80% मुसलमान सपा को वोट करता है, लेकिन पार्टी को उनकी चिंता नहीं; पिटाई के बाद मौलाना साजिद रशीदी का बड़ा बयान

Maulana Sajid Rashidi :ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष मौलाना साजिद रशीदी ने पिछले दिनों एक टीवी डिबेट के दौरान सपा सांसद डिंपल यादव पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी थी, जिसके बाद एक सपा कार्यकर्ता ने उनकी न्यूजरूम में पिटाई कर दी थी. इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया में बहुत वायरल है. इस पिटाई और देश की राजनीति पर उन्होंने प्रभात खबर के साथ खास बातचीत की.

By Rajneesh Anand | August 1, 2025 3:01 PM
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Maulana Sajid Rashidi : ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष मौलाना साजिद रशीदी अपने बयानों के कारण हमेशा विवादों में रहे हैं, कभी उन्होंने सोमनाथ मंदिर पर विवादित टिप्पणी की थी और अब वे सपा सांसद डिंपल यादव पर टिप्पणी कर चर्चा में हैं.

मौलाना साजिद रशीदी हमेशा विवादों में क्यों रहते हैं?

देखिए आज के वक्त में सच को सुनना, सच को बर्दाश्त करना और उसे स्वीकार करना बहुत मुश्किल है. मुझे सच कहने की आदत है, जिसे लोग सुनना नहीं चाहते हैं और उसे विवादित बना देते हैं.

डिंपल यादव के मस्जिद जाने से आपको क्या परेशानी है, क्या नाराजगी है?

कोई भी औरत किसी भी धर्म को मानने वाली मस्जिद जा सकती है, लेकिन हर धार्मिक स्थल की अपनी मर्यादा होती है. जब आप गुरुद्वारा जाते हैं, तो आपको सिर ढंकने के लिए कपड़ा दिया जाता है. मस्जिदों में अभी इसकी शुरुआत नहीं हुई है, हालांकि जामा मस्जिद में इसकी शुरुआत हुई है. जब कोई स्त्री या पुरुष ऐसे कपड़े में होता है, जो धार्मिक स्थल की मर्यादाओं के अनुरूप नहीं है, तो उसे कपड़े दिए जाते हैं. मंदिरों में भी इसी तरह की मर्यादा है, कई मंदिरों में तो गैरहिंदुओं का प्रवेश भी वर्जित है. मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश पर रोक नहीं है, लेकिन मर्यादा का होना बहुत जरूरी है. संविधान हमें अपने धर्म के अनुसार आचरण करने की इजाजत देता है, उसके प्रचार-प्रसार की इजाजत देता है, मैंने उसी के अनुसार डिंपल यादव के मस्जिद जाने पर आपत्ति जताई थी. डिंपल यादव का जो फोटो वायरल हुआ है, उसमें उनकी पीठ दिख रही है और उनका सिर भी खुला है. हमारे मुस्लिम समाज में पर्दे की परंपरा है. गांव देहात में जब कोई 15-16 की बच्ची सिर पर ओढ़नी नहीं रखती और घर से बाहर निकलती हैं, तो उससे यह कहा जाता है कि नंगी ना घूमो सिर पर ओढ़नी रखो, यह आम बोलचाल की भाषा है. मैंने भी डिंपल यादव से यही बात कही, जिसे बतगंड़ बना दिया गया.

डिंपल यादव सांसद हैं, क्या आपको बोलते वक्त इस बात का ध्यान नहीं रखना चाहिए था?

