पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ तिकड़ी बनाने में जुटा है चीन, भारत को मल्टी फ्रंट पर खेल कर देना होगा मुंहतोड़ जवाब

India-China relations : भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने एक शंका व्यक्त की है, जो ना सिर्फ चौंकाने वाली है; बल्कि अगर ऐसा हुआ तो यह भारत की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है. जनरल अनिल चौहान ने दूरदृष्टि दिखाते हुए उन खतरों को भांपा है, जो देश के सम्मुख उपस्थित हो सकती है. जनरल अनिल चौहान ने कहा है कि अगर चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश अपने-अपने हितों को ध्यान में रखते हुए एक साथ आते हैं, तो यह संभावित तिकड़ी भारत के लिए बड़ी परेशानी का सबब हो सकती है.

By Rajneesh Anand | July 10, 2025 6:26 PM
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India-China relations : ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत अपनी सुरक्षा को लेकर अलग नजरिए से विचार कर रहा है और वह पहले से ज्यादा सचेत और मुस्तैद हो गया है, क्योंकि उसे यह स्पष्ट दिखने लगा है कि उसके पड़ोसियों की नीयत कैसी है. यही वजह है कि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने चीन,पाकिस्तान और बांग्लादेश के संभावित गठजोड़ पर चिंता जताई है. जनरल अनिल चौहान ने जो कुछ कहा है उसके पीछे बड़ी वजह है और उन्होंने जो कुछ कहा है उसपर सरकार को गंभीरता से विचार करके रणनीति बनानी चाहिए.

सीडीएस जनरल अनिल चौहान की चिंता की वजह क्या है?

दक्षिण एशिया में चीन एक ऐसा देश है, जो भारत की बढ़ती ताकत से घबराता है और यह कोशिश करता है कि भारत को किसी तरह दबा कर रखा जाए. चीन खुद इस क्षेत्र पर राज करना चाहता है यही वजह है कि वो भारत की शक्ति को कम करना चाहता है. इसी चाहत में उसने पाकिस्तान को हमेशा मदद दी है और पाकिस्तान के कंधे पर बंदूक रखकर भारत पर हमला करता रहा है. चाहे प्रत्यक्ष युद्ध हों या अप्रत्यक्ष चीन ने पाकिस्तान की मदद की है और वैश्विक मंचों पर भी जब पाकिस्तान फंसने लगा है, तो उसकी मदद की है. अब चीन इस कोशिश में है कि वो भारत को पूर्वी सीमा से भी घेरे, इसके लिए उसने बांग्लादेश को मदद करनी शुरू कर दी है. हालांकि पाकिस्तान और बांग्लादेश में काफी फर्क है. बांग्लादेश हमारा मित्र राष्ट्र रहा है क्योंकि उसके गठन में भारत की अहम भूमिका रही है. शेख हसीना के तख्तापलट के बाद बांग्लादेश में जो सरकार आई है, वो भारत के प्रति बहुत सकारात्मक रवैया नहीं रखती है, यही वजह है कि चीन उसे अपने पक्ष में करना चाह रहा है. इसी परिस्थिति को देखते हुए सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने चिंता जताई है और भारत की सुरक्षा को लेकर सावधान रहने की सलाह दी है.

दक्षिण एशिया में शुरू हो सकता है आर्म्स रेस

चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश की तिकड़ी अगर जम जाए, तो यह भारत के लिए गंभीर खतरा होगा और इस स्थिति में दक्षिण एशिया में हथियारों की रेस शुरू हो सकती है. इसकी वजह यह है कि अगर भारत तीन तरफ से दुश्मन देशों से घिर जाएगा तो उसे अपनी पारंपरिक और गैर पारंपरिक दोनों ही तरह की सुरक्षा की चिंता करनी होगी. साउथ एशियन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर धनंजय त्रिपाठी ने प्रभात खबर के साथ बातचीत में बताया कि सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने जो कुछ कहा है उसमें तथ्य हैं, इसलिए उनकी बातों को गंभीरता से लेना चाहिए. चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश यह तीनों ऐसे देश हैं, जिनसे भारत की सीमा लगती है. पश्चिमी सीमा को लेकर तो भारत की चिंता बनी ही हुई थी, क्योंकि यहां से घुसपैठ और आतंकवादी घटनाएं होती रहती हैं, अब अगर पूर्वी सीमा से भी यह सबकुछ होने लगा तो भारत की परेशानी बहुत बढ़ जाएगी. अभी तक पूर्वी सीमा से आतंकवादी घटनाएं नहीं होती हैं और ना ही उस तरह का घुसपैठ होता है. भारत-बांग्लादेश की सीमा विश्व की 5वीं सबसे बड़ी लैंड बाॅर्डर है, इस लिहाज से इतने बड़े क्षेत्र से अगर दुश्मन वाली हरकत होने लगी तो भारत की मुसीबत बढ़ेगी और उसे अपनी सुरक्षा पर ज्यादा खर्च करना पड़ेगा. इसकी वजह से दक्षिण एशिया में आर्म्स रेस काफी बढ़ सकता है, क्योंकि सभी देश एक दूसरे को दबाना चाहेंगे.

भारत को घेरने की रणनीति पर काम कर रहा है चीन

बांग्लादेश भारत का पुराना मित्र रहा है, लेकिन चीन उसे अपने साथ करने की चाल चल रहा है. प्रोफेसर धनंजय त्रिपाठी बताते हैं कि दक्षिण एशिया में चीन छोटे देशों को आर्थिक और सैन्य मदद देकर उन्हें अपने साथ कर रहा है. बांग्लादेश में उसने पायरा पोर्ट बनाने में मदद की है. इसके अलावा चीन यह कोशिश कर रहा है कि वह बांग्लादेश को सैन्य मदद भी दें, इसी के तहत उसने बांग्लादेश को सबमरीन दिया है. पाकिस्तान पर तो उसका हाथ काफी पहले से ही है. एससीओ समिट में पहलगाम मुद्दे का शामिल ना होना चीन की इसी नीति का परिणाम है. इन हालात में भारत के लिए चुनौती बड़ी हो सकती है. सीडीएस ने इसी वजह से तीन तरफा खतरे की बात कही है. उत्तर में चीन, पश्चिम में पाकिस्तान और पूर्व में बांग्लादेश का साथ भारत के कूटनीतिक और वैश्विक मंचों पर प्रभाव को कम कर सकता है. इससे निपटने के लिए भारत को मल्टीफ्रंट पर खेलना होगा और चीन की रणनीति का जवाब देना होगा.

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