Table of Contents
- आम आदमी से जुड़े कैरेक्टर और घटनाएं
- स्क्रिप्ट और डायलॉग बेहतरीन
- पंचायत वेबसीरीज बहुत कुछ साबित करती है
- पंचायत की सादगी लोगों को लुभाती है : अजय ब्रह्मात्ज
Panchayat Season 4 : पंचायत वेबसीरीज एक बार फिर लोगों के सामने है. जिस बेसब्री से लोग इस वेबसीरीज का इंतजार कर रहे थे, उससे यह महसूस हो रहा है कि वेबसीरीज एक बार फिर धमाल मचाएगी. वेबसीरीज में दौर में पंचायत ने अपनी एक अलग पहचान बनाई है. एक ओर जहां वेबसीरीज में एडल्ट कंटेंट, हिंसा और गाली-गलौच की भरमार होती है, वहीं पंचायत बहुत ही साफ-सुथरी और दिल को छू लेने वाले अंदाज में दर्शकों को सामने आती है. यह वेबसीरीज अपनी ओरिजनलिटी के लिए खासी पहचानी जाती है. आखिर पंचायत वेबसीरीज में ऐसा क्या है कि लोग इसके चौथे सीजन का भी उतनी ही बेसब्री से इंतजार कर रहे थे?
आम आदमी से जुड़े कैरेक्टर और घटनाएं
पंचायत वेबसीरीज का हिट होना और लोगों के बीच चर्चा का केंद्र बनना इस बात को पुख्ता करता है कि इंसान अभी भी इंसान ही है और उसके अंदर इंसानी भावनाएं सबसे प्रमुख हैं. जैसे कि हंसना, रोना, गाना, प्रेम करना और तमाम इंसानी भावनाओं से ही वो जुड़कर रहना चाहता है. उसे कल्पना की दुनिया पसंद होगी, लेकिन वह मौलिकता में पक्का यकीन करता है. पंचायत वेबसीरीज के कैरेक्टर कुछ इसी तरह के हैं. सचिव जी का गांव आना और नौकरी करना, उनके सपने यह सबकुछ किसी भी युवा को आकर्षित करता है, क्योंकि ऐसे कई लड़के हमारे आसपास हैं, जो अपने सपने से तो जुड़े हैं, लेकिन उन्हें वास्तविक जीवन में कुछ और नौकरी करनी पड़ रही है. सचिव जी, प्रधान, प्रधानपति वनराकस, प्रह्लाद चा सारे कैरेक्टर असली जीवन के पात्र जैसे हैं, जिससे कोई कनेक्ट हो जाता है. सचिव जी और रिंकी की प्रेम कहानी लोगों को गुदगुदा देती है, क्योंकि अधिकतर लोगों के जीवन में इस तरह का प्रेम पनप चुका होता है.
स्क्रिप्ट और डायलॉग बेहतरीन
पंचायत वेबसीरीज की सफलता में उसके स्क्रिप्ट और डायलॉग का बहुत अहम रोल रहा है. इसके स्क्रिप्ट हमें किसी दूसरी दुनिया में लेकर नहीं जाते हैं, बल्कि ये हमारे आसपास ही रहते हैं. इसकी वजह से होता ये है कि जब लोग इस वेबसीरीज को देखते हैं तो उन्हें लगता है कि जैसे ये तो बस अभी-अभी कहीं घट रहा था, जिसे उन्होंने खुद देखा है और बस यहीं से शुरुआत होती है अपनेपन की. डायलॉग भी आम बोलचाल की भाषा में हैं, जो याद रह जाते हैं. जैसे -‘गांव में थोड़ा adjust करना पड़ता है’,दिक्कत ये है कि तुम efforts कम डाल रहे हो और expectations ज़्यादा रख रहे हो, System कुछ नहीं होता है, System में बैठे लोग सब कुछ होते हैं. ये कुछ डायलॉग हैं, जो बताते हैं कि यह वेबसीरीज कितनी यूनिक है और कैसे आमलोगों की जुबान पर यह चढ़ जाते हैं.
पंचायत वेबसीरीज बहुत कुछ साबित करती है
पंचायत वेबसीरीज यह साबित करती है कि अच्छी चीजों की डिमांड कभी कम नहीं होती है. अगर दर्शकों को अच्छी चीज मिलेगी तो वे उसे जरूर देखेंगे. यह जरूरी नहीं है कि उसमें सस्पेंस और ड्रामा हो ही और सेक्स का तड़का भी लगा हो. पंचायत वेबसीरीज अपनी ओरिजिनल स्टोरी और डायलॉग की वजह से अलग पहचान बनाती है और सबका मन मोह लेती है. इस वेबसीरीज की खासियत यह है कि यह इंसानी भावनाओं को एक तरह से जगाती है और उनके जरिए लोगों का मनोरंजन करती है.
पंचायत की सादगी लोगों को लुभाती है : अजय ब्रह्मात्ज
पंचायत की सादगी लोगों को लुभा रही है और इसी के बल पर पंचायत सीरीज चल रही है. यह कहना है वरिष्ठ फिल्म समीक्षक अजय ब्रह्मात्ज का. वे कहते हैं कि पंचायत वेबसीरीज के दर्शक वो लोग हैं, जिन्होंने गांव का जीवन जिया नहीं है. उनके सामने जब इस तरह की चीज आई है, जिसमें सादगी ज्यादा है और मनोरंजक भी है, तो लोग इसे पसंद कर रहे हैं. जिन लोगों की कहानी इस वेबसीरीज में बुनी गई है, वे लोग इसके दर्शक नहीं है. सोशल मीडिया में भी जिस तरह के कमेंट आ रहे हैं, वे इस बात को साबित करते हैं. हमारे देश में एक नास्टेल्जिया है कि गांव के लोग बहुत सरल और सहज होते हैं, इस वेबसीरीज में इसी तरह की बातों को परोसा गया है, जिसकी वजह से यह वेबसीरीज चल रही है. हालांकि अब सादगी भी हिट होने का फार्मूला भर रही गई है और कई अन्य वेबसीरीज भी इस तरह की आ गई है. चूंकि दर्शक हमेशा कुछ नया देखना चाहता है इसलिए भी उसे पंचायत पसंद आई है.
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