डिंपल यादव सांसद हैं, इसलिए तो उन्हें इस बात का खास ख्याल रखना चाहिए था. उनकी पार्टी खुद को मुसलमानों का हितैषी बताती है, वो एक लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती है, फिर उन्होंने ऐसी गलती क्यों की? अगर कोई ऐसा व्यक्ति हो, जो अनपढ़ होता है किसी चीज की जानकारी ना हो, तो उसे माफ किया जा सकता है. लेकिन एक सांसद जो सबकुछ जानता है, 80 प्रतिशत मुस्लिम समाज उन्हें वोट करता है, उनसे कैसे ऐसी गलती हो सकती है. एक तो उन्हें मस्जिद में सियासी बैठक करनी नहीं चाहिए थी और अगर कर भी ली, तो उसे वायरल नहीं करना चाहिए था. सबसे बड़ी गलती तो सपा नेता मोहिबुल्लाह नदवी की है, जिन्होंने बैठक की तस्वीर को वायरल किया. उन्हें तो पाॅलिटिकल माइलेज लेना था, अन्य पार्टियों के लोग तस्वीर पर कमेंट करेंगे और उन्हें फायदा होगा. जो कुछ विवाद हुआ है वो ना होता अगर अखिलेश यादव या डिंपल यादव में से कोई भी यह कह देते हैं कि जो कुछ हुआ वह अनजाने में हो गया, हम आगे से इस बात का ध्यान रखेंगे. लेकिन उन्होंने यह नहीं कहा और उनकी पार्टी ने मेरे बयान को लेकर विवाद खड़ा किया.

क्या समाजवादी पार्टी से आपका कोई विवाद चल रहा है?

मेरा ना समाजवादी पार्टी से कोई विवाद है और ना ही मेरा किसी पार्टी से विलय है. ना ही मैं किसी पार्टी का सदस्य हूं, मैं तो एक मुस्लिम स्काॅलर हूं. मैंने पूरे 12 साल धर्म को पढ़ा है. धर्म को पढ़ने के बाद जब कोई मौलवी या मुफ्ती बनता है, तो उसकी यह जिम्मेदारी है कि अगर धर्म को लेकर कहीं कोई गलती होती है, तो उसे उजागर करे. मैंने वही किया है.

सपा के जिस कार्यकर्ता ने आप पर हाथ उठाया, उसे लेकर क्या कहेंगे आप?

वे दंगाई हैं. अगर किसी को मेरी किसी बात पर आपत्ति है, तो वे कानून के अनुसार आचरण करें, अपना विरोध जताएं. लेकिन ये लोग तो हाथापाई पर उतर आए. मैंने उनके खिलाफ केस दर्ज कराया है.

वक्फ बिल पर आपकी क्या राय है?

देखिए वक्फ बिल सरकार ने वक्फ की बेहतरी के लिए लाया है. अगर सरकार वक्फ में जो खराबी है उसे खत्म करना चाहती है, तो इसमें हर्ज क्या है. हर सरकार अपने हिसाब से कानून बनाती है, इस कानून में कुछ ऐसी बातें हैं, जिनका मैं समर्थन कर रहा हूं.

मालेगांव विस्फोट मामले में कोर्ट का जो फैसला आया है, उसपर असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि पीड़ितों के साथ न्याय नहीं हुआ, आप क्या कहेंगे ?

देखिए ये लोग मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करते हैं, चाहे कांग्रेस हो, सपा हो या ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम हो. इन्हें पीड़ितों से कोई लेना-देना नहीं है, ये लोग बस अपनी राजनीति कर रहे हैं. अगर उन्हें लगता है कि इस कोर्ट के फैसले से न्याय नहीं हुआ है, तो वे आगे के कोर्ट में जाएं. यह सुविधा तो हमारा संविधान हमें देता है. अभी हाल ही में मुंबई लोकल ट्रेन विस्फोट मामले में कोर्ट ने 12 मुसलमान लड़कों को बरी किया, उस समय ये लोग कुछ क्यों नहीं बोले. दरअसल इन नेताओं को मुसलमानों के हित की नहीं अपनी हित की चिंता है और वे उसी हिसाब से राजनीति करते हैं.

आप जिस तरह से बयान दे रहे हैं क्या आपको लगता है कि देश में मुसलमान सुरक्षित नहीं हैं?

मैं देश की नहीं सपा की बात कर रहा हूं. सपा के लोग मुसलमानों को सुरक्षित नहीं रहने देना चाहते हैं. वे अपने मतलब के लिए मुसलमानों का उपयोग करते हैं. मैं अपने समाज के लोगों से सपा की हकीकत को पहचाने की अपील करना चाहता हूं. मैं उन्हें यह बताना चाहता हूं कि सपा मुसलमान नहीं हिंदू समर्थक पार्टी है.

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