मणिपुर में छह लोगों का शव मिलने के बाद फिर भड़की हिंसा, जानें क्या है इतिहास

Manipur Violence : मणिपुर के हिंसाग्रस्त जिरीबाम जिले में सुरक्षाबलों और उग्रवादियों के बीच मुठभेड़ के बाद हिंसा और भड़क उठी है. भीड़ ने मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह के आवास को निशाना बनाया है. हिंसा की वजह एक बार फिर मैतई और कुकी समुदाय से ही जुड़ती है, लेकिन अफस्पा की वापसी भी कहीं ना कहीं इसके लिए जिम्मेदार है.

By Rajneesh Anand | November 17, 2024 6:26 PM
an image

Manipur Violence : मणिपुर में हिंसा एकबार फिर भड़क उठी है. शनिवार शाम को गुस्साई भीड़ ने मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह के आवास में घुसने की कोशिश की और काफी हंगामा किया. आमलोगों की नाराजगी की वजह है जिरीबाम इलाके से छह लाोगों का शव बरामद होना. आम लोगों का आरोप है कि इन लोगों का अपहरण करके इनकी हत्या की गई है. उग्रवादियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग करते हुए भीड़ नाराज हुई और सीएम एन बिरेन सिंह के आवास के बाहर प्रदर्शन किया. पूरे राज्य में कर्फ्यू लगा दी गई है और इंटरनेट सेवाएं ठप हैं.


क्या है मणिपुर में हालिया हिंसा की वजह

मणिपुर के जिरीबाम जिले में 11 नवंबर सोमवार को सुरक्षाबलों और उग्रवादियों के मुठभेड़ हुई थी, जिसमें 10 उग्रवादी मारे गए थे. इस घटना के बाद राहत शिविर से तीन महिलाएं और तीन बच्चे लापता हो गए थे. बाद में उनके शव बरामद किए गए, जिससे लोगों का गुस्सा फूटा और मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह, उनके दामाद और विधायकों के आवास के बाहर हिंसा हुई. सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में कुकी समुदाय के 10 उग्रवादी मारे गए थे और जिन महिलाओं और बच्चों का अपहरण हुआ, वे मैतई समुदाय के थे. जिरीबाम के हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में अफस्पा की वापसी से भी लोगों में नाराजगी है.


आखिर क्यों जल रहा है मणिपुर?

मणिपुर एक ऐसा राज्य है जहां जातीय हिंसा का इतिहास रहा है. यहां के मूल निवासी माने जाने वाले मैतई समुदाय के लोग यहां बहुसंख्यक थे और लगभग आधी आबादी इसी जाति की थी. लेकिन 2011 की जनगणना के अनुसार अब मैतई आबादी 45 प्रतिशत पर आ गई है और इसके पास राज्य की महज 10 प्रतिशत भूमि है. कुकी और नागा आदिवासियों की संख्या भी मैतई लोगों के बराबर हो गई है और उनके पास प्रदेश की 90 प्रतिशत जमीन है. कुकी और नागा जनजातीय समुदाय के हैं. मैतई समुदाय का कहना है कि उन्हें अपनी भाषा, संस्कृति और परंपराओं की रक्षा के लिए एसटी का दर्जा चाहिए.

Also Read : डोनाल्ड ट्रंप की कैबिनेट में इन 3 वजहों से मिल रही जगह, जानिए कौन हैं टीम में शामिल कैरोलिन लेविट

विभिन्न विषयों पर एक्सप्लेनर पढ़ने के लिए क्लिक करें

क्या है 600 ईसाई- हिंदू परिवारों की जमीन पर वक्फ बोर्ड के दावे का विवाद? विरोध जारी

नया विवाद तब खड़ा हुआ, जब 2023 में हाईकोर्ट ने मैतई समुदाय के लोगों को एसटी का दर्जा दिए जाने की बात कही. हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद कुकी सड़क पर उतर गए और विरोध का स्वर हिंसक हो गया. कुकी समुदाय का कहना है कि प्रदेश में मैतई पहले से ही ताकतवर हैं. उन्हें अगर जनजाति का दर्जा मिल जाएगा तो वे कुकी समुदाय की भूमि पर भी हक जमाने लगेंगे. स्थिति इतनी बिगड़ी की राज्य बुरी तरह हिंसा की आग में जलने लगा. मैतई और कुकी के बीच भूमि और प्रभाव को लेकर जारी संघर्ष तब और भड़क गया, जब मैतई समुदाय के लोगों ने दो कुकी महिलाओं को नग्न करके घुमाया और उनके साथ दुर्व्यवहार किया. हिंसा इतनी भड़की की सेना और पुलिस को दखल देना पड़ा और अभी हजारों लोग राहत शिविर में रह रहे हैं. यहां हिंसा का जो इतिहास रहा है उसे देखें तो मैतई, कुकी और नागा सभी सुरक्षा बलों से भिड़ते रहे हैं. कुकी समुदाय का यह भी कहना है कि वर्तमान में प्रदेश में जो सरकार है, वह मैतई समुदाय की है. यह सरकार कुकी समुदाय को खत्म करना चाहती है.


अफस्पा की वापसी से भी है नाराजगी

अफस्पा की वापसी के बाद स्थानीय लोग इसका विरोध कर रहे हैं क्योंकि इससे सुरक्षा बलों को किसी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करने के विशेषाधिकार मिल जाते हैं. 14 नवंबर को केंद्र सरकार ने जिरीबाम के कुछ इलाकों में अफस्पा लागू कर दिया, जिसका यहां के लोग विरोध कर रहे हैं. मणिपुर में अफस्पा पहले भी लागू रहा है. यह कानून सुरक्षा बलों को किसी को गोली मारने, गिरफ्तार करने और संपत्ति नष्ट करने का भी अधिकार देता है. यह कानून उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में ही लागू होता है जहां देश की क्षेत्रीय अखंडता को खतरा हो.

Also Read : रूसी सरकार का ऐलान– काम से ब्रेक लीजिए और डेट पर जाइए; 2050 के बाद भारत में भी बन सकती है ये स्थिति

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version