Pakistan News : पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में अक्टूबर महीने में पंजाब काॅलेज की एक फर्स्ट ईयर स्टूडेंट के साथ काॅलेज के गार्ड और ड्राइवर ने सामूहिक बलात्कार किया और जब इस घटना का विरोध करने के लिए छात्र और छात्राएं सड़कों पर उतरे, तो सरकार ने उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की. स्टूडेंट्स को पीटा गया, एक स्टूडेंट की मौत भी हुई. पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में महिलाओं के साथ बलात्कार की घटनाएं आम हैं, लेकिन पाकिस्तान जैसे देश में महिलाओं को ना तो बराबरी का दर्जा हासिल है और ना ही उन्हें अपने अधिकारों के लिए आवाज बुलंद करने की स्वतंत्रता ही है. दुष्कर्म की घटना का विरोध कर रहे लोगों पर वहां की सरकार ने अत्यधिक बल प्रयोग किया है, ताकि इस घिनौने कृत्य को छिपाया जा सके.
रेप के बाद घटना मीडिया में भी नहीं आई, जबकि काॅलेज एक मीडियाकर्मी द्वारा ही संचालित है. मानवाधिकार आयोग ने इस घटना पर बयान जारी किया और कहा है कि इस दुखद घटना के बाद लड़की की स्थिति बहुत गंभीर है. प्रशासन की इस घटना के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाय छात्रों को चुप करा रही है और यह साबित करने में जुटी है कि कुछ भी नहीं हुआ है. जबकि आरोपी सिक्यूरिटी गार्ड की गिरफ्तारी हो चुकी है. यह बहुत ही दुखद है और हम मीडिया से अनुरोध करते हैं कि इस घटना की कवरेज की जाए.
पाकिस्तान के पंजाब में धारा 144 लागू
बलात्कार की घटना के सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद जब छात्र सड़कों पर उतरे तो सरकार ने ऐसी किसी भी घटना से इनकार किया और कहा कि यह राजनीतिक साजिश है. मामला कोर्ट में पहुंचा तो सरकार ने कोर्ट को बताया कि कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई है और घटना महज अफवाह है. प्रदर्शनकारियों के पास कोई सबूत नहीं है. जिस दिन घटना हुई बतायी जा रही है उस दिन लड़की आईसीयू में भर्ती थी. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि परिवार सरकार के दबाव में आ गया है. सोशल मीडिया पर कई लोगों ने सामने आकर घटना की निंदा की और लड़की का वीडियो भी शेयर किया.
महिला अधिकारों की क्या है पाकिस्तान में स्थिति
पाकिस्तान में महिला अधिकारों की क्या स्थिति है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वहां मुख्तारन बीबी या मुख्तारन माई के गैंग रेप की घटना को सरकारी संरक्षण प्राप्त था. मुख्तारन बीबी के साथ पंजाब प्रांत में ही इसलिए गैंगरेप किया गया था क्योंकि उसके भाई पर व्यभिचार का आरोप लगा था. उसपर 1979 में तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल जिया उल हक ने हुदूद अध्यादेश लाया था, जिसने एक तरह से रेप को व्यभिचार में बदलने का काम किया और जिन महिलाओं के साथ रेप हुआ, वे व्यभिचार या बदचलनी के आरोप का शिकार हुईं. उनके साथ बहुत ही बुरा बर्ताव हुआ मसलन पत्थर मारने और कोड़े मारने की सजा. यानी जो महिला सामने आकर यह बताए कि उसके साथ बलात्कार हुआ है, उसे ही बचलन करार देकर उसके साथ दुर्व्यवहार किया गया.
हुदूद अध्यादेश में बदलाव हुआ
विवाद के बाद 2006 में हुदूद अध्यादेश में बदलाव किए गए और पीड़िता पर से यह बाध्यता समाप्त कर दी गई कि उसे बलात्कार के मामले में चार गवाह पेश करने होंगे. इसके साथ ही कोड़े मारने की सजा को भी हटा दिया गया. 2006 में जब महिला सुरक्षा बिल लाया गया तो बलात्कार को परिभाषित भी किया गया, जिसके अनुसार बलात्कार उसे कहेंगे जब शारीरिक संबंध बनाने में महिला की इच्छा शामिल ना हो. उसकी इच्छा के विरुद्ध संबंध बनाया जाए. उसे डराकर संबंध बनाया जाए. 16 साल से कम की लड़की अगर सहमति दे भी देती है तो उसे बलात्कार माना जाएगा क्योंकि वह उसकी उम्र कच्ची है. इस कानून के तहत बलात्कारी को दस से 25 वर्ष की सजा, सामूहिक दुष्कर्म में आजीवन कारावास या मृत्यु दंड की सजा का प्रावधान भी है.
2016 में महिलाओं को बलात्कार से बचाने के लिए नए कानून बने
2016 में पाकिस्तान की संसद ने बलात्कार विरोधी नए कानून बनाए, जिसके तहत आजीवन कारावास और जुर्माने की व्यवस्था की गई. साथ ही मृत्युदंड का प्रावधान भी किया गया. पीड़िता का बयान परिवार के एक सदस्य के सामने दर्ज कराने की व्यवस्था की गई और सुनवाई तीन महीने के अंदर पूरा करने की बात भी कही गई. 2021 में, लाहौर उच्च न्यायालय ने उन महिलाओं का कौमार्य परीक्षण पर रोक लगा दिया जो यह दावा करती हैं कि उनके साथ बलात्कार हुआ है.
पाकिस्तान में दर्ज नहीं होते हैं दुष्कर्म के मामले
पाकिस्तान एक ऐसा देश है, जहां 82 प्रतिशत बलात्कारी परिवार के सदस्य होते हैं, जिसकी वजह से मामले दर्ज होते ही नहीं है. सस्टेनेबल सोशल डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन के अनुसार कोविड के समय में पाकिस्तान में बलात्कार के मामलों में 400% की वृद्धि हुई थी. समाज में छोटी बच्चियों के साथ यौन शोषण की भी खूब घटनाएं होती हैं. दि डाॅन में छपी खबर के अनुसार 2023 में 4200 बच्चे जो छह से 15 साल की आयुवर्ग के थे वे यौन हिंसा का शिकार हुए थे. पाकिस्तान में कराए गए सर्वे के अनुसार वहां प्रति दो घंटे पर एक महिला बलात्कार की शिकार हो जाती है, लेकिन सजा मात्र 0.2% को ही होती है. 2017 में यहां 3,327 केस दर्ज हुए, 2018 में 4,456, 2019 में 4,478 और 2020 में 5,169 केस दर्ज कराए गए थे.
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