Pahalgam Terror Attack: कौन है पहलगाम अटैक की जिम्मेदारी लेने वाला द रेजिस्टेंस फ्रंट, कब हुआ गठन?

Pahalgam Terror Attack: पहलगाम में पर्यटकों पर हमले के पीछे एक नए संगठन का नाम सामने आया है. इस आतंकी संगठन को वजूद में आए हुए पांच साल ही हुए हैं. लेकिन जम्मू-कश्मीर में जो भी टारगेट किलिंग हो रही हैं, उसमें इसी ग्रुप ने अधिकतर की जिम्मेदारी ली है. भारत ने इस ग्रुप को आतंकी संगठन की सूची में रखा है.

By Amit Yadav | April 23, 2025 1:28 PM
an image

Table of Contents

Pahalgam Terror Attack: पहलगाम में पर्यटकों पर हमले की जिम्मेदारी एक नए संगठन द रजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने ली है. ये संगठन 2019 में वजूद में आया. इसे लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा संगठन कहा जाता है. कश्मीर में आर्टिकल 370 हटने के बाद इसका गठन किया गया. घाटी में कई टारगेट किलिंग की जिम्मेदारी इस आतंकी संगठन ने ली. इसमें सामान्य से लेकर सेना के लोग भी शामिल थे. भारत ने 2023 में इसे आतंकी संगठन घोषित किया था.

लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा है टीआरएफ

द रजिस्टेंस फ्रंट (The Resistance Front) ने घाटी में अपनी एक्टविटी वैसे तो स्लीपर सेल के रूप में की थी. लेकिन जल्द ही इस संगठन ने जमीन पर उतरकर टारगेट किलिंग को अपना मुख्य मकसद बना लिया. टीआरएफ को लश्कर-ए-तैयबा का दूसरा फेस कहा जाता है. साथ ही इसे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का सपोर्ट भी है. इस संगठन के प्रमुख संस्थापक का नाम शेख सज्जाद गुल है. इसने पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या की थी. इस पर भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने इनाम भी घोषित किया है. इसके अलावा साजिद बट्ट और सलीम रहमानी जैसे खतरनाक आतंकी भी इसके सदस्य हैं. 2019 में बने इस संगठन ने मात्र छह साल में कई बड़ी वारदातें की है.

टीआरएफ का गठन क्यों?

रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन से अलग और स्थानीय दिखाने के लिए द रजिस्टेंस फ्रंट (TRF) नाम से संगठन बनाया गया. इसके पीछे अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी संगठन से बचना मुख्य कारण हैं. खासतौर से फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF ) जैसी अंतर्राष्ट्रीय की निगाह में न आना इसका मुख्य लक्ष्य है. ये एजेंसी मनी लांड्रिंग और आतंकवाद वित्तपोषण के खिलाफ काम करने वाला संगठन है. ये संगठन घुसपैठियों को घाटी में सपोर्ट, ड्रग व हथियार तस्करी में भी शामिल है.

युवाओं को जोड़ने का लक्ष्य

टीआरएफ युवाओं को संगठन से जोड़ने के लक्ष्य पर कार्य करता है. जिससे नया कैडर तैयार हो और वो सुरक्षा बलों, इंटेलिजेंस के रडार पर न रहे. इससे इस संगठन को अपना लक्ष्य पाने में आसानी रहती है. अभी तक किसी फिदायीन हमले में टीआरएफ का नाम नहीं है. सिर्फ टारगेट किलिंग ही इनका लक्ष्य है. आसान निशाना ढूंढ़कर टीआरएफ के आंतकी गुम हो जाते हैं. घाटी में कार्य करने वाले प्रवासी मजदूर, कश्मीरी पंडित, सेना, सीआरपीएफ के कैंप पर हमला ही इनका मूल उद्देश्य है. किसी भी अटैक को ये शूट करने के लिए एडवांस बॉडीकैम का इस्तेमाल भी करते हैं. जिसे बाद में प्रसारित किया जाता है.

इन हमलों में आया नाम

  • 1  अप्रैल 2020 में केरन सेक्टर में पांच सैनिकों पर हमला, सभी शहीद
  • 30 अक्तूबर 2020 में कुलगाम में तीन बीजेपी कार्यकर्ता की हत्या
  • 26 नवंबर 2020 को श्रीनगर में सेना की टुकड़ी पर हमला
  • 26 फरवरी 2023 को पुलवामा में कश्मीरी पंडित संजय शर्मा की हत्या
  • 20 अक्तूबर 2024 को गंदेरबल में एक डॉक्टर और छह प्रवासी मजदूरों की हत्या
संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version