Israel-Lebanon ceasefire : अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने एक्स पर पोस्ट करके इस बात की जानकारी दी कि इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच सीजफायर हो गया है. उन्होंने बताया कि मिडिल ईस्ट से एक अच्छी खबर आ रही है. लेबनान और इजरायल दोनों के प्रधानमंत्रियों से उनकी बात हुई है और दोनों ही सीजफायर के अमेरिकी प्रस्ताव पर सहमत हैं. वे इस विनाशकारी युद्ध को समाप्त करने के इच्छुक हैं.
किन शर्तों पर हुआ सीजफायर
अल जजीरा के अनुसार सीजफायर समझौते के तहत यह तय हुआ है कि अगले 60 दिनों में इजरायल दक्षिणी लेबनान से अपनी सेना को धीरे-धीरे वापस बुला लेगा और लेबनानी सेना और राज्य सुरक्षा बल इस क्षेत्र में तैनात होंगे.
हिजबुल्लाह पर रहेगी ‘गिद्ध’ की नजर
आतंकवादी संगठन हिजबुल्लाह इजरायल-लेबनान सीमा से लगभग 40 किलोमीटर पीछे हट जाएगा. हिजुबल्लाह के हटने के बाद इस क्षेत्र की सुरक्षा लेबनानी सशस्त्र बल करेगा और यह भी देखेगा कि हिजबुल्लाह के सभी हथियार और गोला-बारूद वहां से हटा दिए जाएं. बीबीसी न्यूज के अनुसार समझौते में यह भी कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र शांति सेना, लेबनानी सेना और एक बहुराष्ट्रीय समिति हिजबुल्लाह पर कड़ी नजर रखेगी ताकि वह समझौते का उल्लंघन ना करे. सीजफायर के बाद विस्थापित अपने घर लौटेंगे और बीमारों को इलाज मिलेगा.
"The only way to end the suffering of people on all sides is a permanent and immediate ceasefire on all fronts in #Lebanon, in #Israel and in #Gaza."@UNHumanRights pic.twitter.com/900jB8859N
— United Nations Geneva (@UNGeneva) November 26, 2024
क्या है संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद संकल्प 1701
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद संकल्प 1701 के तहत एक बार फिर इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच सीजफायर की कोशिश की गई है. संकल्प 1701 का निर्माण 2006 में किया गया था, जिसका उद्देश्य इजरायल और हिजबुल्लाह के युद्ध को रोकना था. इस संकल्प में दोनों गुटों के बीच स्थायी युद्धविराम की मांग की गई थी. इस समझौते के तहत बफर जोन बनाने की पहल भी की गई है.
सीजफायर पर क्या है इजरायल और हिजबुल्लाह का रुख
इजरायल ने अमेरिका के सीजफायर के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है. उनके सुरक्षा मंत्रिमंडल ने 10-1 से इस प्रस्ताव को मंजूरी दी है. प्रधानमंत्री नेतन्याहू की तरफ से यह कहा गया है कि वे अमेरिका के प्रस्ताव की प्रशंसा करते हैं. लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि इजरायल अपनी सुरक्षा के लिए किसी भी हमले पर जवाबी कार्रवाई करने का अधिकार रखता है. उन्होंने यह कहा है कि अगर हिजबुल्लाह युद्ध विराम के समझौते का उल्लंघन करेगा, तो इजरायल उसपर हमला करने के लिए स्वतंत्र है. हिजबुल्लाह प्रत्यक्ष तौर पर समझौते का हिस्सा तो नहीं बना है,लेकिन उनकी ओर से लेबनान के प्रधानमंत्री नजीब मिकाती ने युद्ध विराम का स्वागत किया. वही अल जजीरा के साथ बातचीत में हिजबुल्लाह ने कहा है कि वे क्षेत्र से युद्ध समाप्त करना चाहते हैं लेकिन अपने देश की संप्रुभता की कीमत पर नहीं. इजरायल और हिजबुल्लाह ने जिस तरह से अपनी-अपनी बात रखी है, उससे यह कहना जल्दबाजी ही होगी कि मिडिल ईस्ट में स्थायी शांति स्थापित हो गई है.
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सीजफायर का अर्थ क्या है?
सीजफायर का अर्थ होता है युद्धविराम. जब किसी युद्ध में शामिल दो या दो से अधिक पक्ष अधिकारिक रूप से संघर्ष विराम यानी युद्ध रोकने की बात करते हैं, तो उसे सीजफायर कहा जाता है. सीजफायर के लिए समझौते किए जाते हैं. कई बार यह भी संभव है कि युद्ध में शामिल पक्ष बिना किसी समझौते के भी सीजफायर की घोषणा कर देते हैं. सीजफायर कई बार स्थायी होता है और कई बार अस्थायी सीजफायर की भी घोषणा होती है. मसलन 48 घंटे तक सीजफायर रहेगा.
इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच कितने दिनों तक युद्ध चला?
इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच जंग पिछले साल 7 अक्टूबर को शुरू हुई थी. इस संघर्ष की शुरुआत में हमास ने इजरायल पर दागे थे, उसके बाद हमास के लीडर इस्माइल हानिये की हत्या ईरान ने तेहरान में कर दी थी. इस घटना के बाद हिजबुल्लाह भी इजरायल पर हमले कर रहा था. इस युद्ध में अबतक 45 हजार से अधिक लोगों की मौत हुई है. अधिकतर लोग गाजापट्टी में मारे गए, जिनमें से अधिकतर महिलाएं और बच्चे हैं.
हिजबुल्लाह की इजरायल से दुश्मनी क्यों है?
हमास और हिजबुल्लाह की इजरायल से जो दुश्मनी है उसके पीछे फिलिस्तीन और इजरायल का विवाद है. द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद 1947 में संयुक्त राष्ट्र ने फिलिस्तीन को दो भाग में बांटने की घोषणा की थी, जिसे यहूदियों ने स्वीकार किया, लेकिन फिलिस्तीनियों ने इसे स्वीकार नहीं किया और युद्ध छिड़ गया. वर्ष 1949 में इस युद्ध में इजरायल की जीत हुई और सात लाख से अधिक फिलिस्तीनी विस्थापित हो गये और यह क्षेत्र तीन भागों में विभाजित हो गया- इजरायल, वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी. इस घटना के बाद से इजरायल और फिलिस्तीन के युद्ध होता रहता है और हमास और हिजबुल्लाह जैसे आतंकवादी संगठन इजरायल के खिलाफ कार्रवाई करते रहते हैं.
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