Fauja Singh : Turbaned Tornado यानी पगड़ी वाला बवंडर अब थम गया है. फौजा सिंह वो शख्सियत हैं, जिन्होंने खुद को अपने जवान बेटे बेटी और पत्नी की मौत के सदमे से निकाला और उस उम्र में मैराथन रनर बने, जिस उम्र में अधिकतर लोग ठीक से चल पाने की स्थिति में नहीं रहते हैं. फौजा सिंह पंजाब के ताकतवर सरदार थे, जो अब हमारे बीच नहीं रहे. सोमवार 14 जुलाई को एक सड़क दुर्घटना में उनकी मौत हो गई.

By Rajneesh Anand | July 15, 2025 4:01 PM
an image

Table of Contents

Fauja Singh : फौजा सिंह ऐसी शख्सीयत हैं, जिन्होंने रिटायरमेंट के बाद अपना हुनर साबित किया और यह बताया कि अगर आपके अंदर प्रतिभा है, तो कोई भी बाधा उसे बाहर आने से रोक नहीं सकती. 89 साल की उम्र में एक मैराथन रनर के रूप में उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की थी और 100 की उम्र में भी वे मैराथन रनर रहे. 2012 के लंदन ओलंपिक में वे मशाल वाहक बने और हजारों लोगों की प्रेरणा भी बने.

जालंधर के रहने वाले थे फौजा सिंह

भारतीय ब्रिटिश नागरिक फौजा सिंह पंजाब के जालंधर जिले के रहने वाले थे. उनका बचपन जिस तरह का था कोई यह सोच नहीं सकता था कि वे एक धावक यानी रनर बनेंगे. 5 वर्ष की उम्र तक जालंधर काफी कमजोर थे, उनका पैर भी काफी कमजोर था. प्रसिद्ध लेखक खुशवंत सिंह ने अपनी किताब Turbaned Tornado: The Oldest Marathon Runner Fauja Singh में उनके बचपन की इन परेशानियों का जिक्र किया है. किस तरह उन्हें बचपन में चलने में परेशानी थी और किस तरह वे अपनी मानसिक ताकत से एक मैराथन रनर बने.

दुनिया के सबसे बूढ़े मैराथन रनर

फौजा सिंह को दुनिया के सबसे उम्रदराज मैराथन रनर की उपाधि मिली हुई है. वे अपने बेटे के साथ लंदन तब गए थे, जब वे काफी सदमे में थे. उनके छोटे बेटे, बेटी और पत्नी की आकस्मिक मौत हो गई थी. इकोनाॅमिक्स टाइम्स में छपी खबर के अनुसार वे रोज उस जगह पर चले जाते थे जहां उनके परिजनों का अंतिम संस्कार हुआ था, अंतत: उनके बेटे जो लंदन में रहते थे, वे फौजा सिंह को अपने साथ ले गए. लंदन में उन्होंने मैराथन दौड़ टीवी पर देखा और यही उनके जीवन का टर्निंग प्वाइंट बना. उन्होंने वहां रनिंग की शुरुआत की और 89 साल की उम्र में मैराथन पहली बार दौड़े. उन्होंने साल 2000 में यह उपलब्धि हासिल की थी और लंदन मैराथन का हिस्सा बने थे. इस रेस को उन्होंने सात घंटे में पूरा किया था.2011 में जब वे 100 के थे, तो उन्होंने टोरंटो वॉटरफ्रंट मैराथन (Toronto Waterfront Marathon) में भाग लिया. इस मैराथन को उन्होंने 8 घंटे और 11 मिनट में पूरा किया था. 100 साल की उम्र में इस मैराथन को पूरा करके वे दुनिया के सबसे उम्रदराज मैराथन रनर बने.

अपनी पूरी कमाई को दान में दिया

फौजा सिंह ने अपनी पूरी कमाई को दान में दे दिया. यहां तक कि एडिडास के विज्ञापन से भी उन्हें जो पैसा मिला था, उसे भी उन्होंने जरूरतमंदों के लिए दान दे दिया. उन्होंने गुरुद्वारों को भी काफी दिया. खासकर दानपत्र में वे पैसे देते थे, जो उन्हें मिलता था, उसे वे सीधे दानपेटी में ही डाल देते थे.

Also Read : Air India Plane Crash Report : बोइंग विमान का स्विच खुद ऑन या ऑफ नहीं हो सकता, इरादतन किया गया होगा बंद; जिसने कराई दुर्घटना

 नागरिकता का प्रमाण नहीं है आधार कार्ड, लेकिन बिहार में मतदाता सूची के सत्यापन में इसे शामिल ना करने पर सुप्रीम कोर्ट चिंतित

अजीत डोभाल के पाकिस्तान में वो 7 साल, जिनकी वजह से उनसे आज भी डरता है पाकिस्तान

सिर्फ बिहारी महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 35% आरक्षण का लाभ, जानिए कैसे तय होगा बिहार का डोमिसाइल

विभिन्न विषयों पर एक्सप्लेनर पढ़ने के लिए क्लिक करें

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version