नारायण मूर्ति के 70 घंटे काम वाले बयान से इंफोसिस का यूटर्न, स्ट्रेस मैनेजमेंट और वर्किंग आवर को बैलेंस करने के लिए ईमेल

Narayana Murthy : नारायण मूर्ति के हफ्ते में 70 घंटे काम करने वाले बयान के लगभग छह महीने बाद ही इंफोसिस ने अपने कर्मचारियों को ओवरटाइम ना करने की सलाह दी है और उनसे यह कहा है कि वे अपनी दिनचर्या को बैलेंस करें और अधिक से अधिक 9 घंटे 15 मिनट ही एक दिन में काम करें. इंफोसिस ने अपने कमर्चारियों को व्यक्तिगत तौर पर ईमेल करके यह सलाह दी है. इंफोसिस के इस नए आदेश के वायरल होने के बाद एक नई बहस छिड़ गई है.

By Rajneesh Anand | July 2, 2025 5:40 PM
an image

Table of Contents

Narayana Murthy : इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति ने देश की तरक्की के लिए युवाओं को यह सलाह दी थी कि वे हफ्ते में 70 घंटे काम करें. उन्होंने एक सेमिनार में यह बात कही थी. उनका उद्देश्य यह बताना था कि दूसरे देशों की अपेक्षा हमें कड़ी मेहनत करनी है, क्योंकि देश की एक बड़ी आबादी मुफ्त राशन पर निर्भर है और वे कड़ी मेहनत नहीं करेंगे. इस वजह से विदेशों की कंपनियों को टक्टर देने के लिए यह जरूरी है कि हम सप्ताह में 70 घंटे काम करें. उन्होंने इस मौके पर यह बताया था कि वे सुबह के 6:30 बजे आॅफिस जाते थे और रात को आठ बजे तक काम करते थे.

इंफोसिस ने अपने कर्मचारियों को क्या किया है मेल

इंफोसिस ने अपने कर्मचारियों को एक तरह से सख्त हिदायत दे दी है कि वे सप्ताह के 5 दिनों में कुल 9 घंटे 15 मिनट से अधिक काम ना करें. कर्मचारियों की कार्यशैली और उनके काम के घंटों पर सख्त निगाह रखी जा रही है. अगर कर्मचारी निर्धारित अवधि से अधिक घंटे तक काम करते हैं, तो उन्हें सुझाव के तौर पर मेल भेजा जाता है और यह बताया जाता है कि वे अधिक काम कर रहे हैं, उन्हें यह नहीं करना है और अपने वर्किंग आवर्स को इस तरह का बनाकर रखना है कि बात उनके सेहत तक पहुंचे. कंपनी का मानव संसाधन विभाग इस पर खास नजर रख रहा है और कर्मचारियों को हिदायत दे रहा है.

आखिर इंफोसिस ने यूटर्न क्यों लिया?

इंफोसिस द्वारा कर्मचारियों को एक निर्धारित घंटे तक ही काम करने की सलाह देने की खबर सामने आने के बाद से यह चर्चा आम है कि आखिर इंफोसिस ने यूटर्न क्यों लिया. कंपनी का एचआर डिपार्टमेंट जिस तरह कर्मचारियों को रिचार्ज होने और काम से ब्रेक लेने की सलाह दे रहा है, वह निश्चित तौर पर इस बात का सूचक है कि कंपनी अपने कर्मचारियों का हित चाहती है. कंपनी यह बिलकुल भी नहीं चाहती है कि उनके कर्मचारियों को कार्य का तनाव हो और वे स्ट्रेस में आ जाएं. स्ट्रेस की वजह से कर्मचारियों के परफॉर्मेंस पर असर पड़ता है और वे बेहतर आउटपुट नहीं दे पाते हैं. विगत कुछ दिनों से युवाओं में हार्ट अटैक के मामले भी बहुत बढ़ गए हैं, संभवत: इन सब कारणों से ही इंफोसिस ने अपने फैसले पर यूटर्न लिया है.

वर्कप्लेस स्ट्रेस को लेकर चिंता बढ़ी है

वर्कप्लेस में बढ़ते तनाव को लेकर चिंता लगातार बढ़ रही है और इसपर चर्चाएं भी खूब हो रही हैं. वर्कप्लेस स्ट्रेस का मसला संसद में भी उठ चुका है. वर्कप्लेस स्ट्रेस की वजह से लोगों का लाइफ स्टाइल बुरी तरह प्रभावित हुआ है. प्रतिदिन 10-12 घंटे काम करने वाले कर्मचारी कई तरह के मानसिक और शारीरिक बीमारियों का शिकार भी बन रहे हैं, जिसकी वजह से अब कंपनियां यह बिलकुल भी नहीं चाह रही हैं कि कर्मचारियों का स्वास्थ्य प्रभावित हो, इसलिए वर्किंग वातावरण को खुशनुमा और एनर्जेटिक बनाने का प्रयास जारी है. नारायण मूर्ति ने जब 70 घंटे काम करने की बात कही थी, तो युवाओं ने उसका बहुत विरोध किया था और सोशल मीडिया पर काम के घंटे को लेकर बहस छिड़ गई थी.

Also Read : Hul diwas : संताल हूल की दो वीरांगना फूलो-झानो को कितना जानते हैं आप, जिन्होंने 21 अंग्रेज अफसरों को कुल्हाड़ी से काट दिया था

संविधान निर्माण के वक्त धर्मनिरपेक्ष और समाजवाद जैसे शब्द नहीं थे संविधान का हिस्सा, इमरजेंसी के वक्त इन्हें जोड़ा गया

Shefali Jariwala : ‘कांटा लगा गर्ल’ शेफाली जरीवाला के जीवन में थे ये तनाव, कहीं उसी वजह से तो नहीं हुई मौत?

50 Years of Emergency : इंदिरा गांधी के चुनाव को कब किया गया था अवैध घोषित, जो बना इमरजेंसी की बड़ी वजह

विभिन्न विषयों पर एक्सप्लेनर पढ़ने के लिए क्लिक करें

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version