Nepal Violence : क्या 17 साल में 10 प्रधानमंत्री से त्रस्त नेपाल में होगी राजशाही की वापसी?

Nepal Violence : क्या नेपाल में एक बार फिर राजशाही की वापसी होगी? 2008 से लोकतंत्र की स्थापना के बाद से देश ने 10 प्रधानमंत्री को देखा है.यह सवाल इसलिए क्योंकि नेपाली जनता जिसमें युवा ज्यादा हैं 28 मार्च को सड़क पर उतरे और राजा आओ, देश बचाओ की मुहिम शुरू की. इतना ही नहीं राजनीतिक अस्थिरता से परेशान नेपाली गुस्से में हैं.

By Rajneesh Anand | March 29, 2025 7:02 PM
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Nepal Violence : नेपाल की सड़कों पर एक बार फिर लोग उतर पड़े हैं, लेकिन इस बार मांग राजतंत्र और हिंदू राष्ट्र की है. हजारों की संख्या में लोग सड़कों पर उतरे और ‘राजा आओ देश बचाओ’ के नारे लगाए. प्रदर्शनकारियों ने नेपाल का राष्ट्रीय झंडा और पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह की तस्वीर के साथ प्रदर्शन किया. इस प्रदर्शन में पुलिस पर हमला किया गया, हिंसक झड़प में दो लोगों की मौत हुई और सौ से अधिक लोग घायल हुए जिनमें से ज्यादातर सुरक्षाकर्मी हैं.

नेपाल में क्यों उठी है राजशाही की मांग


नेपाल में 2008 में राजशाही का पूर्ण रूप से अंत कर दिया गया. लेकिन उसके बाद से नेपाल की स्थिति अच्छी नहीं है. वहां जो भी लोकतांत्रिक सरकारें बनीं, उनपर भ्रष्टाचार का आरोप लगा. राजनीतिक स्थिरता जैसी कोई चीज देश में नजर नहीं आई, जिसकी वजह से देश का आर्थिक विकास बुरी तरह प्रभावित हुआ और राष्ट्र के सामने कई तरह की समस्याएं भी उत्पन्न हुईं. जिनमें प्रमुख है बेरोजगारी, महंगाई और गरीबी. बेरोजगारी की वजह से युवा परेशान है और वह देश की इस स्थिति से बहुत परेशान है और वे मानते हैं कि देश की लोकतांत्रिक सरकारें राष्ट्र की समस्याओं से निपट नहीं पा रही हैं.

नेपाल में राजशाही का अंत होने के बाद क्या हुआ?

नेपाल एक हिंदू राष्ट्र था, लेकिन 2008 में वहां 239 वर्षों से चल रहे राजशाही को खत्म कर दिया गया और लोकतंत्र की स्थापना की गई.लेकिन उसके बाद से नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता आ गई और अबतक कई बार सरकारें बदली जा चुकी हैं और 10 प्रधानमंत्री हो चुके हैं. नेपाल में लोकतंत्र की स्थापना भले ही 2008 में हुई, लेकिन शुरुआत 1990 में बहुदलीय लोकतंत्र की व्यवस्था के साथ किया गया था, लेकिन उस वक्त राजा का प्रभाव बना हुआ था. 2001 में बड़ा परिवर्तन हुआ क्योंकि राजा बीरेंद्र और उनके परिवार की हत्या हुई और ज्ञानेंद्र राजा बने और सत्ता संभाली. 2005 में ज्ञानेंद्र ने बहुदलीय लोकतंत्र की सरकार को भंग किया और सत्ता पर पूर्ण रूप से कब्जा किया. लेकिन 2006 से राजशाही के खिलाफ आंदोलन शुरू हुआ और 2008 में राजशाही को समाप्त कर लोकतंत्र स्थापित हुआ और नेपाल को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित किया गया. अब एक बार फिर जन आंदोलन शुरू हुआ और लोकतंत्र की जगह राजतंत्र के समर्थन में आवाज बुलंद की जा रही है.

वर्तमान में क्या है स्थिति

राजा ज्ञानेंद्र राजमहल से तो निकल गए, लेकिन वे उन लोगों के संपर्क में रहे, जिन्हें लोकतंत्र रास नहीं आ रहा था. देश में राजनीतिक अस्थिरता और आर्थिक संकट की स्थिति में ये ताकतें मुखर हो रही हैं और एक बार ज्ञानेंद्र के जरिए राजतंत्र की वापसी चाह रही हैं. अभी नेपाल में वहां की सबसे बड़ी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता केपी शर्मा ओली प्रधानमंत्री हैं, देश अशांत है और लोगों का गुस्सा हिंसा के रूप में सामने आ रहा है.

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